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Bank Loan Fraud: पत्नी को गारंटर बना पति ने हड़पे 1.15 करोड़ रुपये बैंक लोन, अब दोनों का जेल में होगा मिलन

डेढ़ करोड़ रुपये की रकम वापसी नहीं होने के बाद बैंक प्रबंधन ने मामला दर्ज कराया। इसके बाद पुलिस ने उसकी तलाश शुरू की। पिछले वर्ष दीप्ति सिंह को आरा से गिरफ्तार कर लिया गया था। बावजूद आरोपित संजय पकड़ में नहीं आ रहा था।

By MritunjayEdited By: Published: Thu, 11 Feb 2021 12:01 PM (IST)Updated: Thu, 11 Feb 2021 12:23 PM (IST)
Bank Loan Fraud: पत्नी को गारंटर बना पति ने हड़पे 1.15 करोड़ रुपये बैंक लोन, अब दोनों का जेल में होगा मिलन
चास थाना में गिरफ्तार रोहित कुमार सिंह उर्फ संजय सिंह और पुलिस पदाधिकारी ( फोटो जागरण)।

बोकारो, जेएनएन। बैंक ऑफ इंडिया चास से एक करोड़ पंद्रह लाख रुपये लोन लेकर गबन करने के आरोपित रोहित राज कुमार सिंह उर्फ संजय सिंह को चास थाना की पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। बुधवार को चास थाना प्रभारी रामप्रवेश कुमार ने बताया कि रोहित की तलाश पुलिस को लगभग ढाई वर्षों से थी। कहा कि ऑटो शोरूम ओम साईं सेल्स के नाम से बैंक ऑफ इंडिया की चास शाखा से एक करोड़ पंद्रह लाख रुपये उसने लोन ले लिया था। लोन लेने के वक्त उसकी पत्नी दीप्ति सिंह गारंटर बनी थी। उसके बाद रकम हड़प ली।

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बैंक प्रबंधन ने दर्ज कराई थी प्राथमिकी

बैंक प्रबंधन ने जब रकम वापस नहीं हुई तो मामला दर्ज कराया। इसके बाद पुलिस ने उसकी तलाश शुरू की। पिछले वर्ष दीप्ति सिंह को आरा से गिरफ्तार कर लिया गया था। बावजूद आरोपित संजय पकड़ में नहीं आ रहा था। आरोपित के बंशीडीह चास व आरा के भेड़िया स्थित पैतृक आवास में भी ताला लगा था। पुलिस ने कई बार बिहार से लेकर अन्य संभावित ठिकानों पर दबिश दी। हालांकि वह पकड़ा नहीं जा सका।

बोकारो के पिंड्राजोरा से हुई गिरफ्तारी

मंगलवार की शाम उसकी लोकेशन पिंड्राजोरा हाइवे के पास मिली। इसके बाद पुलिस टीम तुरंत वहां पहुंची और उसे गिरफ्तार कर लिया। टीम में अनुसंधानकर्ता रामेश्वर वर्मा, दारोगा राजेश कुमार दांगी, मनीष कुमार, एएसआइ सुखदेव सिंह, कल्हा, मिठू दसौंधी थे।

जेल में पति-पत्नी का होगा मिलन

बोकारो के चास मंडल उपकारा में रोहित राज सिंह की पत्नी दीप्ति सिंह पहले से बैंद हैं। पति को भी गिरफ्तार करने के बाद बुधवार को पुलिस ने जेल भेज दिया। अब दोनों एक ही जेल में हैं। हालांकि जेल के अंदर महिला और पुरुष बंदी का वार्ड अलग-अलग होता है। जेल प्रबंधन की इच्छा पर दोनों मिल सकते हैं।


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