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TMC: यशवंत को नहीं मिली 'ममता', क्या कीर्ति को मिलेगी ? धनबाद सांसद ने कह दी बड़ी बात

TMC कीर्ति आजाद ने 2019 का लोकसभा चुनाव कांग्रेस के टिकट पर धनबाद से लड़ा था। आजाद को भाजपा प्रत्याशी पीएन सिंह ने 4.85 लाख मतों के अंतर से पराजित किया था। सिंह को 8.24 लाख और कीर्ति को 3.40 लाख मत मिले।

By MritunjayEdited By: Published: Thu, 25 Nov 2021 02:39 PM (IST)Updated: Sat, 27 Nov 2021 05:37 AM (IST)
TMC: यशवंत को नहीं मिली 'ममता', क्या कीर्ति को मिलेगी ? धनबाद सांसद ने कह दी बड़ी बात
यशवंत सिन्हा, कीर्ति आजाद और ममता बनर्जी ( फाइल फोटो)।

जागरण संवाददाता, धनबाद। ज्यादा दिन की बात नहीं है। 8 महीने ही तो बीते हैं। कभी भाजपा के कोर कमेटी में शामिल रहे देश के पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा 13 मार्च, 2021 को कोलकाता में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के सामने टीएमसी (TMC) में शामिल हो गए थे। ममता ने हाथों-हाथ लिया। तुंरत सिन्हा को टीएमसी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बना दिया। सिन्हा टीएमसी में क्यों गए? उन्होंने अपने मन की बात सार्वजनिक तो नहीं की लेकिन जगजाहिर हो गई। झारखंड प्रदेश भाजपा के पूर्व अध्यक्ष धनबाद के सांसद पीएन सिंह ने टिप्पणी की थी-राज्यसभा का सदस्य बनने के लिए टीएमसी में गए हैं। बीते सात महीनों में ममता ने अपनी पार्टी से कई लोगों को राज्यसभा में भेजा। अब तक सिन्हा का नंबर नहीं आया। कहा जाता है कि अब सिन्हा दुखी हैं। दो दिन पहले 23 नवंबर को क्रिकेटर से राजनेता बने कांग्रेस नेता कीर्ति आजाद टीएमसी में पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री की उपस्थित में शामिल हो गए। बड़ा सवाल यह है कि आखिर कीर्ति को क्या राजनीतिक लाभ मिलेगा?

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कीर्ति ने 2019 का लोकसभा चुनाव धनबाद से लड़ा था

कीर्ति आजाद ने 2019 का लोकसभा चुनाव कांग्रेस के टिकट पर धनबाद से लड़ा था। आजाद को भाजपा प्रत्याशी पीएन सिंह ने 4.85 लाख मतों के अंतर से पराजित किया था। सिंह को 8.24 लाख और कीर्ति को 3.40 लाख मत मिले। चुनाव लड़ने के लिए कीर्ति दिल्ली से धनबाद आए थे। हारने के बाद यहां से दिल्ली गए तो फिर धनबाद का रूख नहीं किया। इसके बाद से कांग्रेस की रानजीति में भी कहीं दिखाई नहीं दे रहे थे। अब पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी टीएमसी में शामिल हुए हैं।

काैन हैं कीर्ति आजाद

क्रिकेट से राजनीति में आए कीर्ति आजाद अविभाजित बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री भागवत झा आजाद के पुत्र हैं। उन्होंने स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) के बोकारो स्टील प्लांट में 1982 में असिस्टेंट मैनेजर के रूप में योगदान दिया था। कीर्ति ने सेल में 11 साल अपनी सेवा दी। इस दौरान उनकी तैनाती दिल्ली दफ्तर में रही। वह बीच-बीच में बोकारो आते रहे, बीएसएल के खिलाडिय़ों को खेल के गुर सिखाते रहे। तब बोकारो इस धनबाद जिले का ही हिस्सा था। धनबाद लोकसभा क्षेत्र के बोकारो विधानसभा क्षेत्र में बोकारो स्टील प्लांट है। कीर्ति झारखंड के मूलवासी भी हैं। उनका गांव झारखंड के गोड्डा जिले के महगामा विधानसभा क्षेत्र के तहत कसबा है। पिता भागवत झा आजाद पहले लोकसभा चुनाव-1952 में गोड्डा से सांसद चुने गए थे।

दरभंगा से भाजपा के टिकट पर तीन बार बने सांसद

कीर्ति भाजपा के टिकट पर 1999, 2009 और 2014 में दरभंगा लोकसभा सीट से चुनाव जीत चुके हैं। वित्त मंत्री अरुण जेटली के साथ दिल्ली क्रिकेट एसोसिएशन की राजनीति में हुए टकराव के कारण कीर्ति ने भाजपा से बगावत कर कांग्रेस का दामन थामा। लेकिन, कांग्र्रेस की सहयोगी पार्टी राजद दरभंगा सीट देने को तैयार नहीं हुई। तब उन्होंने दिल्ली के किसी लोकसभा सीट से टिकट की चाह दिखाई। चूंकि, दिल्ली के गोल मार्केट विधानसभा क्षेत्र से उन्होंने भाजपा के टिकट पर 1993 में विधायक बन राजनीतिक सफर शुरू किया था। बिहार के दरभंगा और दिल्ली से टिकट नहीं मिलने के बाद कीर्ति धनबाद से चुनाव लडऩे को तैयार हो गए। धनबाद से चुनाव हारने के बाद कहीं चर्चा में भी नहीं थे। अब जब ममता बनर्जी राष्ट्रीय राजनीति में अपना वजूद तलाश रही है तो कीर्ति टीएमसी में शामिल हो गए हैं। कीर्ति को उम्मीद है कि ममता उन्हें राज्यसभा भेजकर पुनर्वास करेगी।

धनबाद के सांसद ने कसा तंज

भाजपा नेता और धनबाद के सांसद पीएन सिंह ने कीर्ति के टीएमसी में जाने के बाद तंज कसा है। कहा है-कीर्ति कभी नेता तो रहे नहीं। वह दिल्ली से विधायक और दरंभगा से सांसद बने तो भाजपा के टिकट पर। भाजपा कार्यकर्ताओं ने उन्हें चुनाव जिताया। धनबाद चुनाव लड़ने आए तो उन्हें राजनीति समझ में आ गई। अब ममता के पास कैसे गए हैं। ममता का पश्चिम बंगाल के बाहर क्या है? वह बिहार, झारखंड और यूपी समेत बाहर के लोगों को गुंडा बतातींं हैं। जिन्हें गुंडा कहती हैं उनके बीच जाकर किस मुंह से वोट मांगेगी। कीर्ति राज्यसभा के लालच में ममता के पास गए हैं। यशवंत सिन्हा की तरह कीर्ति को भी कुछ नहीं मिलने वाला है।


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