रोगियों का दर्द बांट रही करिश्माई चप्पल, स्पर्श सेंटर धनबाद में बन रहीं, नहीं बढ़ने देती घाव
World Leprosy Day 2022 कुष्ठ रोग से पीड़ित इंसान के हाथ-पांव सुन्न हो जाते हैं। इस कारण उन्हें चोट में दर्द का अनुभव नहीं होता और उनके शरीर का घाव ठीक होने के बजाय बढ़ जाता है। चप्पलें बनाकर कुष्ठरोगियों का दर्द कम करने की कोशिश की जा रही है।
राजीव शुक्ला, धनबाद : कुष्ठ रोग से पीड़ित इंसान के हाथ-पांव सुन्न हो जाते हैं। इस कारण उन्हें चोट में दर्द का अनुभव नहीं होता और उनके शरीर का घाव ठीक होने के बजाय बढ़ जाता है। धनबाद के जामाडोबा स्पर्श सेंटर में खास तरह की चप्पलें बनाकर कुष्ठरोगियों का दर्द कम करने की कोशिश की जा रही है। हर साल करीब 600 जोड़ी विशेष चप्पल-जूते स्पर्श अस्पताल में तैयार कर कुष्ठपीड़ितों को निश्शुल्क दिए जाते हैं। कुष्ठरोगियों की सेवा के लिए समर्पित इस अस्पताल का संचालन टाटा स्टील फउंडेशन की ओर से किया जा रहा है।
ऐसे राहत देती है चप्पल
स्पर्श सेंटर के इंचार्ज डा. पीएन सिंह व समन्वयक लाल बाबू सिंह ने बताया कि कुष्ठ रोगियों के लिए विशेष चप्पल बनाने में माइक्रो सेलुलर रबर का इस्तेमाल होता है। चप्पल में कुछ छोटे-छोटे रबर के मुलायम खांचे फिट किए जाते हैं, जिन्हें पोडिएट्रिक एप्लायंसेस (पैर के निचले हिस्से के उपचार से संबंधित) कहते हैं। ये कुष्ठ रोगियों का घाव बढ़ने नहीं देते। चोट वाली जगह पर इसमें खाली स्थान रखा जाता है, जिसमें घाव फिट हो जाता है। घाव वाले स्थान की बनावट ऐसी होती है कि जख्म से कोई छेड़छाड़ न हो सके और उस हिस्से पर शरीर का भार भी नहीं पड़े। विशेष रबर स्प्रिंग की तरह काम करती है, जो शरीर के भार को तलवे की ओर स्थानांतरित कर देती है। नतीजा घाव जल्द भरने लगता है और मरीज बना परेशानी के अपने सारे कामकाज करता रहता है। इस विधि के साथ घाव ठीक करने के लिए चिकित्सक की सलाह से दवा भी समय-समय पर लगानी होती है। हर साल करीब 600 जोड़ी विशेष चप्पल-जूते स्पर्श अस्पताल में तैयार कर कुष्ठपीड़ितों को निश्शुल्क दिए जाते हैं।
जरूरत के हिसाब से बनाए जाते
स्पर्श सेंटर में रोगी के जख्म की प्रकृति के अनुरूप चप्पल में पोडिएट्रिक एप्लायंसेस लगाए जाते हैं। वर्तमान में सेंटर में 300 अल्सर व 100 कुष्ठ रोगियों का उपचार हो रहा है। इस सेंटर में हाथ-पैरों की विकृति को दूर करने के लिए 102 रोगियों की रिकंस्ट्रक्टिव सर्जरी भी हो चुकी है। सेंटर के अदल दास जूते-चप्पल बनाते हैं। वर्ष 2009 से यहां जूते-चप्पल बनाने का काम शुरू हुआ। अब तक यहां 5,672 जोड़ी चप्पल-जूते कुष्ठ रोगियों के बीच निश्शुल्क वितरित किए जा चुके हैं।
यूं हुई शुरुआत
डाॅ. पीएन सिंह बताते हैं कि अस्पताल के चिकित्सकों ने महसूस किया कि चोट लगने पर दर्द महसूस नहीं होने के कारण कुष्ठरोगी आराम नहीं करते, चलते-फिरते रहते हैं। इससे घाव बढ़ जाता है। कई बार जख्म बढ़कर अल्सर बन जाता है, जो बाद में गैंगरीन में बदल जाता है। ऐसी स्थिति में मरीज का पांव काटना पड़ता है। इस समस्या को देखते हुए स्पर्श सेंटर की टीम ने विचार किया कि ऐसी चप्पल बनाई जाए, जिसे पहनने पर घाव बढ़े नहीं, बल्कि ठीक होने लगे। इसके बाद पोडिएट्रिक एप्लायंसेस बनाने की दिशा में कदम बढ़े। विशेष प्रकार के चप्पल-जूते मरीजों को राहत देने के साथ नुकसान से बचाते हैं।
कमाल की हैं चप्पल
झरिया निवासी एक कुष्ठ रोगी ने बताया कि स्पर्श से मिली चप्पलें कमाल की हैं। कुष्ठ रोगियों को यदि कोई घाव हो जाता है तो ये चप्पलें पहनने पर जख्म जल्द भर जाता है। वहां से मिली चप्पलें हम सामान्य तौर पर भी प्रयोग कर रहे हैं, इससे घाव होने की संभावना ही खत्म हो जाती है।
स्पर्श सेंटर में कुष्ठ रोगियों का उपचार व आपरेशन होता है। नए रोगियों की पहचान कर सरकार को सूचना दी जाती है। वहीं, कुष्ठ रोगियों के लिए विशेष प्रकार के जूते-चप्पल बनते हैं। यहां चप्पलों पर लगाए जा रहे पोडिएट्रिक एप्लायंसेस रोगियों के घाव ठीक करने में कारगर हैं।
-राजेश कुमार, यूनिट हेड, टाटा स्टील फाउंडेशन, झरिया डिवीजन, धनबाद