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कोयला खदान को बचाने के लिए लाखों लीटर हो रहा पानी बर्बाद; पड़ोस इलाके में हाहाकार Dhanbad News

कोयला खदान को बचाने के लिए रोजाना लाखों लीटर जल निष्कासन किया जा रहा है। वह पानी बहकर यूं ही बर्बाद हो रहा है। लेकिन खदान के पड़ोस इलाको में पानी के लिए हाहाकार मचा हुवा है। कुछ खदानों के पानी को प्रबन्धन मोहल्लों में आपूर्ति कर भी रही है।

By Atul SinghEdited By: Published: Fri, 07 May 2021 05:53 PM (IST)Updated: Fri, 07 May 2021 05:53 PM (IST)
कोयला खदान को बचाने के लिए लाखों लीटर हो रहा पानी बर्बाद; पड़ोस इलाके में हाहाकार Dhanbad News
कोयला खदान को बचाने के लिए रोजाना लाखों लीटर जल निष्कासन किया जा रहा है। (प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर)

कतरास, जेएनएन: कोयला खदान को बचाने के लिए रोजाना लाखों लीटर जल निष्कासन किया जा रहा है। वह पानी बहकर यूं ही बर्बाद हो रहा है। लेकिन खदान के पड़ोस इलाको में पानी के लिए हाहाकार मचा हुवा है। कुछ खदानों के पानी को प्रबन्धन मोहल्लों में आपूर्ति कर भी रही है। बहकर बर्बाद हो रहे खदान के पानी को उपयोग में लाए जाने के लिए बीसीसीएल और झारखण्ड की तत्कालीन सरकार के बीच मसौदा तैयार हुवा। सरकार और कंपनी के बीच सहमती की खबर मीडिया में सुर्खियां बनी, लेकिन नतीजा सामने नही आया। कारण चाहे आला अधिकारियों के स्थान्तरण या उनमे इच्छा शक्ति का अभाव रहा हो। कतरास - बाघमारा कोयलांचल में दर्जनों कोयला खदानों से भारी क्षमता वाली पम्प के जरिए जलनिष्कासन हो रहा है। उस पानी से लाखों की नगरी आबादी को लाभ पहुंचाई जा सकती है। बीसीसीसीएल के आवासों में जलापूर्ति हो सकती है। बता दें गोबिंदपुर क्षेत्र के आकाशकिनारी खदान के पास जल निष्कासन हो रहा है। लेकिन यहां से आधा किलोमीटर से कम दूरी पर बीसीसीसीएल की तिलाटांड आवासीय कालोनी है। 400 से अधिक आवास वाले इस कालोनी में जलापूर्ति की व्यवस्था कम्पनी द्वारा नही की गई है। आकाशकिनारी के उक्त खदान से कतरास कालेज की दूरी करीब आधा किलोमीटर है, जहां पीएचईडी की दो जलमीनार पानी के अभाव में सुखी पड़ी है। परिणाम स्वरूप कतरास बाजार, तिलाटांड सहित वार्ड 1 और तीन की 50 हजार से अधिक की आबादी पिछले 20 दिनों से जल संकट का सामना कर रही है। कतरास कोल डंप और दुर्गा कालोनी के लोगों को सालों भर जल संकट का सामना करना पड़ता है। यहां भी बीसीसीएल की ओर से जलापूर्ति की ठोस व्यवस्था सुनिश्चित नही हो पाई।

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