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नेशनल संताल लिबरेशन आर्मी के डिप्टी कमांडर इन चीफ के खुलासे से देश की सुरक्षा एजेंसिया भौंचक

National Santal Liberation Army संताल लिबरेशन आर्मी के डिप्टी कमांडर लखीराम उर्फ एडमिन सिंह सोरेन समेत कई लोग म्यांमार में जाकर एके 47 और एके 56 तक चलाना सीखे हैैं। खुद लखीराम ने खुद साहिबगंज पुलिस को कई चौंकाने वाली बातें बतायी हैैं।

By MritunjayEdited By: Published: Sat, 25 Dec 2021 09:05 AM (IST)Updated: Sun, 26 Dec 2021 05:03 AM (IST)
नेशनल संताल लिबरेशन आर्मी के डिप्टी कमांडर इन चीफ के खुलासे से देश की सुरक्षा एजेंसिया भौंचक
नेशनल संताल लिबरेशन आर्मी का डिप्टी कमांडर इन चीफ लखीराम हेंब्रम ( फाइल फोटो)।

डाक्टर प्रणेश, साहिबगंज। नेशनल संताल लिबरेशन आर्मी के डिप्टी कमांडर इन चीफ लखीराम समेत झारखंड के साहिबगंज और गोड्डा जिले के कई लोगों ने म्यांमार में हथियार चलाने का प्रशिक्षण हासिल किया था। बोरियो के कारोबारी अरुण साह की हत्या के मुकदमे के अनुसंधान के दौरान साहिबगंज पुलिस को संताल लिबरेशन आर्मी का काला इतिहास भी पता चला है। अनुसंधान में यह बात सामने आई है कि असम में बोडो उग्रवादियों से संघर्ष के दौरान संताल लिबरेशन आर्मी का गठन हुआ था। उस वक्त उल्फा के सहयोग से संताल लिबरेशन आर्मी के कई लोग हथियार खरीदने और उसे चलाने की सीख लेने के लिए म्यांमार गए थे। कालांतर में असम में शांति कायम हो गई तो संताल लिबरेशन आर्मी के कई लोग झारखंड के संताल परगना में आकर फैल गए। यहां संगठन को खड़ा करने की कोशिश शुरू की गई। इसी बीच संताल लिबरेशन आर्मी के सदस्यों ने संताल परगना के लोगों का खून बहाना शुरू कर दिया। इससे पहले कि संताल लिबरेशन आर्मी और मजबूत होती, झारखंड सरकार ने सख्ती दिखायी। नतीजतन, आज संताल परगना में इस संगठन के पांव उखड़ चुके हैैं।

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म्यांमार में AK 47 और AK 56 चलाने का प्रशिक्षण

संताल लिबरेशन आर्मी के बारे में साहिबगंज पुलिस को जानकारी मिली है कि इसके डिप्टी कमांडर लखीराम उर्फ एडमिन सिंह सोरेन समेत कई लोग म्यांमार में जाकर एके 47 और एके 56 तक चलाना सीखे हैैं। खुद लखीराम ने खुद साहिबगंज पुलिस को कई चौंकाने वाली बातें बतायी हैैं। उसने पुलिस को बताया कि साहिबगंज और गोड्डा के कई लोगों से संताल लिबरेशन आर्मी के लोगों के बेहतर ताल्लुकात बन गए थे। यद्यपि, अभी पुलिस को लगातार कार्रवाई के बाद वैसे लोग संगठन से अब दूरी बना चुके हैैं।

इस कारण बोडो और संताल में हुआ संघर्ष

लखीराम के मुताबिक सालों पहले चाय बगान में काम कराने के लिए संताल परगना के हजारों संतालों को अंग्रेज असम ले गए थे। धीरे-धीरे यहां से गए लोग असम में बसते चले गए। आबादी बढ़ गई। इसके बाद संताल परगना से गए लोग स्थानीय शासन व्यवस्था में हिस्सेदारी की मांग शुरू की। बोडो समुदाय ने इसका विरोध किया। इसके बाद असम में संताल और बोडो के बीच संघर्ष हुआ। इसमें हजारों संताल मारे गए थे। इसके बाद असम के संतालों ने एकजुट होकर यह संगठन बनाया था। लखीराम का दावा है कि असम के संताल बहुल इलाकों में संताल लिबरेशन आर्मी के सदस्यों को सम्मान दिया जाता है। संगठन के कमांडर राहुल को लोग असम में बहुत इज्जत देते हैैं।

सच्चाई जानने में जुटी सुरक्षा एजेंसिया

नेशनल संताल लिबरेशन आर्मी के डिप्टी कमांडर इन चीफ लखीराम हेंब्रम द्वारा म्यांमार में हथयिार चलाने का प्रशिक्षण प्राप्त करने का खुलासा करने के बाद देश की सुरक्षा एसेंसियां भौंचक है। सुरक्षा एजेंसियों में साबिगंजल पुलिस ने संपर्क साधा है। यह पता लगाया जा रहा है कि झारखंड के साहिबगंज और गोड्डा और काैन-काैन लोगों ने म्यांमार जाकर प्रशिक्षण प्राप्त किया। क्या उन लोगों का अब भी म्यांमार से कनेक्शन है?

संताल लिबरेशन आर्मी के डिप्टी कमांडर इन चीफ लखीराम हेम्ब्रम उर्फ एडमिन सोरेन को असम से गिरफ्तार किया गया था। वो साहिबगंज के गंभीर कांड में वांछित था। उसने पूछताछ में स्वीकार किया कि वो अपने साथियों के साथ म्यांमार गया था। वहां उन लोगों ने स्वचालित हथियार चलाने का प्रशिक्षण लिया था।

-प्रदीप उरांव, अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी, बरहड़वा


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