Trade Unions Strike: 26 को शूरू होने वाली ट्रेड यूनियन की हड़ताल पड़ी शिथिल, दिग्गज नेताओं की कम दिलचस्पी बनीं वजह या कुछ और, जानने के लिये पढ़िये पूरी खबर
भारतीय मजदूर संघ को छोड़ अन्य सभी श्रमिक संगठन 26 को आम हड़ताल की तैयारी में लगे हुए हैं। धनबाद में हड़ताल तभी सफल मानी जाएगी जब कोयला क्षेत्र में यह सफल रहे। इधर कोयला क्षेत्र की हकीकत यह है कि आधा से अधिक उत्पादन आउटसोर्सिंग
धनबाद, जेएनएन: भारतीय मजदूर संघ को छोड़ अन्य सभी श्रमिक संगठन 26 को आम हड़ताल की तैयारी में लगे हुए हैं। धनबाद में हड़ताल तभी सफल मानी जाएगी जब कोयला क्षेत्र में यह सफल रहे। इधर कोयला क्षेत्र की हकीकत यह है कि आधा से अधिक उत्पादन आउटसोर्सिंग कंपनियाें की ओर से किया जाता है। यहां यूनियनाें की कभी नहीं चलती रही है। बीसीसीएल की वित्तीय स्थिति ऐसी है कि अब ट्रेड यूनियनिस्ट भी हड़ताल के मूड में नहीं दिख रहे। केंद्रीय सलाहकार समिति की बैठक में नेताओं ने कहा भी कि हम हड़ताल से पीछे नहीं हट सकते लेकिन किसी काे जबरन काम करने से रोका भी नहीं जाएगा। साफ जाहिर है कि हड़ताल के प्रति स्थानीय नेता भी उदासीन हैं। यह इन दिनाें हाे रहे गेट मीटिंग्स की शृंखला में भी दिख रही है। तमाम दिग्गज नेता घर बैठे हैं और दूसरी पंक्ति के नेताओं काे तैयारी में लगा रखा है।
मजेदार यह है कि धनबाद में हड़ताल की तैयारियाें पर बैठक इंटक से संबद्ध राष्ट्रीय कोलियरी मजदूर संघ के कार्यालय में हुई। यह संगठन ददई व राजेंद्र गुट में बंटा है और विवाद इतना गहरा गया है कि इसे कोल इंडिया व उसकी अनुषंगी कंपनियों समेत सभी सार्वजनिक कंपनियों की कमेटियाें से बाहर कर दिया गया है। दूसरी ओर सड़क पर वाम मोर्चा आंदोलन कर रही है जिसके दिग्गज नेता या तो निष्क्रिय हो चुके हैं या वह राजनीतिक मामलों में भाजपा से जुड़े हुए होने की वजह से निष्क्रिय हैं। सीटू के एसके बख्शी काफी उम्रदराज हो चुके हैं और विज्ञप्ति से काम चला रहे हैं तो एटक का सबसे बड़ा गुट इन दिनों बाघमारा विधायक ढुलू महताे के साथ है। महतो भाजपा विधायक हैं। वहीं एचएमएस का नेतृत्व काेयलांचल में जनता मजदूर संघ के हाथाें है। जनता मजदूर संघ यहां कुंती व बच्चा गुट में बंटा है। कुंती देवी, उनके पुत्र संजीव सिंह व बहू रागिनी सिंह भी भाजपा नेता हैं। वहीं बच्चा सिंह भी उम्रदराज हैं और बीमार भी। लिहाजा वे स्वयं आंदोलन का नेतृत्व कर पाने में सक्षम नहीं। ऐसे में लग रहा जैसे आंदोलन बस अपने-अपने फेडरेशन का मान रखने के लिए ही किया जा रहा है। बीसीसीएल के क्षेत्रीय सलाहकार समिति की बैठक में नेताओं ने कहा भी कि वे किसी पर हड़ताल में शामिल होने का दबाव नहीं देंगे।
गुरुवार काे होने वाले आम हड़ताल कितना सफल होगा यह भविष्य बताएगा लेकिन एक दिन पहले तक एक बैठक को छोड़ दें तो जिला स्तर के वरिष्ठ नेताओं काे एक मंच पर आंदोलन करते भी नहीं देखा गया है। इससे भामसं के इस आरोप को बल मिलता है कि यह आंदोलन कोयला या अन्य मजदूरों के हित के लिए नहीं बल्कि राजनीतिक उद्देश्य से किया जा रहा है।