ट्रेन से आने वाले प्रवासी मजदूरों को घर तक पहुंचने के लिए करनी पड़ रही है कड़ी मशक्कत Dhanbad News
कोरोना तब भी था पर उस दौरान प्रवासी मजदूरों की खूब आवभगत हुई। स्टेशन से उन्हें राहत शिविर लाया जा रहा था भोजन की व्यवस्था थी। फिर नाश्ता और पानी की बोतल के साथ बस में बैठाकर घर के लिए रवाना कर दिया जाता था।
धनबाद, जेएनएन : कोरोना तब भी था पर उस दौरान प्रवासी मजदूरों की खूब आवभगत हुई। स्टेशन से उन्हें राहत शिविर लाया जा रहा था, भोजन की व्यवस्था थी। फिर नाश्ता और पानी की बोतल के साथ बस में बैठाकर घर के लिए रवाना कर दिया जाता था। प्रवासी मजदूरों के लिए यह सेवा बिलकुल मुफ्त रखी गई थी। कोरोना आज भी है परिस्थिति भी वहीं है पर प्रवासी मजदूरों को अपने राज्य में ही एक जिले से दूसरे जिले में जाने के लिए उन्हें काफी मशक्कत करनी पड़ रही है।
कोरोना के चैन तोड़ने के लिए सरकार की ओर से पाबंदिया लगाई गई है। कोरोना संक्रमण की रफ्तार भी कम हुई है। लेकिन अब दूसरी परेशानी खड़ी हो गई है। यह परेशानी प्रवासी मजदूरों की है। बाहर से आने वाले प्रवासी मजदूर पूछ रहे हैं कि पिछले साल की तरह इस बार बस या अन्य सवारी वाहनों की कोई व्यवस्था जिला प्रशासन की ओर से नहीं किया गया है।
वहीं स्टेशन में अपने घर जाने के इंतजार में खड़े प्रवासी मजदूरों ने कहा कि इस बार निजी वाहनों से चलने पर भी रोकटोक किया जा रहा है। जब ट्रेने चल रही है तो बस चलने में क्या दिक्कत है। दिल्ली, पंजाब, गुजरात, केरल से आए मजदूर अब काम पर वापस लौटने के लिए हर दिन स्टेशन पहुंच रहे हैं पर यहां तक पहुंचने के लिए उन्हें अधिक खर्च और और मशक्कत दोनो करना पड़ रहा है।
बस सेवाएं बंद है और ई-पास का सिस्टम लागू है। प्रवासी मजदूरी सुनील मरांडी, राजू कुमार, सुरज महतो ने बताया कि गुजरात वापस काम पर जा रहे हैं। तीनो ने मिलकर गोडडा से एक निजी वाहन से किराया पर लिया। उसके लिए पहले ई-पास बनवाया फिर चार हजार रुपये किराया देकर यहां पहुंचे। सरकार को चाहिए कि बस सेवा शुरू करे। यहा हाल केवल कुछ प्रवासी मजदूरों का नहीं है बल्कि स्टेशन में सैकड़ों प्रवासी मजदूरों को अपने घर जाने के लिए लंबा इंतजार करने के साथ काफी परेशानी उठानी पड़ रही है।