Politics of Nirsa: मजदूर राजनीति के भंवर MPL, प्रबंधन ने दी शटडाउन की चेतावनी
MPL माहौल शांत कराने के मकसद से धनबाद एसडीओ राज महेश्वर और ग्रामीण एसपी अमन कुमार ने मध्यस्थता की। यूनियन एवं प्रबंधन के बीच वार्ता कराई जो बेनतीजा रही।
निरसा, जेएनएन। टाटा पावर और डीवीसी की इकाई मैथन पावर लिमिटेड के तीन हजार कामगारों का आंदोलन चाैथे दिन में प्रवेश कर गया है। दस जून से मजदूर हड़ताल पर हैं। वे वेतन वृद्धि समेत 18 मांगों को लागू करने की मांग पर अड़े रहे। मजदूरों का नेतृत्व निरसा के विधायक अरुप चटर्जी कर रहे हैं। बार-बार आंदोलन से परेशान प्रबंधन ने शटडाउन की चेतावनी दी है। अगर ऐसा होता है कि यह धनबाद के लिए दुर्भाग्य होगा।
त्रिपक्षीय वार्ता वेनतीजाः बुधवार को निरसा के मासस विधायक अरूप चटर्जी के संरक्षण में संचालित एमपीएल कामगार यूनियन के नेतृत्व में कार्य बहिष्कार किया गया, कंपनी का मुख्य गेट खुलने नहीं दिया गया। बिजली उत्पादन के लिए फैक्ट्री के भीतर न कोयला गया, न कोयला जलने के बाद छाई बाहर निकाली जा सकी। झामुमो नेता अशोक मंडल कंपनी प्रबंधन से मिले और काम जारी रखने की बात कही। कोयला ढुलाई चालू कराने के लिए वह फैक्ट्री के मुख्य द्वार पर आए तो अरूप व उनके समर्थकों ने भी कड़े तेवर दिखाए। तनातनी के हालात बन गए। भारी संख्या में पुलिस बल की तैनाती के कारण टकराव नहीं हुआ। माहौल शांत कराने के मकसद से धनबाद एसडीओ राज महेश्वर और ग्रामीण एसपी अमन कुमार ने मध्यस्थता की। यूनियन एवं प्रबंधन के बीच वार्ता कराई जो बेनतीजा रही। मजदूरों ने कहा कि वे लोग वेंडर के जरिए एमपीएल में उत्पादन कार्य कर रहे हैं। न वेतन बढ़ रहा है, न पदोन्नति हुई है। आठ साल से जितना वेतन मांगा जा रहा है, वह नहीं मिला है।
कंपनी के सीईओ बोले अब हालात भयावह: एमपीएल के सीईओ रमेश झा ने कहा कि वाकई अब हालात भयावह हो चुके हैं। कारखाने में कुछ ही दिन बिजली उत्पादन का कोयला बचा है। उसे भी कोल फीडर में डालने नहीं दिया जा रहा है। छाई भी प्लांट से बाहर नहीं जा रही है। मशीन रखरखाव का काम रुकवा दिया गया है। कभी भी जान-माल का खतरा हो सकता है। अब प्लांट को शटडाउन करना होगा। आंदोलनकारी नहीं समझे तो उनके साथ निरसा के लाखों लोगों को भी नुकसान उठाना होगा।
फैक्ट्री जानेवाले कामगारों से मारपीटः आंदोलन के दौरान कुछ कामगार फैक्ट्री में चले गए थे। बाहर निकले तो उनके साथ मारपीट की गई। मंगलवार की शाम सात बजे आइटी विभाग में कार्यरत संदीप मित्रा बाहर निकले तो उन्हें पीटा गया, उनकी गाड़ी क्षतिग्रस्त की गई। इस कारण भयवश बुधवार को कामगार भीतर नहीं गए।
मजदूरों के मसले पर दलगत राजनीति नहीं होनी चाहिए। सभी दलों को इस आंदोलन का समर्थन करना चाहिए। मजदूरों की मांगें जायज हैं। प्रबंधन ने वादाखिलाफी की है, तभी मजदूरों को इतना गुस्सा है। प्रशासनिक तंत्र भी जानता है कि एमपीएल प्रबंधन ने जो कहा था, वो नहीं किया है।
अरूप चटर्जी, मासस विधायक
अरूप चटर्जी मजदूरों को बरगला रहे हैं। डीवीसी मैथन, पंचेत, ईसीएल, बीसीसीएल, ओमबेस्को के विस्थापितों एवं मजदूरों के लिए क्यों नहीं लड़ रहे हैं? निरसा की 200 कंपनियों में न्यूनतम मजदूरी नहीं मिलती। कुछ युवक हाईवा खरीद एमपीएल में रोजगार कर रहे हैं। ट्रांसपोर्टिंग रुकवा देने से वे तबाह हैं। अरूप औद्योगिक माहौल बिगाड़ रहे हैं।
-अशोक मंडल, झामुमो नेता सह विस्थापित समिति प्रमुख
पिछले पांच साल में अरूप ने कारखानों का सामान नीलाम कराया है। अरूप एवं उनके पिता गुरुदास चटर्जी के 30 साल के कार्यकाल में एक भी कारखाना नहीं खुला। कई कारखाने बंद हो गए। एमपीएल प्रबंधन प्लांट बंद करने की धमकी दे रहा है तो गलत है। मजदूरों को हक नहीं मिला तो भाजपा और भामसं आंदोलन करेगी। विस चुनाव नजदीक आया है तो अरूप को मजदूरों का दर्द हो रहा है।
-अपर्णा सेनगुप्ता, भाजपा नेत्री
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