कूर्म द्वादशी 2021: कूर्म द्वादशी में इस वस्तु को घर में लाने से होती है लक्ष्मी की बारिश
पौष मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी को कूर्म द्वादशी के नाम से जाना जाता है। इस वर्ष 25 जनवरी को मनाई जाएगी। कूर्म द्वादशी भगवान् विष्णु के कूर्म अथवा कच्छप अवतार को समर्पित है। मान्यता है कि इस दिन पूरी श्रद्धा के साथ विधि-विधान से मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
धनबाद, जेएनएन: पौष मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी को कूर्म द्वादशी के नाम से जाना जाता है। इस वर्ष 25 जनवरी को मनाई जाएगी। कूर्म द्वादशी भगवान् विष्णु के कूर्म अथवा कच्छप अवतार को समर्पित है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन पूरी श्रद्धा के साथ विधि-विधान से व्रत पूजन करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। और मनुष्य को सभी पापों से मुक्ति मिलती है और साथ ही मोक्ष की प्राप्ति भी होती है। जिले में भी कूर्म द्वादशी व्रत कई लोग मंदिरों तक घरों पर ही मनाते हैं।
कूर्म द्वादशी का महत्वः
पंडित राकेश पांडेय के अनुसार अगर कूर्म द्वादशी का व्रत पूरी भावना और सच्चे मन से करने वाले मनुष्य के सभी पाप दूर हो जाते हैं और उसे समस्त अपराधों के दंड से भी मुक्ति मिल जाती है। इसके साथ ही मनुष्य संसार के समस्त सुख भोगकर अंत में मोक्ष प्राप्त करता है।
पूजन विधिः
सबसे पहले व्रतधारी प्रातःकाल स्नानादि से निवृत्त हो स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए और उसके पश्चात पूरे दिन सात्विक आचरण का पालन करना चाहिए। उसके बाद पूरे दिन अन्न-जल ग्रहण किए बिना ही व्रत रखना चाहिए। यदि ऐसा करना संभव न हो, तो इस व्रत में जल और फल ग्रहण कर सकते हैं। कूर्म द्वादशी के दिन भगवान कूर्म का पूजन करने के पश्चात् प्रसाद ग्रहण कर व्रत का पारण करें। इस दिन मंदिर जाकर भगवान विष्णु और उनके कूर्म अवतार के पूजा अर्चना करें।
इस दिन कछुआ घर पर लाने से होता धन लाभ:
कूर्म द्वादशी के दिन घर में कछुआ लाने का विशेष महत्व है। इससे लक्ष्मी की कृपा सदा ही आप पर बनी रहती है। लेकिन कछुए को कभी भी बेड रूम में नहीं रखे। बल्कि इसे हमेशा ड्राइंग रूम रखने से इसका लाभ आपको मिलता है। ऐसे भी कहा जाता है कि जहां कछुआ होता है वहां मां लक्ष्मी का वास होता है। और दांपत्य जीवन भी सुखमय बना रहता है।