Move to Jagran APP

World Tribal Day 2021: अनिमा ने संताली भाषा में तलाश लिया जिंदगी का सार, पढ़िए जेपीएससी की पहली महिला सदस्य की सफलता की कहानी

World Tribal Day 2021 गिरिडीह के झलकडीहा गांव की रहने वाली डा. अनिमा के दादा रेंगटा गोपाल हांसदा अंग्रेजी हुकूमत में स्कूल इंस्पेक्टर थे। पिता टिमोथी हांसदा सेंट्रल कोलफील्ड लिमिटेड में प्रधान लिपिक। आठ बहनों में सबसे छोटी अनिमा की प्रारंभिक शिक्षा पचंबा मिशन स्कूल में हुई।

By MritunjayEdited By: Published: Mon, 09 Aug 2021 06:53 AM (IST)Updated: Mon, 09 Aug 2021 09:28 PM (IST)
World Tribal Day 2021: अनिमा ने संताली भाषा में तलाश लिया जिंदगी का सार, पढ़िए जेपीएससी की पहली महिला सदस्य की सफलता की कहानी
झारखंड लोकसेवा आयोग की पहली आदिवासी महिला सदस्य अनिमा हांसदा ( फाइल फोटो)।

दिलीप सिन्हा, गिरिडीह। World Tribal Day 2021 झारखंड लोकसेवा आयोग की पहली आदिवासी महिला सदस्य गिरिडीह निवासी डा. अनिमा हांसदा। राजनीति विज्ञान व संताली भाषा में स्नातकोत्तर अनिमा ने बचपन से ही शिक्षा का महत्व समझ लिया था। संताली भाषा से भी गजब का लगाव। सो, इसे अपनी जिंदगी का सार बना लिया। रांची के गोस्सनर कालेज में संताली भाषा विभाग की प्रमुख डा. अनिता अब बच्चों को संताली भाषा विज्ञान के गूढ़ रहस्य से परिचित करा रही हैं। एक ही संदेश देती हैं कि इस सांस्कृतिक विरासत को संजोकर रखना। आज पूरा आदिवासी समाज इस बेटी पर गर्व कर रहा है।

loksabha election banner

शुरू से संताली भाषा में पढ़ाई करने की इच्छा

गिरिडीह के झलकडीहा गांव की रहने वाली डा. अनिमा के दादा रेंगटा गोपाल हांसदा अंग्रेजी हुकूमत में स्कूल इंस्पेक्टर थे। पिता टिमोथी हांसदा सेंट्रल कोलफील्ड लिमिटेड में प्रधान लिपिक। आठ बहनों में सबसे छोटी अनिमा की प्रारंभिक शिक्षा पचंबा मिशन स्कूल में हुई। वह विज्ञान पढऩा चाहती थीं। मगर संसाधन नहीं थे। मैट्रिक संत मार्गेट स्कूल रांची से किया। घर वालों ने टीचर्स ट्रेनिंग करने की सलाह दी, उन्होंने उच्च शिक्षा की राह पकड़ी। संताली भाषा में पढ़ाई की करने की इच्छा थी, मगर तब इसकी व्यवस्था नहीं थी। इंटर व स्नातक के बाद विनोबा भावे विश्वविद्यालय के संत कोलंबस कालेज हजारीबाग से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर 1992 में किया।

संताली भाषा के लिए रथयात्रा से हुई प्रभावित

अनिमा का विवाह संयुक्त बिहार में डीएसपी रहे अंजेेलुस इंदवार से हो गया। जो बाद में एसपी बने। राजनीति शास्त्र में स्नातकोत्तर के बाद भी मन नहीं माना। समाज और अपनी भाषा के लिए कुछ करने का संकल्प था। यह वह समय था, जब मयूरभंज के तत्कालीन सांसद सालखन मुर्मू संताली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कराने के लिए रथयात्रा निकाल रहे थे। वे इससे प्रभावित हुईं। इसी भाषा को अपना भविष्य बनाया। इसके उत्थान को निकल पड़ीं। अपनी भाषा के प्रति समर्पण को समाज को जागरूक करने लगीं। रांची विश्वविद्यालय से संताली में स्नातकोत्तर व फिर पीएचडी की। गोस्सनर कालेज में संताली विभाग की विभागाध्यक्ष बनीं।

बच्चों को बचपन से बताई शिक्षा की महत्ता

डा. अनिमा के पांच बेटियां व एक बेटा है। खुद साइंस की पढ़ाई नहीं कर पाने वाली अनिमा ने बेटियों व बेटे की विज्ञान में रुचि देख उन्हें यह विषय पढ़ाए। बेटियां नौकरी कर रहीं हैं। बेटा बीआइटी मेसरा से सिविल इंजीनियङ्क्षरग की पढ़ाई। डा. अनिमा कहती हैं कि आदिवासी बेटियां अभाव का रोना न रोएं। हिम्मत और लगन से आगे बढ़ें, सफलता कदम चूम लेगी। शिक्षा रूपी हथियार से सब कुछ हासिल कर सकते हैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.