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अपनों से घिरे तो भाईजी ने दिखाए तेवर, भाभी अवाक

विधायकजी का विकास कार्यों में मन नहीं लग रहा है। उनकी जीभ आउटसोर्सिंग की मलाई चाटने को लपलपाती हुई बढ़ती ही जा रही है। बीस सूत्री जैसी महत्वपूर्ण बैठक गोल कर मछली पार्टी ज्वाइन की।

By mritunjayEdited By: Published: Mon, 29 Oct 2018 04:13 PM (IST)Updated: Mon, 29 Oct 2018 04:13 PM (IST)
अपनों से घिरे तो भाईजी ने दिखाए तेवर, भाभी अवाक
अपनों से घिरे तो भाईजी ने दिखाए तेवर, भाभी अवाक

धनबाद, जेएनएन। देवर-भाभी का रिश्ता नया नहीं है। विधायकजी के जमाने से है। देवर जब भी राजनीतिक चक्रव्यूह में फंसते हैं तो बाहर निकालने में भाभी मदद करती हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में जब चचा उत्तर प्रदेश की बहनजी की हाथी पर चढऩे के लिए बेताब थे तो मोदी लहर के बावजूद देवर यानी भाईजी घबड़ा गए थे। भाभी का आशीर्वाद मिला तो चचा हाथी पर चढऩे से मान गए और देवर का चुनावी माहौल बना। अभी रायजी भाईजी को परेशान किए हुए थे तो भाभी ने ही मोर्चा संभाला। अब भाईजी भाभी के लोगों को जेल भेजवाने के लिए ललकार रहे हैं। पुलिस पर दबाव बना रहे हैं। देवर को समझना चाहिए कि विवाद कोई राजनीतिक तो है नहीं। ठेका-पïट्टी का विवाद है। पीटने वाले भाभी के मजदूर संगठन के आदमी हैं तो पिटाने वाले अपनी पार्टी के। देवर-भाभी एक ही पार्टी की राजनीति करते हैं। पीटने वाले भी चुनाव में काम आते हैं। वे सिंदरी के उभरते सितारे हैं। भाभी का झंडा बुलंद कर रहे हैं। विरोध करेंगे तो भाभी नाराज होगी। खामियाजा भुगतना पड़ेगा। घर में कार्यकर्ताओं द्वारा हाउस अरेस्ट किए जाने के बाद भाभी की परवाह न कर देवर ने तेवर दिखाए हैं। पीटने वाले की गिरफ्तारी के लिए पुलिस को चेतावनी दी है। चेतावनी का असर भी दिख रहा है। चेतावनी मिलते ही पुलिस एक्टिव मोड में आ गई। शहरीबाबू लकी को पकडऩे थाने पहुंच गए। देवर के तेवर देख भाभी अवाक हैं। जवाब देगी! इंतजार कीजिए। 

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आउटसोर्सिंग की मलाईः विधायकजी का भी विकास कार्यों में मन नहीं लग रहा है। उनकी जीभ आउटसोर्सिंग की मलाई चाटने को लपलपाती हुई बढ़ती ही जा रही है। विकास कार्यों के लिए बीस सूत्री जैसी महत्वपूर्ण बैठक को गोल कर मछली पार्टी ज्वाइन की। उनके सौजन्य से दो सौ किलो मछली बनी। कार्यकर्ताओं ने मछली खाने के बाद विधायकजी का गुण गया। आउटसोर्सिंग कंपनी पर कब्जे की रणनीति बनी। विधायकजी ने भी आउटसोर्सिंग कंपनी के खिलाफ भाषण देकर समर्थकों की हौसलाअफजाई की। यह बात भाईजी और उनके लोगों को नागवार गुजरी है। चितौडग़ढ़ में एंट्री बर्दाश्त नहीं की जाएगी। यह मछली पार्टी में ही दिख गई। भाईजी के लोगों ने अपने को किनारा कर लिया। पार्टी के पदाधिकारियों ने भी मछली पार्टी ज्वाइन नहीं की। 

नहीं गई ड्राइवरों वाली आदतः चर्चित पेट्रोल पम्प मालिक इन दिनों काफी चर्चे में है। ऊपर से फिट फाट-जिट जाट, भीतर से जर्जर। सोशल मीडिया में भी चर्चा आम है कि ये अपने सदन से निकलते हैं और तिवारी मोहल्ले की कोठी में कैद हो जाते हैं। लालरेखाओं का चक्कर है या कुछ और, लेकिन इनकी लग्जरी गाड़ी नियत स्थान में देर रात तक लगी रहती है। बेमेल दोस्ती के खेल निराले। मोहल्ले में काफी आक्रोश है। कभी भी अनहोनी हो सकती है। पैसे के बल पर सारी हदें पार कर दी है शर्मा जी ने। इनकी करतूतों से शर्म को भी शर्म आती होगी, लेकिन बेशर्म बने हुए हैं। साहब आप वो दिन भी याद करिये जब आप टेंकर के ड्राइवर थे, सारा वक्त डाउनफील्ड इलाके में गुजरता था। आज चालक से पम्प और कई प्रतिष्ठानों के मालिक बन गए हैं। सौ ठो टैंक-लॉरी भी हो गए है, एक-दो पम्प भी हो गये हैं। आदत को सुधारिए। वरना लखपति से खाकपति बनते देर नहीं लगती। ये नशा अच्छी नहीं है। जरा संस्कारी बनिये साहब। 

पद गंवा कर भी होश नहींः कोयला कंपनी में अर्श से फर्श पर आने के बाद भी साहब के होश ठिकाने नहीं लगे हैं। उसी बदनाम ठेकेदार के हाथ खेल रहे हैं जिसके कारण डिमोट कर प. बंगाल का रास्ता दिखा दिया गया। अब कोर्ट-कचहरी की लड़ाई लड़ेंगे। यह सब ठेकेदार की सलाह पर कर रहे हैं। आश्वासन मिला है, कोर्ट-कचहरी में लड़ाई हार भी गए तो चिंता की बात नहीं। हमारी आउटसोर्सिंग कंपनी में आपके लिए सीएमडी की कुर्सी होगी। 


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