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KBC 2020: कतरास की रूबी सिंह ने केबीसी में वानर राज सुग्रीव की पत्नी का नाम बताकर जीता 25 लाख, क्या आपको पता है?

KBC 2020 कतरास की रूबी सिंह ने कौन बनेगा करोड़पति के 12वें सीजन में 25 लाख का पुरस्कार जीता है। शुक्रवार को प्रसारित एपिसोड में उन्होंने 13वें प्रश्न के तौर पर यह पुरस्कार जीता। इसी वर्ष मई में पहली बार केबीसी रूबी ने केबीसी का टेलिफोनिक ऑडिशन दिया था।

By Sagar SinghEdited By: Published: Sat, 07 Nov 2020 07:54 AM (IST)Updated: Sat, 07 Nov 2020 08:10 AM (IST)
KBC 2020: कतरास की रूबी सिंह ने केबीसी में वानर राज सुग्रीव की पत्नी का नाम बताकर जीता 25 लाख, क्या आपको पता है?
कौन बनेगा करोड़पति कार्यक्रम में पूछे गए प्रश्न का उत्तर देती रूबी सिंह। (साभार)

धनबाद, जेएनएन। कतरास के खरखरी इलाके की रूबी सिंह ने कौन बनेगा करोड़पति के बारहवें सीजन में 25 लाख का पुरस्कार जीता है। शुक्रवार को प्रसारित एपिसोड में उन्होंने 13वें प्रश्न के तौर पर यह पुरस्कार जीता। 13वां प्रश्न अमिताभ बच्चन ने पूछा कि अज़ीम उश शान किस मुगल शासक के पौत्र थे जिनके नाम पर 1704 में पटना का नाम अजीमाबाद कर दिया गया था, इसका सही जवाब औरंगजेब था। जवाब न देने पर केबीसी होस्ट कर रहे अमिताभ बच्चन ने प्रश्न बदल दिया।

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इसके बाद दूसरा प्रश्न पूछा, वाल्मीकि रामायण के अनुसार सुग्रीव की पत्नी का क्या नाम था, जिसे बाली ने बलपूर्वक छीन लिया था। इसका जवाब रूबी ने लाइफलाइन लेकर दिया और 25 लाख जीत लिया। बाली की पत्नी का नाम रूमा था। 14वां प्रश्न अमिताभ बच्चन ने पूछा, जिसका जवाब रूबी नहीं दे सकीं। उन्होंने गेम बीच में ही छोड़ना मुनासिब समझा। 14वां प्रश्न भारत में प्रकाशित होने वाला पहला समाचार पत्र कौन सा था, पूछा गया। इसका सही जवाब हिकीज बंगाल गजट था, लेकिन रूबी इसका जवाब नहीं दे सकीं। रूबी के साथ उनके पति राजकुमार सिंह भी मौजूद थे।

2010 से केबीसी में जाने की कर रही थी कोशिश : इसी वर्ष मई में पहली बार रूबी ने केबीसी का टेलिफोनिक ऑडिशन दिया था। कई चरणों को पार करने के बाद रूबी का चयन फाइनल राउंड के लिए हुआ। केबीसी के फास्टेस्ट फिंगर फर्स्ट में सबसे तेज जवाब देकर रूबी अमिताभ बच्चन के साथ हॉट सीट पर पहुंचीं। रूबी ने बताया कि 2010 से वह और उनके पिता स्वर्गीय कामेश्वर सिंह मिलकर केबीसी की हॉट सीट तक पहुंचने की कोशिश करते थे, लेकिन यह संभव नहीं हो पाया। 2017 में उनके पिता का निधन हो गया। रूबी को अफसोस है कि केबीसी की हॉट सीट पर बैठते हुए उनके पिता नहीं देख पाएंगे। लेकिन साथ ही इस बात की खुशी है कि पिता की इच्छा को आखिरकार उन्होंने केबीसी में पहुंचकर पूरा कर दिया। रूबी को इस बात का अफसोस जरूर है कि 50 लाख के प्रश्न का जवाब नहीं दे सकी, जबकि उन्हें कहीं ना कहीं से लग रहा था कि सही जवाब हिकीज बंगाल गजट ही है।

2012 में हुआ था चयन पर पहुंच नहीं पाईं: बिहार के कटिहार में बतौर शिक्षिका काम कर रही रूबी सिंह ने बताया कि 2012 में भी एक बार उनका चयन हुआ था। उनके मोबाइल पर यह सूचना आई थी, लेकिन वह उस समय ट्रेन में यात्रा कर रही थी। आवाज साफ सुनाई नहीं दी। बाद में कोशिशों के बावजूद केबीसी से संपर्क नहीं कर पाई। रूबी ने इस सफलता का श्रेय भाई रामवीर सिंह, बहन साधना सिंह और शिक्षक सुरेन्द्र महतो, अनन्त महेंद्र और विश्वजीत को दिया।


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