150 साल से हैं, नहीं छोड़ेंगे करकेंद
धनबाद बीसीसीएल ने करकेंद बाजार और आसपास के इलाके को अग्नि व भू-धंसान प्रभावित क्षेत्र बताते
धनबाद : बीसीसीएल ने करकेंद बाजार और आसपास के इलाके को अग्नि व भू-धंसान प्रभावित क्षेत्र बताते हुए इसे तत्काल खाली करने की अपील की है। इस इलाके में करीब 200 से अधिक रैयत हैं। इनकी जमीन व मकान हैं। जरेडा ने इन इलाकों का सर्वे किया है। बावजूद इन्हें बसाने का कोई प्रबंध नहीं किया है। रैयतों का कहना है कि हम क्यों अपनी जमीन खाली करें। पहले यह तो बताया जाए कि हमारे लिए क्या योजना बन रही है।
इनका कहना है कि जरेडा ने अभी तक रैयतों के लिए पुनर्वास पैकेज को मंजूरी ही नहीं दी है। बेलगढि़या में सिर्फ अतिक्रमणकारियों को ही बसाने का प्रावधान है। बावजूद इलाका खाली करने का फरमान जारी किया गया। इससे आक्रोश है। हमें बताया जाए कि आखिर हम कहां जाएं। कोट
कोयला खदान के राष्ट्रीयकरण के पूर्व डेढ़ सौ वर्षों से करकेंद बाजार बसा हुआ है। गल्ला पट्टी, कलाली पट्टी, करकेंद बाजार, बंसल स्टेट में यहां अपने पांच पीढि़यों से रहते आ रहे हैं। हम रैयत हैं। बीसीसीएल प्रबंधन करकेंद बाजार को असुरक्षित क्षेत्र बताकर मनमानी कर रहा है।
महामाया पांडेय, स्थानीय निवासी, करकेंद बाजार मेरी जमीन की रजिस्ट्री वर्ष 1918 में हुई है। सरकार को मालगुजारी भी दी जा रही थी। जो फिलहाल बंद करदी गई है। प्रबंधन कोयला के लिए इलाके को उजाड़ना चाहती है। प्रबंधन को बताना चाहिए कि उनके पुनर्वास की उसके पास क्या योजना है।
कमल अग्रवाल, व्यवसायी, करकेंद गल्ला पट्टी
प्रबंधन ने एनएच 32 के पश्चिमी साइड के करकेंद बाजार को असुरक्षित क्षेत्र बताया है। उन जगहों पर पूर्व के वर्षों में कभी भी भूधंसान जैसी घटना घटित नहीं हुई है। करकेंद बाजार कपड़ा और गल्ले का मुख्य बाजार है। ऐसे परिस्थिति में नोटिस जारी कर यह बता देना कि यह असुरक्षित व अग्नि प्रभावित क्षेत्र है, प्रबंधन की गैरजिम्मेदाराना हरकत है।
आनंद खंडेलवाल, व्यवसायी, हटिया मंदिर गल्ला पट्टी प्रबंधन और डीजीएमएस मिलीभगत कर आउटसोर्सिंग चलाने वाले इलाकों को अग्नि प्रभावित घोषित करते हैं। इसका जीता जागता उदाहरण धनबाद-चंद्पुरा रेल लाइन है। नोटिस जारी कर प्रबंधन अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रही है। गोपालीचक प्रबंधन की इस हरकत से 50 हजार लोग बेरोजगार हो जाएंगे।
रंजीत उर्फ बबलू सिंह, अध्यक्ष, ग्रामीण एकता मंच