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कमलेश तिवारी की हत्या संवैधानिक व्यवस्था को खुली चुनौती, इसके पीछे पाकिस्तान का भी हाथ Dhanbad News

कमलेश तिवारी ने जो बयानबाजी की थी उसकी उसकी सजा वे जेल जाकर भुगत चुके थे। लेकिन एक समुदाय विशेष ने उनकी हत्या की खुली घोषणा की और जानवर की तरह गला रेत कर हत्या कर भी दी।

By MritunjayEdited By: Published: Thu, 24 Oct 2019 09:46 AM (IST)Updated: Thu, 24 Oct 2019 09:46 AM (IST)
कमलेश तिवारी की हत्या संवैधानिक व्यवस्था को खुली चुनौती, इसके पीछे पाकिस्तान का भी हाथ Dhanbad News
कमलेश तिवारी की हत्या संवैधानिक व्यवस्था को खुली चुनौती, इसके पीछे पाकिस्तान का भी हाथ Dhanbad News

धनबाद, जेएनएन। हिंदू समाज पार्टी के नेता कमलेश तिवारी की हत्या संवैधानिक व्यवस्था को खुली चुनौती है। कहना है राष्ट्रवादी वक्ता व पत्रकार पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ का। वे धनबाद के राजकमल सरस्वती विद्या मंदिर में राष्ट्रीय सुरक्षा व वर्तमान चुनौतियां विषयक संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। संगोष्ठी का आयोजन भारत विकास परिषद एवं डॉ. हेडगेवार जन्म शताब्दी सेवा समिति की ओर से किया गया था।

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संगोष्ठी में कुलश्रेष्ठ ने कहा कि कमलेश तिवारी ने जो बयानबाजी की थी उसकी उसकी सजा वे जेल जाकर भुगत चुके थे। लेकिन एक समुदाय विशेष ने उनकी हत्या की खुली घोषणा की और जानवर की तरह गला रेत कर हत्या कर भी दी। यदि किसी को किसी से विरोध हो तो संवैधानिक व्यवस्था में उसे पुलिस के पास जाना चाहिए। लेकिन उसके इतर स्वयं से सजा देना यह संवैधानिक व्यवस्था को खुली चुनौती देना है। यह सरिया व्यवस्था हो सकती है। यह घटना बताती है कि देश के 20 करोड़ की आबादी सरिया को मानती है संविधान को नहीं। यह घटना राष्ट्रीय सुरक्षा को भी खुली चुनौती है।

शक्ति से आती है शांतिः बुधवार की शाम आयोजित संगोष्ठी में कुलश्रेष्ठ ने कहा कि दुनिया में शांति शक्ति से आती है। आप शक्तिशाली हों तो दुनिया आपके साथ है। पहले भारत कहता था कि हम पहले हमला नहीं करेंगे। अब कहता है कि हम परमाणु हथियारों का भी इस्तेमाल अपनी परिस्थिति देख कर करेंगे। पहले इस्तेमाल न करने की नीति हमने छोड़ दी। पूरा विश्व अब हमारे साथ है। दशक भर पहले ऐसा सोचना भी गुनाह था। उन्होंने कहा कि यदि चरखे से ही आजादी आई तो भगत सिंह, सुभाषचंद्र बोस जैसों की शहादत का क्या मतलब रहा?

कश्मीर में बसे भारत फिर हो पंडितों का पुनर्वासः कुलश्रेष्ठ ने कहा कि कश्मीर में फिलहाल पंडितों की घरवापसी में अड़चन है। पहले वहां की व्यवस्थाओं का भारतीयकरण होना चाहिए। वहां के प्रशासन में जो आतंकपरस्त लोग घुसे हुए हैं उन्हें निकालना होगा। 370 और 35 ए समाप्त होने के साथ ही जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद अब वहां की पुलिस केंद्र के मातहत काम करेगी। सरकार ने वहां के मंदिरों का पुनरुद्धार शुरू कर दिया है। इससे पंडितों का आत्मविश्वास बढ़ेगा। सबसे बड़ी बात यह हुई कि 60 फीसद भूमि जिसे मात्र सात फीसद आबादी ने गुलाम बना रखा था वह लद्दाख घाटी के लोगों के कब्जे से मुक्त हो गया। 35 ए के तहत 2.5 लाख भंगियों को सिर्फ सफाई व्यवस्था की नौकरी के लायक ही समझा गया था उन्हें अब उनका मौलिक अधिकार मिल गया। पाक अधिकृत कश्मीर से आए लगभग 10 लाख लोगों को वोटिंग का अधिकार मिला।

अब देश के अंदर स्लीपर सेल को सक्रिय कर रहा पाकः रॉ के पूर्व अधिकारी सेवानिवृत्त कर्नल आरएसएन सिंह ने कहा कि कमलेश तिवारी की हत्या स्थानीय स्लीपर सेल के द्वारा करवाया गया। अब यह लगभग तय हो गया है कि इसमें पाकिस्तान का भी हाथ है। ऐसा देश में विद्वेष का माहौल बनाने के लिहाज से किया गया। सिंह ने कहा कि भारत की गुप्तचर संस्थाओं की सजगता और सशस्त्र बलों की सक्रियता के कारण पाकिस्तान अपने यहां से आतंकियों को भेजकर देश को अस्थिर कर पाने में नाकाम हो रहा है। लिहाजा उसने देश के अंदर से ही अपने स्लीपर सेल को सक्रिय करने की रणनीति बनाई है। ऐसे में हमें जाति व क्षुद्र स्वार्थ भुलाकर आपसी एकता को बनाए रखना होगा। इसी ङ्क्षहदू एकता के बल पर हमने उस स्थिति को बदल दिया है जिसमें देश भर में एक साथ बम ब्लास्ट होते थे। इसी एकता की बदौलत हम इन स्लीपर सेल्स को भी कुचलने में कामयाब होंगे।

333 को खत्म करे सरकारः संगोष्ठी से पूर्व पत्रकार वार्ता में पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ ने कहा कि अनुच्छेद 370 की तरह ही सरकार को अनुच्छेद 333 भी खत्म करना चाहिए। नेहरू सरकार की गलत नीतियों में यह भी शामिल है। इसके कारण दो सीटें एंग्लो इंडियन के लिए रिजर्व है। उनके प्रतिनिधि ही कितने हैं। बहुत से ऐसे समुदाय हैं जिनके लोग संसद नहीं पहुंचे, कितनों के लिए सरकार ने सीटें रिजर्व की हैं। पीओके से आए 10 लाख लोग अब तक कश्मीर के विधानसभा चुनाव में वोटिंग नहीं कर पाए। क्यों न उनके लिए सीटें रिजर्व हों।


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