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श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के परिचालन में ही हांफने लगा रेलवे, 344 मिनट लेट चल रही कालका-धनबाद स्पेशल Dhanbad News

कालका-धनबाद श्रमिक स्पेशल ट्रेन को मंगलवार की शाम 4.30 पर धनबाद पहुंचना था लेकिन अभी प्रयागराज ही पहुंची है। ऐसे में अब रात दो बजे के बाद पहुंचने की संभावना है।

By Sagar SinghEdited By: Published: Tue, 26 May 2020 04:46 PM (IST)Updated: Tue, 26 May 2020 04:46 PM (IST)
श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के परिचालन में ही हांफने लगा रेलवे, 344 मिनट लेट चल रही कालका-धनबाद स्पेशल Dhanbad News
श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के परिचालन में ही हांफने लगा रेलवे, 344 मिनट लेट चल रही कालका-धनबाद स्पेशल Dhanbad News

धनबाद, जेएनएन। जिस श्रमिक स्पेशल ट्रेन को मंगलवार की शाम 4.30 पर धनबाद पहुंचना था, वो अभी प्रयागराज ही पहुंची है। ऐसे में अब इस ट्रेन के रात दो बजे के बाद ही धनबाद पहुंचने की संभावना है। ऐसा तभी मुमकिन होगा जब प्रयागराज से खुलने के बाद ट्रेन बिना रुके चलेगी।

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जी हां, सोमवार की शाम छ: बजे कालका से धनबाद के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेन चली थी। इस ट्रेन में धनबाद समेत झारखंड के कई जिलों के लगभग 1200 कामगार सवार हैं। धनबाद को सुबह दी गयी सूचना में 04540 कालका-धनबाद श्रमिक स्पेशल ट्रेन के 344 मिनट लेट होने की जानकारी दी गयी है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि जब देश भर में यात्री ट्रेनों का परिचालन बंद है तो स्पेशल ट्रेनें क्यों लेट हो रही हैं?

आखिर क्यों लेट हो रही श्रमिक स्पेशल ट्रेनें : श्रमिक स्पेशल ट्रेनों की जब शुरूआत हुई थी तो उस वक्त ज्यादातर ट्रेनें समय से पहले अपने गंतव्य तक पहुंच रही थीं। केरल के कोझिकोड (कालीकट) से धनबाद आनेवाली श्रमिक स्पेशल डेढ़ घंटे पहले पहुंच गई थी। वहीं, मौजूदा समय में श्रमिक स्पेशल ट्रेनें घंटों लेट चल रही हैं। इससे ट्रेनें में सफर कर रहे यात्रियों को खाने-पीने व अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इसपर रेल अधिकारी कहते हैं कि पहले ट्रेनें सीमित थीं और अब सैकड़ों श्रमिक स्पेशल चल रही हैं। ट्रैफिक बढ़ गया है जिससे लेट लतीफी बढ़ गयी है।

रेलवे के पास नहीं है पर्याप्त रेक : वहीं, रेलवे के चालक और गार्ड का तर्क है कि वन वे ट्रैफिक की वजह से ट्रेनें लेट हो रही हैं। उदाहरण के तौर पर सूरत से धनबाद आनेवाली श्रमिक स्पेशल ट्रेन के पहुंचने के बाद उसका खाली रेक वापस भेजा जाता है। उसके पहुंचने के बाद फिर सैनिटाइज कर वही रेक दूसरी जगह के लिए खुलती है। इनका कहना है कि रेलवे के पास इतनी रेक ही नहीं कि एक साथ अलग-अलग जगहों के लिए स्पेशल ट्रेन चलाई जाए। दूसरी ओर, वापस लौटने वाली खाली रेक के लिए ट्रैक भी हर समय खाली नहीं मिल रहा है। उन्हें घंटों रोक दिया जा रहा है जिससे लेट लतीफी बढ़ रही है।


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