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झारखंड अभिभावक संघ ने की सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों को झारखंड में लागू करने की मांग Dhanbad News

स्कूल फ़ीस के संबंध में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए दिशा निर्देशों का झारखंड अभिभावक संघ धनबाद ने स्वागत किया है। इस विषय पर स्वत संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशें को भी राज्य के प्राइवेट स्कूलों में जल्द से जल्द लागू कराए।

By Atul SinghEdited By: Published: Wed, 05 May 2021 05:05 PM (IST)Updated: Wed, 05 May 2021 05:05 PM (IST)
झारखंड अभिभावक संघ ने  की सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों को झारखंड में लागू करने की मांग Dhanbad News
सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशें को भी राज्य के प्राइवेट स्कूलों में जल्द से जल्द लागू कराए। (प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर)

धनबाद, जेएनएन : स्कूल फ़ीस के संबंध में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए दिशा निर्देशों का झारखंड अभिभावक संघ, धनबाद ने स्वागत किया है. वहीं संघ राज्य सरकार से निवेदन करता है कि इस विषय पर स्वत संज्ञान लेते हुए सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशें को भी राज्य के प्राइवेट स्कूलों में जल्द से जल्द लागू कराए।

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कॉरोना काल में निजी स्कूलो द्वारा सरकारी आदेशों का खुलेआम अवहेलना कर प्राइवेट स्कूल मनमाने ढंग से ट्युशन फ़ीस में बढ़ोतरी कर दिया है. बल्कि वार्षिक शुल्क एवं विभिन्न मदों में शुल्क की वसुली अभिभावकों से कर रहा है. इसके खिलाफ झारखंड अभिभावक संघ धनबाद ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग, उपायुक्त, जिला शिक्षा पदाधिकारी सहित मुख्यमंत्री तक शिकायत दर्ज कराई है।

बावजूद इसके संबंधित विभाग की ओर से इस संबंध में अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुआ है. आज भी शहर के कई बड़े पब्लिक स्कूलों ने ने फीस नहीं देने वाले छात्रों को ऑनलाइन पढ़ाई से वंचित कर रहा है बल्कि उन्हें टेस्ट से भी वंचित कर रहा है।

इस संबंध में अभिभावको द्वारा लगातार मिल रहे शिकायतो से लगभग सभी संबंधित पदाधिकारीयो को अवगत कराया गया है. झारखंड अभिभावक संघ के धनबाद जिलाध्यक्ष कैप्टन प्रदीप मोहन सहाय ने कहा है इस संबंध में संघ मांग करता है कि सुप्रीम कोर्ट एवं झारखंड सरकार के द्वारा दिए गए दिशा निर्देशों का पालन अविलंब हो, जिससे जिले के हज़ारो अविभावको एवं बच्चों को मानसिक तनाव से मुक्ति मिलेगी। 

झारखंड अभिभावक संघ जिले के सभी स्कूलो से आग्रह करता है कि किसी भी कारण से छात्रों को ऑनलाइन पढ़ाई से वंचित ना किया जाए अन्यथा संघ न्यायालय के दर पर भी जाने को तैयार है।


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