मणीन्द्र मंडल हत्याकांड: हाई कोर्ट का फैसला जेल में बंद विधायक संजीव के लिए बड़ी राहत
हाई कोर्ट रांची से सभी आरोपितों का बरी होना विधायक संजीव सिंह के लिए बड़ी राहत के समान है।
धनबाद, जेएनएन। यूं तो धनबाद जेल में बंद झरिया से भाजपा विधायक संजीव सिंह का झामुमो नेता मणींद्र मंडल हत्याकांड से कोई लेना-देना नहीं है। वह न तो हत्याकांड में प्रत्यक्ष या प्रत्यक्ष रूप से जुड़े रहे हैं और न ही आरोपितों की तरफ से कानूनी लड़ाई लड़ रहे थे। बावजूद हत्याकांड में शामिल सभी आरोपितों का हाई कोर्ट रांची से बाइज्जत बरी होना संजीव के लिए बड़ी राहत के समान है।
पूर्व झामुमो जिलाध्यक्ष मणीन्द्रनाथ मंडल हत्याकाड में बुधवार को हाईकोर्ट रांची का फैसला आया। इस मामले में उम्र कैद की सजा काट रहे विधायक संजीव सिंह के मामा पवन सिंह, संजय सिंह एवं पिंटू सिंह को बड़ी राहत मिली है। झारखण्ड उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति एचसी मिश्रा एवं बीबी मंगलमूर्ति की खंडपीठ ने निचली अदालत द्वारा दी गई उम्र कैद की सजा के आदेश को निरस्त करते हुए रिहा कर दिया है। बचाव पक्ष की ओर से उच्च न्यायालय में धनबाद के अधिवक्ता अनूप कुमार सिन्हा एवं अभय कुमार सिन्हा ने बहस की। अधिवक्ता सिन्हा ने बताया कि अदालत ने अपने आदेश में कहा कि यह अचानक हुई घटना (ऑन द स्पर ऑफ द मूवमेंट) है। कोर्ट ने इस वारदात को पूर्वनियोजित हत्या (प्री मेटिडिकेटेड कॉमन इंटेंशन) का केस नहीं माना। बचाव पक्ष ने भी अपने दलील में कहा था कि मणीन्द्र मंडल की राजीव रंजन के साथ बाताबाती हुई थी और इसी क्रम में गोली चली थी। अपीलार्थियों के विषय में अभिलेख पर ऐसा कोई साक्ष्य नहीं था जो यह साबित करता हो कि राजीव रंजन के साथ मिलकर उन लोगों ने मणीन्द्र की हत्या की थी।
महाअष्टमी के दिन हुई थी : राजेन्द्र प्रसाद विश्वकर्मा के फर्द बयान पर सरायढेला थाने में दर्ज प्राथमिकी के अनुसार 12 अक्टूबर 1994 महाअष्टमी के दिन स्टील गेट के पास रात करीब 8:15 बज रहे थे। सरायढेला दुर्गा पूजा समिति के संरक्षक मणीन्द्रनाथ मंडल (मुखिया जी) व समिति सचिव राजेन्द्र प्रसाद विश्वकर्मा भीड़ को व्यवस्थित करने में लगे थे। मुख्य पूजा पंडाल को देखने के लिए दूर से हजारों की भीड़ आई हुई थी। सड़क पर पैर रखने तक की जगह नहीं थी। इतने में एक उजले रंग की जिप्सी बीआर17सी-7007 स्टील गेट की तरफ से भीड़ को चीरते हुए घुसी। जिप्सी में राजीव रंजन सिंह, पवन सिंह, पिंटू सिंह और संजय सिंह सवार थे। सचिव व संरक्षक ने भीड़ में जाने से रोका। काफी समझाया और अनुरोध किया कि बाईपास होकर चले जाएं। इतने में राजीव रंजन सिंह जिप्सी से उतरा और कहा कि पहचान नहीं रहे हो और मणीन्द्र के सिर में पिस्टल सटाकर गोली दाग दी। मणीन्द्र गिर पड़े। चारों हवाई फायर करते हुए गोविन्दपुर की ओर भागे। मणीन्द्र को सेंट्रल अस्पताल ले जाया गया जहा 17 अक्टूबर को उनकी मौत हो गयी।
तोपचांची में पुलिस से हुई थी मुठभेड़ : मणीन्द्र को गोली मार चारों जिप्सी से भाग गए तो पुलिस ने वायरलेस से सूचना प्रसारित की। तोपचाची पुलिस के साथ चारों की मुठभेड़ हुई। पुलिस ने चेतावनी देते हुए दो राउंड फायर किया। आरोपितों ने भी जवाबी फायर किए। आखिरकार पुलिस ने चारों को पकड़ा। जिप्सी से एक पिस्टल व जिन्दा गोली बरामद की गयी। वहीं पुलिस ने 12 बोर के कारतूस के कई खोखे भी बरामद किए थे। इस संबंध में राजीव समेत उपरोक्त अन्य के खिलाफ तोपचाची थाने में दूसरी प्राथमिकी विभिन्न धाराओं में दर्ज की गई थी। तोपचाची थाना प्रभारी उदय प्रसाद सिंह की शिकायत पर यह मामला दर्ज किया गया था। इस मामले में भी पवन सिंह को सजा हुई थी। जिसमें पवन सिंह उच्च न्यायालय से जमानत पर है।
झरिया विधायक को मिलेगा सबल : मणीन्द्र मंडल हत्याकांड में हाई कोर्ट से बरी संजय सिंह, पिंटू सिंह और पवन सिंह झरिया के विधायक संजीव सिंह के पारिवारिक शुभचिंतक और समर्थक माने जाते हैं। पवन सिंह तो विधायक के मामा हैं। जबकि संजय सिंह और पिंटू सिंह विधायक के बड़े भाई राजीव रंजन सिंह के दोस्त। राजीव रंजन की रहस्यमय ढंग से अपहरण और हत्या के बाद से संजय सिंह हर संकट की घड़ी में उनके परिवार के लोगों के साथ खड़े रहते आए हैं। अब जब कांग्रेस नेता पूर्व डिप्टी मेयर नीरज सिंह हत्याकांड में विधायक संजीव जेल में बंद हैं तो उनके लिए संजय सिंह मददगार साबित हो सकते हैं। इस समय विधायक के चाचा रामधीर सिंह भी विनोद सिंह हत्यकांड में सजा सुनाये जाने के बाद कैद हैं। ऐसे समय शुभचिंतक समर्थकों का जेल से छूटना विधायक के लिए राहत से कम नहीं। ----------------------
हम सुप्रीम कोर्ट तक जाएंगे : रेखा
धनबाद : हाई कोर्ट का फैसले पर झाविमो नेत्री व स्वर्गीय मणींद्र मंडल की पत्नी रेखा मंडल ने निराशा जताई है। उन्होंने कहा कि वह इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट तक जाएंगी। उन्होंने कहा कि सरकार इस केस में पूरी तरह फेल रही है। तथ्यों को सही तरीके से नहीं रखा गया जिसके कारण ऐसा निर्णय आया है। उन्होंने कहा कि यह फैसला अचानक आया। उन्हें सुनवाई की जानकारी भी नहीं थी। लेकिन वे चुप नहीं बैठेंगी। मणींद्र के हत्यारों को सजा दिलाकर रहेंगी। मर्डर हुआ है कोई मजाक नहीं।