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Maithon Power Plant: अशोक ने अरुप पर साधा निशाना, कहा-MPL को बंद कराना चाहते विधायक

2014 के चुनाव में अरुप ने निरसा को इंडस्ट्री हब बनवाने का दावा किया था। पिछले चुनाव से बंद पड़े हैरी फैक्ट्री केएमसीईएल को खुलवाने का दावा कर रहे थे। कोई भी कारखाना नहीं खुला।

By mritunjayEdited By: Published: Wed, 12 Jun 2019 10:17 AM (IST)Updated: Wed, 12 Jun 2019 10:17 AM (IST)
Maithon Power Plant: अशोक ने अरुप पर साधा निशाना, कहा-MPL को बंद कराना चाहते विधायक
Maithon Power Plant: अशोक ने अरुप पर साधा निशाना, कहा-MPL को बंद कराना चाहते विधायक

निरसा, जेएनएन। एमपीएल में कार्य का बहिष्कार को लेकर चल रहे आंदोलन अब राजनीतिक रूप ले लिया है। एमपीएल कामगार यूनियन व एमपीएल स्थानीय विस्थापित समिति द्वारा आंदोलन जारी है। इसे लेकर मंगलवार को झामुमो नेता अशोक मंडल ने विधायक अरूप चटर्जी को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि डीवीसी मैथन के निर्माण में 52 सौ लोग, पंचेत डैम निर्माण में 10 हजार से ज्यादा लोग विस्थापित हुए। वहीं ईसीएल बीसीसीएल में हजारों लोग विस्थापित हैं। विधायक बताएं कि उन्होंने कितने विस्थापितों को हक दिलाने के लिए लड़ाई लड़ी। अब तक कितनों को नियोजन दिलाया।

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मंडल ने कहा कि अंकुर बायोकेमिकल, ओमबेस्को एवं निरसा क्षेत्र में संचालित विभिन्न इंडस्ट्रीज में कार्यरत मजदूरों को आज भी न्यूनतम मजदूरी का भुगतान नहीं हो रहा है।  विधायक ने आज तक क्यों नहीं प्रयास किया? एमपीएल के भोले-भाले मजदूरों को बरगलाने का काम कर विधायक अपनी राजनीतिक रोटी सेंकने में लगे हैं। यह बातें एमपीएल विस्थापित एवं स्थानीय समिति के अध्यक्ष अशोक मंडल ने प्रेस वार्ता में कहीं। उन्होंने कहा कि मजदूरों के वेतन वृद्धि एवं पदोन्नति मसले को लेकर विधायक जिस ढंग से आंदोलन कर रहे हैं। वह कहीं से भी जायज नहीं है। यदि फैक्ट्री बंद हो जाएगी तो फिर मजदूरों की स्थिति क्या होगी? विधायक चुनाव आते ही फैक्ट्रियां खुलवाने लगते हैं। 2014 के चुनाव में उन्होंने निरसा को इंडस्ट्री हब बनवाने का दावा किया था। पिछले चुनाव में वे बंद पड़े  हैरी फैक्ट्री, केएमसीईएल को खुलवाने का दावा कर रहे थे। परंतु कोई भी कारखाना नहीं खुला।

उन्होंने कहा कि निरसा की जनता का करोड़ों रुपए लेकर भागने वाले नन बैंकिंग कंपनियों का विधायक ने फीता काटकर उद्घाटन किया था। एमपीएल के शिलान्यास के दौरान तत्कालीन गृहमंत्री लालकृष्ण आडवाणी के आगमन पर विधायक अरूप चटर्जी के पिता तत्कालीन विधायक स्वर्गीय गुरदास चटर्जी ने इसका विरोध किया था। विधायक अरूप चटर्जी ने भी विस्थापितों द्वारा किए गए इकरारनामा को गलत बताया था। आज उसी इकरारनामे को आधार बनाकर लड़ाई लड़ रहे हैं। राज्य में आज तक विस्थापन नीति नहीं बनी। इन्होंने क्यों नहीं विधानसभा में इस पर सवाल उठाया। यदि विस्थापन नीति बन जाती तो विस्थापित को उनका हक एवं अधिकार मिल जाता। निरसा की जनता सब समझ रही है। चुनाव आते ही वे अपनी राजनीतिक दुकान चालू कर देते हैं।

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