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Happy New Year 2021: नए साल की अगवानी के जश्न में आतिशबाजी पर नहीं रोक, पहली बार एनजीटी ने जारी किया निर्देश

एनजीटी के इस निर्देश के आलोक में झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव राजीव लोचन बक्शी ने धनबाद समेत सभी जिला के उपायुक्तों और एसपी को पत्र जारी किया है। इसमें कहा है कि एनजीटी के निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित किया जाए।

By MritunjayEdited By: Published: Wed, 30 Dec 2020 09:26 AM (IST)Updated: Wed, 30 Dec 2020 09:26 AM (IST)
Happy New Year 2021: नए साल की अगवानी के जश्न में आतिशबाजी पर नहीं रोक, पहली बार एनजीटी ने जारी किया निर्देश
नए साल के स्वागत में हर साल आतिशबाजी की जाती है ( प्रतीकात्मक फोटो)।

धनबाद, जेएनएन। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) वायु प्रदूषण को लेकर बेहद संजीदा है। यही कारण है कि एनजीटी ने इस बार दीवाली के साथ-साथ क्रिसमस और 31 दिसंबर की रात नववर्ष के आगमन के लिए होने वाली पार्टियों पर भी है। एनजीटी ने इसको लेकर पहली बार महत्त्वपूर्ण दिशा निर्देश जारी किया है। इस बार नववर्ष की पूर्व संध्या पर मात्र 35 मिनट के लिए ही आतिशबाजी यानी पटाखे फोड़ने की अनुमति दी गई है। 11:55 से रात्रि 12:30 तक आतिशबाजी की जा सकेगी।

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गाइडलाइन अनुपालन के लिए डीसी-एसपी को पत्र

एनजीटी के इस निर्देश के आलोक में झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव राजीव लोचन बक्शी ने धनबाद समेत सभी जिला के उपायुक्तों और एसपी को पत्र जारी किया है। इसमें कहा है कि एनजीटी के निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित किया जाए। जो भी निर्देशों का उल्लंघन करते पाए जाएंगे उन पर आइपीसी की धारा 188 और वायु (प्रदूषण नियंत्रण एवं निवारण) अधिनियम 1981 की धारा 37 के तहत विधि सम्मत कार्रवाई की जाएगी

      पटाखा कितना हानिकारक

  • पटाखों के धुएं में लगभग 75 फीसद पोटेशियम नाइट्रेट, दस फीसद सल्फर तथा 15 फीसद तक कार्बन की मात्रा होती है।
  • पटाखों में कॉपर, बैडमियम लेड, नाइट्रेट, जिंक नाइट्रेट, मैग्निशयम, सोडियम, चारकोल, सल्फर, एल्यूमीनियम परकलोरेट, बेरियम नाइट्रेट तथा काला पाउडर जैसे रसायनों का भी इस्तेमाल होता है।

पटाखों से कार्बन मोनोऑक्साइड जहरीली, गंधहीन गैस निकलती है। यह हृदय की मांस पेशियों को नुकसान पहुंचाती है। सल्फर डाइआक्साइड ब्रोकाइटिस जैसी सांस की बीमारी पैदा करती है। इससे बलगम व गले की बीमारियां पैदा होती हैं। नाइट्रेट कैंसर जैसी बीमारियां, हाइड्रोजन सल्फाइड मस्तिष्क व दिल को नुकसान व बेरियम आक्साइड आंखों व त्वचा को नुकसान पहुंचाती है। क्रोमियम गैस सांस की नली व त्वचा में परेशानी पैदा करती है तथा जीव जंतुओं को नुकसान करती हैं। एनजीटी के निर्देशों का अनुपालन किया जाएगा। इसकी मॉनिटरिंग भी की जाएगी।

- आरएन चौधरी, क्षेत्रीय पदाधिकारी झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड


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