झारखंड पुलिस: मालखाना के बोझ से थानेदारों को मिलेगी मुक्ति, अब ऐसी होगी व्यवस्था
मालखाना में अलग से दारोगा नियुक्त करने की सहमति पुलिस एसोसिएशन की मांग पर की जा रही है। एसोसिएशन ने तर्क दिया था कि मालखाना का रख - रखाव से थानेदारों पर वर्कलोड बढ़ता है। जिसके कारण ठीक से रख -रखाव नहीं हो पाता है।
जासं, धनबाद। थाना में अब मालखाना का प्रभार देने में थानेदारों को माथापच्ची नहीं करनी पड़ेगी। इसके लिए अलग से दारोगा नियुक्त किये जाएंगे। राज्य स्तर पर इसकी सहमति बन गयी है। जल्द इसे लागू कर दिया जाएगा। मालखाना का प्रभार लेने -देने में थानेदारों को हमेशा से माथापच्ची करनी पड़ी है। थाना से ट्रांसफर होने के बाद उन्हें बार - बार आकर मालाखाना का चार्ज देने के लिए दूसरे थानेदारों को बोलना पड़ता है। वहीं दूसरे थानेदार चार्ज लेने से कतराते रहते है। कुछ बी गड़बड़ी होने पर पुलिस कर्मियों का वेतन तो रोक ही दिया जाता है। इसके अलावा रिटार्यमेंट के बाद पेंशन भी चालू नहीं होती है। अलग से दारोगा नियुक्त हो जाने के बाद यह परेशानी खत्म हो जाएगी।
पुलिस एसोसिएशन की मांग पर बनी सहमति
मालखाना में अलग से दारोगा नियुक्त करने की सहमति पुलिस एसोसिएशन की मांग पर की जा रही है। एसोसिएशन ने तर्क दिया था कि मालखाना का रख - रखाव से थानेदारों पर वर्कलोड बढ़ता है। जिसके कारण ठीक से रख -रखाव नहीं हो पाता है। जिला से ट्रांसफर होने के बाद ऐसे अफसरों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। एसोसिएशन की यह भी मांग है कि जिस दारोगा को मालखाना का इंचार्ज बनाया जाए उसे दो वर्ष तक उसी मालखाना की पोस्टिंग दी जाए। ताकि उस दारोगा को भी परेशानी न हो, और वह मालखाना का काम अच्छे से कर सके।
मालखाना में काैन से माल
मालाखाना में पुलिस कर्मियों के हथियार से लेकर अपराधियों से जब्त किये सारा समान को भी रखा जाता है। उसकी एक लिस्ट भी बनती है कि मालखाना में क्या - क्या मौजूद है। अवैध शराब, गांजा, हथियार, मोबाइल सभी मालखाना में जब्त रहते है। कई बार कोर्ट में इन समानों को प्रस्तुत करना पड़ता है। जिसके कारण इनके रख- रखवा की जिम्मेवारी बढ़ जाती है।