सरना धर्म कोड का प्रस्ताव पारित होने के बाद से धनबाद में झारखंड मुक्ति मोर्चा फ्रंट फुट पर
झारखंड विधानसभा में सरना धर्म कोड का प्रस्ताव पारित होने के बाद से झारखंड मुक्ति मोर्चा फ्रंट फुट पर आ गई है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने संसद में इसे पारित कराने को लेकर संघर्ष का ऐलान कर दिया है। ऐसे में मुख्यमंत्री के साथ पूरी पार्टी उठ खड़ी हुई है।
जागरण संवाददाता, धनबाद: झारखंड विधानसभा में सरना धर्म कोड का प्रस्ताव पारित होने के बाद से झारखंड मुक्ति मोर्चा फ्रंट फुट पर आ गई है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने संसद में इसे पारित कराने को लेकर संघर्ष का ऐलान कर दिया है। ऐसे में मुख्यमंत्री के साथ उनकी पूरी पार्टी उठ खड़ी हुई है। वहीं विपक्षी दल इसका काट खोज रहे हैं।
सरना धर्म कोड का प्रस्ताव विधान सभा में पारित होने के बाद से ही आदिवासी और झामुमो खुशी मना रहे हैं। इस मामले को लेकर पूर्व मंत्री सह टुंडी विधायक मथुरा प्रसाद महतो ने कहा कि आदिवासी समाज को राष्ट्रीय स्तर पर एक पहचान मिलेगी। प्रस्ताव के पारित होने से समाज के लोग खुश हैं। यह उनका अधिकार है। अब केंद्र सरकार की बारी है कि इसे मंजूरी दे। महतो ने कहा कि 2021 की जनगणना में सरना धर्म कोड को केंद्र सरकार स्थान नहीं देती है तो पार्टी और लोग आंदोलन करने को बाध्य होंगे। इसकी सारी जवाबदेही केंद्र सरकार और भाजपा की होगी। भाजपा ने कभी भी आदिवासी हित में काम नहीं किया है।
इधर झामुमो के धनबाद जिलाध्यक्ष रमेश टुडू ने कहा कि सरना धर्म कोड प्रस्ताव के पारित होना झारखण्ड वासियों के लिए यादगार दिन रहेगा। वर्षो से झारखंड के आदिवासी समुदाय केंद्र व राज्य सरकार से सरना कोड लागू करने की अपील करते आ रहे हैं। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में मौजूदा झारखंड सरकार ने सरना कोड को विधानसभा में मंजूरी दी है। पूर्व की भाजपा सरकार ने आदिवासी समुदाय को महज एक वोट बैंक ही समझा गया। राज्य सरकार ने अपने वादे को पूर्ण कर आदिवासियत को जिंदा रखने का काम किया है।