राज्यपाल रमेश बैस ने SKMU Dumka में किया हस्तशिल्प सर्टिफिकेट कोर्स की उद्घोषणा, शिक्षा को लेकर कह दी बड़ी बात
झारखंड के राज्यपाल रमेस बैस ने कहा कि सिदो-कान्हु मुर्मू विश्वविद्यालय प्रबंधन का यह दायित्व है कि वह ज्ञान आधारित शिक्षा युवाओं को दे। विश्वविद्यालय प्रबंधन यह सुनिश्चित करे कि कक्षाएं आधारभूत संरचनाएं और संसाधनों की कोई कमी छात्रों की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा में बाधक नहीं बने।
जागरण संवाददाता, दुमका। झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस ने कहा है कि सिर्फ उपाधि हासिल करने का कोई औचित्य नहीं है बल्कि ज्ञान की हमेशा कद्र होती है। इसलिए यह जरूरी है कि राज्य के शिक्षण संस्थान युवाओं के लिए ज्ञान आधारित शिक्षा पर ज्यादा ध्यान केंद्रित करें। राज्यपाल शनिवार को आजादी के 75वें साल की पूर्व संध्या पर दुमका के सिदो-कान्हु मुर्मू विश्वविद्यालय के प्रशाल कक्ष में आयोजित हस्तशिल्प सह पुस्तक प्रदर्शनी व हस्तशिल्प सर्टिफिकेट कोर्स के उद्घोषणा कार्यक्रम को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे।
ज्ञान आधारित शिक्षा की वकालत
राज्यपाल ने कहा कि सिदो-कान्हु मुर्मू विश्वविद्यालय प्रबंधन का यह दायित्व है कि वह ज्ञान आधारित शिक्षा युवाओं को दे। विश्वविद्यालय प्रबंधन यह सुनिश्चित करे कि कक्षाएं, आधारभूत संरचनाएं और संसाधनों की कोई कमी छात्रों की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा में बाधक नहीं बने। युवाओं में अनुशासन, नैतिकता और संस्कार का बोध होना चाहिए। युवाओं को सबसे पहले एक अच्छा व्यक्ति बनने की जरूरत है। उन्होंने विश्वविद्यालय प्रबंधन से कहा कि संताल हूल के महानायक सिदो-कान्हु, चांद-भैरव, फूलो-झानो के योगदानों से युवाओं को अवगत कराएं ताकि उन्हें यह जानकर गर्व महसूस हो कि आजादी के महानायक उनके क्षेत्र के थे।
युवाओं को शिक्षित करने के साथ देशभक्त बनाएं
राज्यपाल ने कहा कि विवि प्रबंधन का यह भी दायित्व ह कि वह युवाओं को निपुण बनाने के साथ देशभक्त बनाएं। कहा कि कोविड-19 से पूरी दुनिया जूझ रही है। इसका असर शिक्षण संस्थानों पर भी प्रतिकूल पड़ा है। लाकडाउन के कारण शैक्षणिक व्यवस्थाएं ठप रही है लेकिन इसके बावजूद सिदो-कान्हु मुर्मू विश्वविद्यालय प्रबंधन की ओर से उपलब्ध संसाधनों के माध्यम से शैक्षणिक गतिविधियों को चलाने की पहल किया जाना सराहनीय रहा है। कहा कि कोविड-19 का खतरा अभी टला नहीं है। तीसरी लहर की संभावना बरकरार है। ऐसे में सावधानी व कोविड-19 का प्रोटोकाल में रहकर पढ़ाई एवं अन्य गतिविधियां चलाने की जरूरत है। कहा कि शिक्षा के साथ समृद्ध कला संस्कृति को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। खेलकूद के क्षेत्र में निशानेबाजी व फुटबाल की असीम संभावनाएं इस क्षेत्र में है।
खास है आज का दिन
राज्यपाल रमेश बैस ने कहा कि आज का दिन उनके व इस विश्वविद्यालय के लिए खास है। कहा कि 14 जुलाई को उन्होंने राज्यपाल के पद पर पद एवं गोपनीयता की शपथ ली थी और इसके ठीक एक माह बाद ही यानि 14 अगस्त को वे सिदो-कान्हु मुर्मू विश्वविद्यालय आए हैं। कहा कि ऐसा विरले ही होता है कि पद संभालने के एक माह बाद कोई राज्यपाल विश्वविद्यालय का रूख करते हैं। कहा कि उनके कार्यकाल में यह प्रयास होगा कि शिक्षा व अनुशासन के क्षेत्र में झारखंड की ऐसी पहचान बन सके कि दूसरे राज्यों से छात्र यहां आकर अध्ययन करें। कहा कि इसके लिए जरूरी है कि विश्वविद्यालय के अधिकारी, शिक्षक व कर्मी टीम वर्क के साथ काम करें और सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ें। इससे पूर्व राज्यपाल विश्वविद्यालय परिसर में पहुंच कर यहां स्थापित सिदो-कान्हु मुर्मू विश्वविद्यालय की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की।
कोविड-19 के दौर में छात्रों ने लिया प्रवेश
इस मौके पर सिदो-कान्हु मुर्मू विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो.डा.सोना झरिया मिंज ने कहा कि कोविड-19 संक्रमण के दौर में भी सत्र 2020-21 में विश्वविद्यालय में 32,746 छात्रों ने प्रवेश लिया है। कहा कि कोविड-19 का व्यापक असर विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं पर पड़ा है। बावजूद इसके विश्वविद्यालय प्रबंधन का यह प्रयास रहा है कि आनलाइन कक्षाओं के जरिए छात्रों को तालिम दी जाए। इस काल में एनएसएस के स्वयंसेवकों ने समुदायों में जाकर रक्तदान कैंप, वेबिनार, मास्क वितरण समेत कई सराहनीय प्रयास किए हैं। कहा कि विश्वविद्यालय में आधारभूत संरचनाओं का निर्माण प्रगति पर है। सत्र 2021-22 में तीन माडल कालेजों में दाखिला व शिक्षण कार्य प्रारंभ हो जाएगा। एनसीसी और खेलकूद पर भी विशेष ध्यान देनेी कोशिश हो रही है। संताल अकादमी ओर लिम्स के सहयोग से विश्वविद्यालय पांच सर्टिफिकेट कोर्स प्रारंभ करने की तैयारी में है। कहा कि संताली भाषा विभाग के नेतृत्व में विश्वविद्यालय संताल संस्कृति अध्ययन पर नया स्नातकोत्तर डिग्री की पढ़ाई इसी सत्र से प्रारंभ करने जा रही है। कुलपित ने कहा कि आने वाले दिनों में स्पेशल रिसर्च सेंटर फार ट्राइब्ल एंड इंडिजिनस स्टडीज की परिकल्पना भी साकार होगी। कार्यक्रम में स्वागत भाषण अंग्रेजी विभाग के विभागाध्यक्ष डा.बीके झा और धन्यावाद ज्ञापन कुलसचिव डा.संजय कुमार सिन्हा ने की। मंच का संचालन प्रो.अंजुला मुर्मू ने किया। मौके पर विश्वविद्यालय के व्याख्याता व छात्र भी मौजूद थे।
तारापीठ के लिए रवाना हुए राज्यपाल
विश्वविद्यालय से लाैटने के बाद राज्यपाल रमेश बैस सड़क मार्ग से तारापीठ के लिए रवाना हो गए। उनके साथ उनकी धर्मपत्नी समेत स्वजन भी तारापीठ गए हैं। रविवार को राज्यपाल दुमका के पुलिस लाइन में राष्ट्रीय ध्वज फहराएंगे और समारोह को संबोधित करेंगे। इससे पूर्व शनिवार की सुबह रांची से दुमका ट्रेन से पहुंचे। दुमका रेलवे स्टेशन पर उनका गर्मजोशी से स्वागत किया गया। राज्यपाल को यहां गार्ड आफ आनर दी गई। मौके पर संताल परगना प्रक्षेत्र के डीआइजी सुदर्शन प्रसाद मंडल, उपायुक्त रविशंकर शुक्ल, एसपी अंबर लकड़ा समेत कई प्रशासनिक अधिकारी मौजूद थे।