वार्षिक लक्ष्य से 1400 करोड़ रुपये पीछे चल रहा राजस्व वसूली, हेमंत सरकार की बढ़ी चिंता Dhanbad News
वर्ष 2019-20 में 2211 करोड़ रुपये के राजस्व का लक्ष्य था लेकिन 21 जनवरी तक 811 करोड़ राशि ही जमा हुई है। सबसे ज्यादा रॉयल्टी मद में 700 करोड़ राशि बीसीसीएल ने नवंबर तक जमा की है।
धनबाद, जेएनएन। कोयला उत्पादन व डिस्पैच में कमी आने से राज्य सरकार को मिलने वाली राजस्व में काफी गिरावट आई है। इससे हेमंत सरकार की चिंता बढ़ गई है। सरकार को सबसे अधिक राजस्व कोयला से ही आता है। इस पर ही सारा अर्थ तंत्र निर्भर करता है। सरकार के आदेश पर जिला खनन विभाग ने बीसीसीएल, ईसीएल, टाटा सहित अन्य कंपनियों से कोयला उत्पादन व डिस्पैच में कमी के कारण को लेकर पत्र भेजा।
पत्र के जवाब में कोल कंपनियों ने लिखा है- "आए दिन आंदोलन के कारण उत्पादन प्रभावित रहता है। जमीन नहीं मिलने के कारण नए प्रोजेक्ट को चालू करने में परेशानी हो रही है। वन विभाग से अनुमति मिलने में देरी के अलावा मानूसन भी इसका कारण एक बड़ा कारण है।" कंपनी द्वारा मिले जवाब पत्र को विभाग की ओर से ऊपर बढ़ा दिया गया है।
गिर रहा उत्पादन बढ़ रहा राजस्व वसूली का लक्ष्य : विभाग को इस बात की चिंता है कि कोल कंपनियां अपने वार्षिक उत्पादन में 10 से 18 फीसद बढ़ोतरी करती है, लेकिन सरकार राजस्व वसूली लक्ष्य को 50 फीसद तक बढ़ कर टारगेट दे रही है। इसे पूरा करने में विभाग के अधिकारियों के हाथ-पांव फुल रहे है। नंवबर तक जो सूची जिला खनन विभाग को उपलब्ध कराई गई है, उसमें 20 मिलियन टन कोयला का डिस्पैच किया गया है। जबकि उत्पादन 18 मिलियन टन हुआ है।
लक्ष्य से पीछे विभाग : जिला खनन विभाग को चालू वित्तीय वर्ष में 2211 करोड़ वसूली का लक्ष्य दिया गया है। इसमें 21 जनवरी 2020 तक विभाग ने 811 करोड़ राशि वसूली कर पाई है। इसमें बीसीसीएल से 700 करोड़, सेल 10.7 करोड़, टाटा से 33 करोड़ व ईसीएल से 38 करोड़ से प्राप्त हुआ है। 2018-19 में 1550 करोड़ लक्ष्य दिया गया था। इसमें 1380 करोड़ वसूली कर पाई थी, जिसमें 11 फीसद पीछे रह गई थी। इस चालू वित्तीय वर्ष में इसमें काफी बढ़ोतरी कर दी गई है।
उत्पादन व डिस्पैच पर ही निर्भर है राजस्व वसूली : कोल कंपनियों उत्पादन व डिस्पैच घटने का कारण को लेकर पत्र भेजा गया था। जवाब में जमीन, पुनर्वास व विस्थापन सहित अन्य समस्याओं को जिक्र किया गया है। कोयला कंपनियों के उत्पादन व डिस्पैच पर ही राजस्व वसूली निर्भर करता है। -अजित कुमार, जिला खनन पदाधिकारी धनबाद