Jharkhand Epidemic Act: मास्क नहीं लगाने पर एक लाख जुर्माने को सांसद ने बताया काला कानून, राज्यपाल से हस्ताक्षर नहीं करने की मांग
Jharkhand Epidemic Act कांग्रेस व झामुमो की सरकार ने लुभावने वादों के जरिए सत्ता हासिल की और अब उन्हीं लोगों से छल करते हुए यह काला कानून लाकर आम लोगों का शोषण करने पर आमादा है।
धनबाद, जेएनएन। Jharkhand Epidemic Act सांसद पीएन सिंह ने राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू से मांग की है कि वे हेमंत सरकार के उस अध्यादेश पर हस्ताक्षर न करें जिसमें मास्क नहीं पहनने पर एक लाख रुपये हर्जाना या दो वर्ष कारावास अथवा दोनों का प्रावधान किया गया है। फेसबुक लाइव से सांसद ने इसे काला कानून की संज्ञा दी है। उन्होंने कहा कि देश क्या पूरी दुनिया में ऐसा कोई कानून नहीं है। यह झारखंड के गरीब-गुरबों, आदिवासियों के साथ अत्याचार है। सरकार तत्काल यह तुगलकी फरमान वापस ले।
सांसद ने कहा कि बढ़ते कोरोना संकट के दौरान लोग उनसे व्यापक कदम उठाने व राहत कार्य तेज करने की उम्मीद कर रहे थे। सरकार कोरोना से निपटने को तो कुछ नहीं कर रही बल्कि पूरे राज्य में पुलिस को सड़क पर मास्क व हेलमेट चेक करने को लगा दिया है। लॉकडाउन में पहले ही जनता कई तरह की परेशानियां झेल रही है। रोजगार खत्म हो गए हैं। दो जून की रोटी के लाले पड़े हुए हैं। ऐसे में मास्क के लिए एक लाख रुपये कहां से जुटा पाएंगे।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस व झामुमो की सरकार ने लुभावने वादों के जरिए सत्ता हासिल की और अब उन्हीं लोगों से छल करते हुए यह काला कानून लाकर आम लोगों का शोषण करने पर आमादा है। कांग्रेस व झामुमो की शुरू से यही शोषण करने की नीति रही है। इससे भ्रष्टाचार के कई द्वार खुल जाएंगे। सरकार इस तुगलकी फरमान को वापस कर लोगों की चिकित्सा की समुचित व्यवस्था करे। उनके रोजगार के साधन जुटाने पर ध्यान दे। चिकित्सा केंद्रों की अव्यवस्था दूर करे। भाजपा इस काले कानून का सख्त विरोध करती है। बता दें कि सांसद फिलवक्त अपने सुरक्षाकर्मियों के पॉजिटिव पाए जाने के कारण होम क्वारंटाइन में हैं।