झारखंड की जन-आस संस्कृति, संपदा और विकास कार्यक्रम में सांसद पीएन के बोल, 'सूबे की भलाई सोचने वाला कोई नेता नहीं'
झारखंड के गांव झारखंड के विकास की दिशा तय करेंगे इसी थीम को लेकर सोमवार को सिजुआ स्टेडियम में झारखंड की जन-आस संस्कृति संपदा और विकास परिचर्चा का आयोजन किया गया।
धनबाद, जेएनएन। झारखंड की भलाई की सोचने वाला एक भी नेता नहीं मिला। अब जो भी जनप्रतिनिधि चुनकर आए, उन्होंने सिर्फ क्षेत्र की बात की, राज्य की तो किसी ने बात ही नहीं की। यही कारण रहा कि जब राज्य से कोई केंद्रीय मंत्री के लिए चुना गया, किसी को वन विभाग तो किसी को आदिवासी कल्याण विभाग मिला। राज्य स्तर पर सोचने वाले जनप्रतिनिधि होते तो आज झारखंड को विकास के लिए परिचर्चा करने की जरूरत नहीं पड़ती।
दैनिक जागरण के मंच से सांसद पीएन सिंह ने यह बात कही। झारखंड के गांव झारखंड के विकास की दिशा तय करेंगे, इसी थीम को लेकर सोमवार को सिजुआ स्टेडियम में 'झारखंड की जन-आस संस्कृति, संपदा और विकास' परिचर्चा का आयोजन किया गया। इसमें विभिन्न पंचायतों के 65 मुखिया शामिल हुए। इनके साथ कई पार्षद भी उपस्थित थे। कार्यक्रम की शुरुआत अतिथियों ने प्रधान संपादक स्व.नरेंद्र मोहन गुप्त और संस्थापक स्व.पूर्णचंद गुप्त के चित्र पर पुष्प अर्पित कर किया।
साहिबगंज : साहिबगंज के स्थानीय सूर्या पारा मेडिकल इंस्टीट््यूट के सभागार में आयोजित सभा साहिबगंज कॉलेज के सेवानिवृत्त प्रोफेसर डॉ. सुरेश्वरनाथ ने कहा कि विकास कार्य को आमजनों तक पहुंचाने में मुखिया की अहम भूमिका होती है।
पाकुड़ : पुराना जिला उपायुक्त कार्यालय सभागार में आयोजित परिचर्चा का शुभारंभ पूर्व प्राचार्य डॉ. त्रिवेणी प्रसाद भगत, जिला परिषद अध्यक्ष बाबूधन मुर्मू ने किया। इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि जल, जंगल और जमीन बचाने के लिए पंचायत से लेकर शासन तक को काम करना है। लेकिन पाकुड़ में खत्म होते पहाड़ चिंता का विषय बना हुआ है।
नारायणपुर (जामताड़ा) : नारायणपुर प्रखंड कार्यालय सभाकक्ष में आयोजित परिचर्चा का प्रखंड विकास पदाधिकारी महेश्वरी प्रसाद यादव व उप प्रमुख दलगोङ्क्षवद रजक ने की। इस वक्ताओं ने कहा कि जल, जंगल और जमीन रक्षा की मांग लंबे समय से होते रही है। इसकी अनदेखी का परिणाम है कि आज गर्मी के दिनों में जलसंकट की स्थिति विकराल हो जाती है।
गोड्डा : नगर में भवन में आयोजित परिचर्चा का शुभारंभ नगर परिषद अध्यक्ष जितेंद्र मंडल तथा मुखिया संघ के जिलाध्यक्ष दिनेश प्रसाद यादव ने संयुक्त रूप से किया। इस दौरान वक्ताओं ने अपने पंचायतों में बुनियादी सुविधा बहाल करने में मुखिया की भूमिका और उनकी चुनौतियों पर चर्चा की गई। इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि पंचायत के विकास के अपने दायरे हैैं लेकिन बदली परिस्थिति में जनता की अपेक्षाएं बढ़ी है।
दुमका: जिला परिषद सभागार में सोमवार को आयोजित कार्यशाला का शुभारंभ पूर्व प्रतिकुलपति डॉ. प्रमोदनी हांसदा ने किया। इस दौरान वक्ताओं ने कहा कि शासन का सबसे नीचला पायदान पंचायत के प्रतिनिधियों का चुनाव तो कर लिया गया लेकिन उसे समूचित अधिकार नहीं दिया गया। हालांकि, नई सरकार से इस पर उम्मीदें बढ़ी है।
देवघर : पंचायत प्रशिक्षण केंद्र, डाबरग्राम में आयोजित संगोष्ठी का शुभारंभ देवघर कॉलेज के इतिहास के विभागाध्यक्ष डॉ. कमल जिला परिषद उपाध्यक्ष संतोष पासवान ने किया। इस दौरान बात सामने आई कि आमजनों की जरूरत के हिसाब से विकास हो तब ही पंचायत की परिकल्पना का मकसद पूरा हो पाएगा। इसके लिए लघु और कुटीर उद्योग का बढ़ावा देना आवश्यक है।
गिरिडीह : विज्ञान भवन के सभागार में आयोजित परिचर्चा की शुरुआत विनोबा भावे विश्वविद्यालय के पूर्व प्रति उपकुलपति सह झारखंड लोकसेवा आयोग के सदस्य प्रो. सतीश्वर सिन्हा ने की। इस दौरान उन्होंने कहा कि हमारा अधिकार क्या है। यह तो स्पष्ट होनी चाहिए। पंचायत के प्रतिनिधियों को न्यूनतम आवश्यक सुविधाओं के लिए कोशिश होनी चाहिए। कल्याणकारी राज्यों ने हमेशा इन सब चीजों पर ध्यान दिया है।
बोकारो : जिला परिषद सभागार में आयोजित परिचर्चा का शुभारंभ मुख्य अतिथि जिला परिषद की अध्यक्ष सुषमा देवी व उपाध्यक्ष हीरालाल मांझी ने किया। देश की आजादी के साथ ही गांव को सशक्त बनाने की परिकल्पना करते हुए पंचायती व्यवस्था लागू की गई। पर सरकार इसे समय के साथ कमजोर करती गई। अब नई सरकार से पंचायत को काफी उम्मीदें है।