गबन में फंसी धनबाद कोल बोर्ड इंप्लाइज को-आपरेटिव सोसाइटी के पूर्व पदाधिकारियों की गर्दन, 1.22 करोड़ की होगी वसूली
धनबाद जिला सहकारिता समिति के जिला अंकेक्षक ने 2017 में वित्तीय अनियमितता का आरोप लगाते हुए 2011 से 2016 के बीच अध्यक्ष सचिव और कोषाध्यक्ष के विरुद्ध झारखंड राज्य सहकारिता समिति एक्ट 1935 के तहत सहकारिता निबंधक के कोर्ट में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। इ
जागरण संवाददाता, धनबाद। धनबाद कोल बोर्ड इंप्लाइज को-आपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड के दो पूर्व अध्यक्ष, सचिव और कोषाध्यक्ष से गबन की एक करोड़ से अधिक की राशि वसूली जाएगी। झारखंड सहकारिता समिति, रांची के निबंधक ने गबन मामले की सुनवाई करते हुए धनबाद के सहकारिता पदाधिकारी को आदेश दिया है। आदेश की प्रति सोमवार को जिला सहकारिता पदाधिकारी और अन्य लोगों को मिली। निबंधक ने 12 जनवरी को दिए आदेश में 2011 से लेकर 2016 तक अध्यक्ष, सचिव और खजांची रहे दो- दो अफसरों से गबन की राशि में से 1,22,11, 845 रुपये की आनुपातिक रूप से वसूली करने का निर्देश दिया है। इसके लिए जिला सहकारिता पदाधिकारी को चार महीने का समय दिया गया है। गबन की राशि की वसूली नहीं हो पाने पर निर्धारित समय के बाद जिला सहकारिता पदाधिकारी आगे की विधि सम्मत कारवाई शुरू करेंगे।
धनबाद जिला सहकारिता समिति के जिला अंकेक्षक ने 2017 में वित्तीय अनियमितता का आरोप लगाते हुए 2011 से 2016 के बीच अध्यक्ष, सचिव और कोषाध्यक्ष के विरुद्ध झारखंड राज्य सहकारिता समिति एक्ट, 1935 के तहत सहकारिता निबंधक के कोर्ट में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। इसके लिए अंकेक्षक ने आडिट रिपोर्ट को आधार बनाया था। करीब पांच साल सुनवाई के बाद फैसला आया। इसमें दो-दो तत्कालीन अध्यक्ष, सचिव और कोषाध्यक्ष को दोषी माना गया। अंकेक्षक ने लोन मद से लेकर वेतन और अन्य भत्तों में 7,97,68,110 रुपये की अनियमितता पकड़ी थी। पूर्व अफसरों पर गलत मंशा से उन लोगों को फिर से नौकरी पर बहाल कर लेने का भी आरोप लगा था। प्राथमिकी दर्ज होने के बाद प्रबंधन ने उनको बर्खास्त कर दिया था।
इनसे होगी वसूली
1. 28 सितंबर, 2011 से उमाचरण यादव, अध्यक्ष- 84,07,469 रुपये
2. 27 दिसंबर, 2014 तक अमरेंद्र चौधरी, सचिव
3- सुदर्शन सिंह, कोषाध्यक्ष
4- एक नवंबर, 2015 से विजय कुमार सिंह, अध्यक्ष- 38,04,376 रुपये
5- 31 दिसंबर, 2020 तक कैलाश कुमार राय, सचिव
6- कृष्णा सिंह, कोषाध्यक्ष