Weekly News Roundup Dhanbad: मैडम की कोरोना पॉलिटिक्स से टेंडर कमेटी को नहीं सूझ रहा जवाब
अरूप पुराने सियासी खिलाड़ी। वे सबको बता रहे हैं कि विधायक निधि का आवंटन आया नहीं है तो फिर रकम कहां से दे दी गई। मास्क पर सियासी मार।
धनबाद [ अश्विनी रघुवंशी ]। कोरोना पर विजय के लिए स्वास्थ्य महकमे ने मास्क की खरीददारी की। जिला प्रशासन के आला अधिकारियों की देखरेख में टेंडर हुआ। आ गए 56 हजार मास्क। त्रिस्तरीय। जरूरतमंद लोगों के बीच वितरण के लिए झरिया विधायक पूर्णिमा नीरज सिंह को मास्क दिए गए। माननीय ने बंटवा दिए। माननीय अपने आवास में कदम नहीं रखी थी कि मास्क की शिकायत आनी शुरू गई। एक कान पर मास्क चढ़ा तो दूसरे में टूट गया। विधायक ने पूछताछ शुरू की तो मालूम चला कि आधे मास्क ठीक ठाक थे तो आधे गड़बड़। विधायक ने तुरंत उपायुक्त से शिकायत की। छानबीन शुरू हुई तो आपूर्तिकर्ता स्टील गेट का रहने वाला मिला। केस हो गया। सवाल उठा कि आखिर उसके मास्क की गुणवत्ता को देखा किसने था। स्वास्थ्य अफसरों का जवाब था, टेंडर के वक्त बढिय़ा मास्क दिखाया था, आपूर्ति में निकला कुछ और। आपदा में भी गोलमाल।
कोरोना से बचाव की टॉर्च
बुधवार की मध्य रात्रि। बीमार रिश्तेदार का मददगार बनने के लिए एक सज्जन चिरकुंडा से चल दिए थे। बाइक पर सवार होकर। फुलारीबाग जाना था। 47 किमी का सफर पूरा कर लिया था। एकाध जगह रोका गया तो बीमारी की बात कह कर आगे बढ़ चले। झरिया चार नंबर में टाइगर जवान ने रुकवाया। पूछताछ शुरू हुई। कोरोना से बचाव के लिए कागजात को हाथ में नहीं लिया बल्कि टार्च की तेज रोशनी में नाम और पता की जानकारी ली। एक मीटर के फासले से। पूछताछ के बाद टाइगर जवान ने आदेश दिया कि चिरकुंडा वापस जाइए अन्यथा चालान कट जायेगा। लॉकडाउन तोडऩे का केस होगा, वो अलग से। टाइगर जवान ने सुझाया कि बीमार रिश्तेदार का मोबाइल नंबर दीजिए, अस्पताल भेजवा देंगे। रिश्तेदार का फोन नंबर दिये बगैर वो सज्जन वापस लौट गए। ओझल होने तक उन पर टार्च की रोशनी पड़ती रही।
मास्क से माननीय की फजीहत
निरसा की भाजपा विधायक अपर्णा सेनगुप्ता। निरसा स्वास्थ्य केंद्र में मास्क आया तो जनता में वितरण करने के लिए विधायक के लोग मास्क एवं सैनिटाइजर लेकर चले गए। प्रखंड चिकित्सा पदाधिकारी ने भी सार्वजनिक तौर पर बोल दिया कि स्वास्थ्य केंद्र में उतारने के पहले माननीय के लोग लेकर चले गए। महज चार माह पहले ही चुनाव हारने वाले लाल झंडा के अरूप चटर्जी के कान खड़े हो गए। अरूप चटर्जी ने उठा दिया सवाल। माननीय के खिलाफ मुकदमा करने के लिए दो लोगों ने थाना में आवेदन भी दे दिया। लाल झंडा वालों ने प्राथमिकी दर्ज करने के लिए दबाव बनाया। जवाब आया कि आपदा से निपटने के लिए विधायक निधि से रकम दी गई है। अरूप पुराने सियासी खिलाड़ी। वे सबको बता रहे हैं कि विधायक निधि का आवंटन आया नहीं है तो फिर रकम कहां से दे दी गई। मास्क पर सियासी मार।
बिरयानी छोड़िए खिचड़ी कुबूलस
सदर अस्पताल। तबलीगी जमात से आए लोगों के पृथक वास का स्थल। अलग-अलग मस्जिद से मिले तबलीगी को रखा गया था। शुरुआत में पृथक वास में रहने वालों की संख्या कम थी। रेस्टोरेंट से नाश्ता एवं भोजन आ रहा था। चिरकुंडा और डीएस कॉलोनी में 2 कोरोना मरीज मिल गए तो सदर अस्पताल में क्वॉरेंटाइन किए जाने वालों की संख्या बढ़ती गई। रेस्टोरेंट का भोजन बंद। अस्पताल का खाना शुरू। अस्पताल के भोजन का मतलब है खिचड़ी। 3 दिनों तक की खिचड़ी मिली तो तबलीगी जमात के लोग गरमा गए। अस्पताल के कर्मचारियों ने सीधे कह दिया यहां बिरयानी नहीं मिल सकती। सारे तबलीगी अपने कक्ष से बाहर। एसएसपी किशोर कौशल गए। समझाएं कि अस्पताल में तो अस्पताल का ही नियम कायदा चलेगा। नियम नहीं माना गया तो मनाया जाएगा। एसएसपी के तेवर देख तबलीगी मान गए। बोले की बिरयानी छोड़िए खिचड़ी कुबूल है।