Weekly News Roundup Dhanbad: जालियांवाला बाग... इसकी किस्मत ही खराब, पढ़ें रेलवे की मजबूरी की खरी-खरी
सिर्फ रेलवे के चाह लेने भर से ट्रेन नहीं चल सकती। उस ट्रेन की किस्मत भी होनी चाहिए तभी पटरी पर सरपट दौड़ना नसीब होगा। नसीब खराब हो तो घोषणा होने के बाद भी यार्ड में निकलना मुश्किल है। ऐसी ही एक बेचारी ट्रेन है जालियांवाला बाग एक्सप्रेस।
धनबाद [ तापस बनर्जी ]। सिर्फ रेलवे के चाह लेने भर से ट्रेन नहीं चल सकती। उस ट्रेन की किस्मत भी होनी चाहिए तभी पटरी पर सरपट दौड़ना नसीब होगा। नसीब खराब हो तो घोषणा होने के बाद भी यार्ड में निकलना मुश्किल है। ऐसी ही एक बेचारी ट्रेन है सियालदह से अमृतसर जाने वाली जालियांवाला बाग एक्सप्रेस। 22 मार्च से परिचालन बंद है। 264 दिन गुजर गए तो 11 दिसंबर से इस ट्रेन को चलाने के लिए रेलवे बोर्ड ने हरी झंडी दिखा दी। आरक्षण मिलना शुरू हुआ तो तुरंत सारी सीटें भर गईं। पहिए घूमने वाले थे कि पंजाब में किसान आंदोलन बढ़ गया। पहिये फिर थम गए। घोषणा के बाद 18 दिसंबर को भी ट्रेन नहीं चली। क्रिसमस भी गुजर गया। अब नए साल के पहले दिन से इस साप्ताहिक ट्रेन को चलाया जाना है। सभी सीटें भर चुकी हैं। देखिए, सीटी बजेगी या नहीं।
यूनियन का जलवा देखिए हुजूर
कौन कहता है कि रेलवे की यूनियन में दम नहीं है। यूनियन का जलवा ऐसा है कि छुट्टी के दिन भी अफसर ऑन ड्यूटी हो जाते हैं। कर्मचारियों का निलंबन रद्द हो जाता है। आदेश तत्काल प्रभाव से लागू भी कर दिया जाता है। अपने क्वार्टर को किराया पर देकर जेब भरने वाले 98 कर्मचारियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिाय गया था। मामले पर फौरन ईस्ट सेंट्रल रेलवे कर्मचारी यूनियन ने अपनी नजरें टेढ़ी कर ली। इस मामले में यूनियन का प्रवेश हुआ तो रेलवे ने यू टर्न ले लिया। चार दिनों के भीतर ही निलंबन वापस लेने पर सहमति बन गई। क्रिसमस के बड़े दिन पर 23 कर्मचारियों को निलंबन से मुक्ति मिल गई। बाकी बचे कर्मचारियों को भी राहत देने की दिशा में कागजात पर कलम की स्याही दौडऩे लगी है। सरपट। बिंदास और बेफिक्र रहिए। सब दोष मुक्त हो जाएंगे।
रेलवे का क्रिसमस धमाका
रेलवे का क्रिसमस धमाका मजेदार रहा। जोरदार भी। ऐसा धमाका हुआ कि धनबाद मंडल मुख्यालय धनबाद से हाजीपुर जोनल मुख्यालय तक लोग हरकत में आ गए। एकाएक तो अफसरों को समझ ही नहीं आया कि करे तो क्या करे। इस धमाके में आखिरकार धनबाद-रांची इंटरसिटी पर गाज गिर गई। हुआ यूं कि क्रिसमस की छुट्टी पर सारे अफसरान चैन की सांस लेकर आराम फरमा रहे थे। सोचे थे कि चलो तीन दिन तक तनाव से मुक्त रहें। इस बीच जोनल मुख्यालय ने 26 दिसंबर से धनबाद-रांची इंटरसिटी एक्सप्रेस को दौड़ाने की घोषणा कर की। देर शाम के एलान ने अधिकारियों के पसीने छुड़ा दिये क्योंकि धनबाद को इसकी भनक तक नहीं थी। यहां के लोग इसके लिए बिल्कुल तैयार न थे। इंटरसिटी चलाने को कोच तक नहीं थे। धनबाद रेल मंडल के अधिकारियों ने सरेंडर कर दिया। ट्रेन रद हो गई। अब कोच का इंतजार कीजिए।
फ्लाईओवर से उतरते ही खाएंगे हिचकोले
रेलनगरी गोमो में बिल्कुल अत्याधुनिक तकनीकी का फ्लाईओवर बन रहा है। फ्लाईओवर बन गया तो तीन रेल फाटक पर अटकने की दिक्कत खत्म हो जाएगी। खरमास खत्म होने के बाद फ्लाईओवर पर गाडिय़ों का आवागमन शुरू हो जाएगा। बस इतना ध्यान रखना होगा कि गाडिय़ां सिर्फ डेढ़ किमी लंबे फ्लाईओवर पर ही फर्राटा भर सकेंगी। नीचे उतरते ही हिचकोले खाने वाली सड़कों से सामना होगा। तोपचांची से गोमो होकर बोकारो जाना हो अथवा गोमो रेलवे स्टेशन, यहां की सड़कें गाडिय़ों की रफ्तार पर ब्रेक लगाने के लिए कदम-कदम पर तैयार हैं। ऐसा भी नहीं है कि सड़कें नहीं बनाई जा रही है। रेलवे ने अक्टूबर से ही सडकों को दुरुस्त करने का काम शुरू करा दिया है। ठेकेदार के आगे किसकी चली है। जब मन किया, थोड़ा काम करा दिया। कभी कोरोना काल में मजदूर नहीं मिलते हैं, तो कभी फंड अटक जाता है।