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जल शक्ति मिशन के इंटर स्टेट रिवर लिंक में दुमका से होकर गुजरेगी परियोजना

केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय की महत्वाकांक्षी जल शक्ति मिशन के इंटर स्टेट रिवर लिंक परियोजना में पश्चिम बंगाल के फरक्का से होकर गुजरने वाली गंगा को झारखंड में दामोदर और स्वर्ण रेखा नदी से लिंक करन की योजना है। खास बात यह कि यह महत्वाकांक्षी परियोजना दुमका से होकर गुजरेगी।

By Atul SinghEdited By: Published: Tue, 18 Jan 2022 04:35 PM (IST)Updated: Tue, 18 Jan 2022 04:35 PM (IST)
झारखंड में दामोदर और स्वर्ण रेखा नदी से लिंक करन की योजना है। (प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर)

राजीव, दुमका: केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय की महत्वाकांक्षी जल शक्ति मिशन के इंटर स्टेट रिवर लिंक परियोजना में पश्चिम बंगाल के फरक्का से होकर गुजरने वाली गंगा को झारखंड में दामोदर और स्वर्ण रेखा नदी से लिंक करन की योजना है। खास बात यह कि यह महत्वाकांक्षी परियोजना दुमका से होकर गुजरेगी। इसके अलावा झारखंड में सोन डैम को गंगा की दक्षिणी ट्रिब्यूटरी से जोड़ने की योजना है। फरक्का से होकर गुजरने वाली गंगा को दामोदर और स्वणरेखा से इंटर लिंक करने की योजना का फिजिब्लिटी रिपोर्ट तैयार हो चुकी और अब डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार किया जा रहा है। जबकि सोन डैम को गंगा से जोड़ने वाली परियोजना का अभी प्री-फिजिब्लिटी रिपोर्ट पूरा हो किया गया है।

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केंद्रीय जलशक्ति मंत्री ने सांसद को लिख कर दी जानकारी

केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने गोड्डा के सांसद डा.निशिकांत दुबे को छह जनवरी को इस आशय की जानकारी पत्र के माध्यम से दी है। कहा है कि आपके स्तर से संसद में गोड्डा संसदीय क्षेत्र से होकर गुजरने वाली नदियां व जलस्रोतों से संबंधित मामला में उठाए गया था। मामले की गहनता से पड़ताल के बाद नेशनल वाटर डेवलपमेंट एजेंसी ने 30 नदियों को आपस में लिंक करने के लिए चिह्नित किया है। इसमें 16 लिंक पेनीनसुलर

कंपोनेंट और 14 हिमालयन कंपोनेंट के अंदर रखा गया है। हिमालयन कंपोनेंट के अंदर ही झारखंड की दोनों परियोजनाओं को शामिल कर इंटर स्टेट लिंक करने की योजना बनाई गई है। कहा कि अब इसके लिए विस्तृत कार्य योजना तैयार की जा रही है।

ब्रिटिश सैन्य इंजीनियर ने नदियों को 1858 में पहली बार दिया था प्रस्ताव

भारत की नदियों को आपस में जोड़ने का विचार सबसे पहले 1858 में ब्रिटिश सैन्य इंजीनियर आर्थर थामस काटन ने बड़ी नदियों के बीच नहर जोड़ का प्रस्ताव दिया था। उद्देश्य ईस्ट इंडिया कंपनी को बंदरगाहों की सुविधा हो सके और दक्षिण-पूर्वी प्रांतों में बार-बार पड़ने वाले सूखे से निपटा जा सके।

क्या है नदी जोड़ो परियोजना

केंद्र सरकार नदी जोड़ परियोजना में 30 नदियों को आपस में जोड़ना चाहती है। इसके लिए 15,000 किलोमीटर लंबी नई नहरें खोदनी होंगी। इसमें 174 घन किमी पानी स्टोर किया जा सकेगा। राष्ट्रीय नदी जोड़ो प्रोजेक्ट में कुल 30 लिंक बनाने की योजना है जिनसे 37 नदियां जुड़ी होंगी। इसके लिए तीन हजार स्टोरेज डेम का नेटवर्क बनाने की योजना है। यह दो भागों में होगा। एक हिस्सा हिमालयी नदियों के विकास का होगा। इसमें 14 लिंक चुने गए हैं। इसी के तहत गंगा और ब्रह्मपुत्र पर जलाशय बनाने की योजना है। दूसरा भाग प्रायद्वीप नदियों के विकास का है। यह दक्षिण जल ग्रिड है। इसके तहत 16 लिंक की योजना है, जो दक्षिण भारत की नदियों को जोड़ती हैं। इसके तहत महानदी और गोदावरी को कृष्णा, पेन्नार, कावेरी और वैगाई नदी को जोड़ने की परिकल्पना है।

यह है इंटर स्टेट लिंक के तहत मिले नौ राज्यों के प्रस्ताव

नेशनल वाटर डेवलपमेंट एजेंसी को नौ राज्यों से 46 प्रस्ताव मिले हैं। इसमें झारखंड, महाराष्ट्र, गुजरात, ओडिशा, बिहार, राजस्थान, तमिलनाडु, कर्नाटक और छत्तीसगढ़ शामिल हैं। इन 46 में से 35 इंटर स्टेट लिंक की प्री-फिजिबिलिटी रिपोर्ट तैयार कर ली गई है। जबकि झारखंड से जुड़ी फरक्का से होकर गुजरने वाली गंगा को दामोदर और स्वर्ण रेखा नदी से लिंक करने का प्रस्ताव अब डीपीआर बनाया जा रहा है।

वर्जन

नरेंद्र मोदी की सरकार ने नदी जोड़ो अभियान को प्राथमिकता में रखा है। सरकार का मकसद सूखा और बाढ़ की समस्या को खत्म करना है। साथ ही किसानों के पानी के मामले में आत्मनिर्भर बनाना है ताकि वह सिर्फ मानसून पर ही निर्भर नहीं रहें। यह प्रोजेक्ट संताल परगना के लिए जीवनदायी साबित होगी।

डाॅ. निशिकांत दुबे, सांसद, गोड्डा


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