IIT(ISM) ने बनाया अनूठा वेंटिलेटर, एक मशीन से चार मरीज को जरूरत के मुताबिक मिलेगा ऑक्सीजन Dhanbad News
2006 अमेरिका में पहली बार एक से अधिक लोगों के लिए वेंटिलेटर बनाने का विचार वैज्ञानिकों के दिमाग में आया। तब डॉ. मेनिस के मार्गदर्शन में एक वेंटिलेटर से दो को ऑक्सीजन दिया गया।
धनबाद [ शशि भूषण ]। IIT(ISM) (इंडियन स्कूल ऑफ माइन्स-धनबाद) के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा वेंटिलेटर तैयार किया है जो एक साथ चार इंसानों की जिंदगी बचाएगा। देश में कोरोना के मरीज की संख्या लगातार बढ़ रही है। उनके इलाज में वेंटिलेटर की आवश्यकता होती है। ऐसे में गहन शोध के बाद आइएसएम के वैज्ञानिकों द्वारा चार लोगों की चिकित्सा में सहायक यह वेंटिलेटर वरदान से कम नहीं है। इस वेंटिलेटर की खासियत यह है कि इसके माध्यम से अलग-अलग मरीजों को उनकी जरूरत के मुताबिक ऑक्सीजन मिलेगा। आइएसएम के वैज्ञानिक एक-दो दिनों के अंदर इसे धनबाद स्थित पीएमसीएच (पाटलीपुत्र मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल) को सौंप देंगे।
जानकारी के मुताबिक 2006 में अमेरिका में पहली बार एक से अधिक लोगों के लिए वेंटिलेटर बनाने का विचार वैज्ञानिकों के दिमाग में आया था। तब डॉक्टर मेनिस के मार्गदर्शन में एक वेंटिलेटर से दो लोगों को ऑक्सीजन दिया गया था। इससे कई लोगों की जान बची थी। अमेरिका के पास ऐसे वेंटिलेटर हैं जिसका उपयोग चार मरीजों के लिए किया जा सकता है। आइएसएम के वैज्ञानिकों ने ऐसे वेंटिलेटर तैयार करने की चुनौती स्वयं स्वीकार की और स्वदेशी तकनीक के बल पर चार इंसानों के लिए वेंटिलेटर बनाने में कामयाबी हासिल कर ली।
हर मरीज के लिए ऑक्सीजन का बहाव नियंत्रित हो सकेगा
आइआइटी(आइएसएम) के मेकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर अमित राज दीक्षित, उनके सहयोगी आशीष कुमार व रिसर्च स्कॉलर रत्नेश कुमार ने दो तरह के 3डी वेंटिलेटर तैयार किए हैं। रिवर्स इंजीनियरिंग लैब में इसे तैयार किया गया। इसमें वेंटिलेटर स्प्लिटर एडॉप्टर का इस्तेमाल किया गया है। एक वेंटिलेटर से ही चार मरीजों को सुविधा दी जा सकेगी। एक को इंसपीरेटरी लिंब के साथ और दूसरे को एक्सपीरेटरी लिंब के साथ जोड़ कर एक साथ चार वेंटिलेटर सर्किट कनेक्ट किए गए हैं। वेंटिलेटर में अलग-अलग साइज के होल हैं जो ऑक्सीजन के बहाव को नियंत्रित करेंगे। यह हर मरीज की जरूरत के मुताबिक ऑक्सीजन की आपूर्ति करेगा। एक मरीज युवा है और दूसरा बुजुर्ग तो ऐसे में बुजुर्ग को अधिक ऑक्सीजन की आवश्यकता होगी। अलग-अलग मरीजों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए इसमें ऑक्जीजन फ्लो कंट्रोल वॉल्ब भी दिया गया है। इसमें कई और भी खासियत हैं।
आइएसएम निदेशक प्रोफेसर राजीव शेखर के निर्देश पर इस वेंटिलेटर को तैयार किया गया है। ऐसे वेंटिलेटर का उपयोग विषम परिस्थिति में किया जा सकता है। यह रोजाना के उपयोग के लिए नहीं है। अभी दो वेंटिलेटर तैयार किए गए हैं। इसे धनबाद के पीएमसीएच को दिया जा रहा है। लॉकडाउन के कारण सामग्र्री की कमी है। इसके बावजूद कोशिश हो रही है कि ऐसे और वेंटिलेटर तैयार किये जाएं।
-प्रोफेसर अमित राज दीक्षित, प्रोफेसर, आइएसएम