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Weekly News Roundup Dhanbad: बीबीएमकेयू में खेला ही खेला... एक वित्त अधिकारी तो दूसरा सलाहकार

तीन साल पहले नाट्य कलाकारों का प्रशासन ने चयन किया था। जवाबदेही दी गई थी कि गांवों में जाकर सरकारी योजनाओं का प्रचार-प्रसार करे। कोरोना के वायरस ने हमला बोला तो शासन ने गांवों में सरकारी योजनाओं के प्रचार के लिए नाट्य कलाकारों को भेजना बंद कर दिया।

By MritunjayEdited By: Published: Sun, 18 Jul 2021 11:54 AM (IST)Updated: Sun, 18 Jul 2021 07:19 PM (IST)
Weekly News Roundup Dhanbad: बीबीएमकेयू में खेला ही खेला... एक वित्त अधिकारी तो दूसरा सलाहकार
बिनोद बिहारी महतो कोयलांचल विश्वविद्यालय ( फाइल फोटो)।

बलवंत कुमार, धनबाद। बिनोद बिहारी महतो कोयलांचल विश्वविद्यालय का गठन होने के बाद से कोई न कोई नाटक होते रहता है। नया विश्वविद्यालय है तो खेला होगा ही। खेला चाहे कोई हो, मकसद तो वित्त ही होता है। विश्वविद्यालय में अभीतक वित्त अधिकारी की नियुक्ति नहीं हुई है। हिसाब-किताब देखने के लिए एक लेखा अधिकारी को जरूर तैनात कर दिया है। बड़ा गोलमाल रोकने के लिए वित्त सलाहकार भी भेज दिया गया है। एक अधिकारी है तो दूसरे सलाहकार। एक को भविष्य की योजनाओं का खाका तैयार करना है तो दूसरे को रोजमर्रा के खर्च का हिसाब किताब रखना है। तनाव रहता है कि संचिका में कुछ लिख दिए तो गुलाबी कागज के दर्शन मुश्किल हो जाएंगे। एक के पास संचिका भेजने पर दूसरे साहब नाराज हो जा रहे हैैं। दोनों को खुश रखने में खूब मशक्कत हो रही है। वित्त की संचिका में कुछ तो जादू है।

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सत्ता की मलाई के लिए मेहनत

सहयोगियों के साथ मिल कर झामुमो के पास झारखंड की सत्ता की बागडोर है। मथुरा प्रसाद महतो इकलौते विधायक हैैं। राजस्व एवं खाद्य आपूर्ति मंत्री रह चुके हैैं। पूरे झारखंड में बड़ा चेहरा है। सीएनटी एïवं एसपीटी कानून को सख्त बना कर लंबी लकीर खींच चुके हैैं। सिर्फ पांच रुपये में दाल-भात का पक्का इंतजाम करा दिए हैैं। तो भी संगठन के कुछ लोग उन्हें चैन से रहने नहीं देते। कुछ ऐसे नेता हैैं जिनकी नजर हमेशा मथुरा महतो के निर्वाचन क्षेत्र टुंडी पर रहती है। जब देखिए, टुंडी की यात्रा पर दिख जाएंगे। और देहाती इलाकों में अपनी राजनीति के भविष्य की तलाश करते रहते हैैं। हां, झामुमो व्यावसायिक प्रकोष्ठ के अमितेश सहाय ज्यादा समझदार है। धनबाद नगर निगम के प्रस्तावित चुनाव में दिमाग लगा रहे हैैं। उन्हें पता है कि विधानसभा चुनाव दूर है। सो, उधर दिमाग लगाने में फायदा नहीं है।

फिर नाटक कराओ ना

तीन साल पहले नाट्य कलाकारों का प्रशासन ने चयन किया था। जवाबदेही दी गई थी कि गांवों में जाकर सरकारी योजनाओं का प्रचार-प्रसार करे। कोरोना के वायरस ने हमला बोला तो शासन ने गांवों में सरकारी योजनाओं के प्रचार के लिए नाट्य कलाकारों को भेजना बंद कर दिया। प्रचार का काम भी आउटसोर्स करने की कार्यवाही शुरू हो चुकी है। नाट्य कलाकार बेचैन है। नाट्य कलाकारों में भी खूब राजनीति है। अलग-अलग विचारधारा के लोग हैैं। आपसी खींचतान भी कम नहीं। उनके बीच नेतागिरी भी हो रही है। बिल्ली के गले में घंटी बांधने की सीधे कोई हिम्मत नहीं दिखा रहा है। एकता की भी कोशिश हो रही है। विरोध की भी सुगबुगाहट है। नाट्य कलाकारों का इतना बुरा हो चुका है कि अब मजदूरी के बारे में सोचना पड़ रहा है। सरकारी अधिकारी या राजनेता के दिखते ही गुहार लगाते हैैं, फिर नाटक कराइए ना।

केंदुआ में न जाने कितने रंग

केंदुआडीह। मुख्य बाजार में जाइए तो ऐसा भाईचारा दिखेगा कि केंदुआ और यहां के लोगों को जीवन भर याद रखेंगे। हर किसी के सुख-दुख में हर वक्त हाजिर। भूख लगी है तो सुबह में दो रुपये में लजीज कचौड़ी भी मिल जाएगी। हां, केंदुआ बाजार से कुछ किमी इधर-उधर गए तो दिमाग का हर पुर्जा हिल जाएगा। बीसीसीएल का कोयला गोधर से भेजा जाता है। सात नंबर लोडिंग प्वाइंट पर लंबे समय से खून खराबे का माहौल बना हुआ है। पुलिस वालों के आते ही ऐसी शांति दिखती है कि कुछ हुआ ही नहीं। गोधर में शांति के लिए एएसपी से एसडीओ तक हाथ-पांव मार चुके हैैं। एकाध सप्ताह गुजरते ही फिर बवाल शुरू। काली कमाई में सबको हिस्सा चाहिए। कालीपहाड़ी की तरफ जाइए तो अवैध कारोबार के साथ अपराध का क,ख,ग सीख आइए। खैर, नए कप्तान साहब आ चुके हैैं। सावधान हो जाइए।


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