JBCCI-11 News: इंटक को लगा बहुत बड़ा झटका; जेबीसीसीआई-11 की मीटिंग में नहीं मिलेगा बैठने का मौका
जेबीसीसीआई-11 में इंटक का खेल लगभग खत्म हो चुका है। मंगलवार को हुई सुनवाई में कोलकाता हाईकोर्ट ने इंटक रेड्डी गुड को प्रतिनिधित्व देने संबंधी मामले में सभी पक्षों की दलीलें ऑनलाइन सुनी। जस्टिस निजामुद्दीन की पीठ ने कोल इंडिया को किसी तरह का निर्देश देने से इंकार कर दिया।
जागरण संवाददाता, धनबाद : JBCCI NEWS, INTUC NEWS, Union Politics, जेबीसीसीआई-11 में इंटक का खेल लगभग खत्म हो चुका है। मंगलवार को हुई सुनवाई में कोलकाता हाईकोर्ट ने इंटक रेड्डी गुड को प्रतिनिधित्व देने संबंधी मामले में सभी पक्षों की दलीलें ऑनलाइन सुनी। जस्टिस निजामुद्दीन की पीठ ने कोल इंडिया को किसी तरह का निर्देश देने से इंकार कर दिया। ददई दुबे गुट के महामंत्री अधिवक्ता एनजे अरुण ने बताया कि मामला कोल इंडिया के पक्ष में ही रहा।
अदालत ने जेबीसीसीआई 11 में प्रतिनिधित्व संबंधी कोई भी निर्देश देने से इनकार कर दिया। यहां तक कि इंडियन नेशनल माइन वर्कर्स फेडरेशन के महामंत्री के तौर पर केस करने वाले एस क्यू जामा की सदस्यता के दावे को भी ठुकरा दिया।
अदालत ने कहा कि जेबीसीसीआई-11 में इंटक को प्रतिनिधित्व देने की बात कही गई है। जबकि उसके नाम से कोई सदस्यता नहीं है। ना ही कोई रसीद ही कटा है। जामा की इस दलील पर कि सदस्यता कचल इंडिया की अनुषंगी कंपनियों में कार्यरत संगठनों के नाम से होती है। और यह सभी इंडियन नेशनल माइन वर्कर्स फेडरेशन से संबद्ध हैं जोकि खदान क्षेत्र में काम कर रहे मजदूरों का फेडरेशन है और स्वयं इंटक की ही इकाई है। सदस्यता रसीद में कोष्ठक में इंटक भी लिखा रहता है। अदालत ने मानने से इंकार कर दिया। इसी आधार पर ददई दुबे गुट की बात भी नहीं मानी।
जहां तक इंटक पर दावेदारी की बात तो हाईकोर्ट ने कहा कि इस मुद्दे पर पहले ही सुप्रीम कोर्ट जजमेंट दे चुका है। लिहाजा कोलकाता हाई कोर्ट कुछ नहीं कर सकता। सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट के आधार पर ही दिल्ली हाईकोर्ट में दायर सूट में जब तक फैसला नहीं आता, कुछ नहीं किया जा सकता।
इसके बाद अदालत ने कोल इंडिया प्रबंधन की भी बात सुनी। प्रबंधन ने सीधे तौर पर 3 गुटों के दावे के कारण कोई भी गुट को आमंत्रित करने में अपनी असमर्थता जता दी। कहा कि अदालत जो निर्देश देगी उस अनुसार वह करेगी। अदालत ने कोल इंडिया प्रबंधन को 4 सप्ताह के अंदर इंटक की ओर से उठाए गए बिंदुओं पर अपना पक्ष रखने को कहा। इसके बाद अगले 2 हफ्ते के अंदर इंटेक को अपना प्रत्युत्तर देना होगा। इसके 2 हफ्ते बाद अदालत फिर से मामले की सुनवाई करेगी। इन आठ हफ्तों के बीच जेबीसीसीआई 11 की बैठकें निर्बाध चलती रहेंगी।
अदालत की आज की सुनवाई से अब लगभग साफ हो चुका है कि इस बार भी इंटक के बगैर ही राष्ट्रीय वेतन समझौता कोयला क्षेत्र में होगा। अदालत से बाहर केके तिवारी गुट ने एकता कायम करने की कोशिश भी की थी। लेकिन उसका फलाफल यह रहा कि वह पूर्व सांसद ददई दुबे और संजीवा रेड्डी को एक साथ बैठा तक नहीं सकी। ऐसे में कोई चमत्कार ही अब जेबीसीसीआई में इंटक का प्रवेश करा सकती है। एनजे अरुण स्वयं मानते हैं कि आज की सुनवाई के बाद सारा कुछ कोल इंडिया के हाथ में जा चुका है।