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महिला सशक्तिकरण से पूरे समाज व राष्ट्र का सशक्तीकरण होता है : कुलपति

संस सिदरी सिदरी कालेज और बिजनी कालेज आसाम बंगला विभाग के संयुक्त तत्वावधान में शुक्रवार क

By JagranEdited By: Published: Fri, 28 Jan 2022 10:58 PM (IST)Updated: Fri, 28 Jan 2022 10:58 PM (IST)
महिला सशक्तिकरण से पूरे समाज व राष्ट्र का सशक्तीकरण होता है : कुलपति
महिला सशक्तिकरण से पूरे समाज व राष्ट्र का सशक्तीकरण होता है : कुलपति

संस, सिदरी : सिदरी कालेज और बिजनी कालेज आसाम बंगला विभाग के संयुक्त तत्वावधान में शुक्रवार को समाज एवं साहित्य में महिला सशक्तिकरण की वर्तमान दशा एवं दिशा पर पुनर्विचार विषय पर अंतरराष्ट्रीय वेबिनार हुआ। उद्घाटन बिनोद बिहारी महतो कोयलांचल विश्वविद्यालय के कुलपति सह उत्तरी छोटानागपुर के आयुक्त कमल जान लकड़ा ने किया। कहा कि महिला सशक्तिकरण सिर्फ एक महिला का सशक्तिकरण नहीं बल्कि पूरे समाज व राष्ट्र का सशक्तिकरण होता है। मलाला युसफजई का उदाहरण दिया। बीबीएम कोयलांचल विश्वविद्यालय छात्र कल्याण संकाय के अध्यक्ष डा. देबजानी विश्वास ने कहा कि महिला साक्षरता की दर 1991 के 39 प्रतिशत से बढ़कर अभी 74 प्रतिशत हो गया है। लेकिन दुखद है कि अभी भी 17 प्रतिशत से ज्यादा बालिकाएं माध्यमिक शिक्षा के स्तर पर स्कूलों की पढ़ाई छोड़ देती हैं। 32 प्रतिशत महिलाएं कृषि व अन्य क्षेत्रों में मजदूर के रूप में काम कर रही हैं। पुरुषों की अपेक्षा इन्हें काफी कम वेतनमान दिया जाता है। आदिवासी व गरीब तबके की महिलाएं कुपोषण का जीवन जीने को विवश है। इससे पता चलता है कि समाज में अभी भी महिलाओं को बराबरी का दर्जा प्राप्त नहीं है। इसलिए सभी को महिला सशक्तिकरण की नीति पर पुनर्विचार करना चाहिए। सिदरी कालेज बंगला विभागाध्यक्ष व वेबिनार की संयोजिक डा. शर्मिष्ठा आचार्य व बिजनी कालेज बंगला विभागाध्यक्ष डा. उर्मिला पोद्दार ने कहा कि वर्तमान अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्देश्य महिला सशक्तिकरण वर्तमान स्थिति को जानना है। कहा कि शिक्षा व प्रौद्योगिकी के विकास से महिला सशक्तिकरण को गति मिली है। अभी और समेकित प्रयास की आवश्यकता है। विश्व भारती विश्वविद्यालय शांतिनिकेतन के डा. सुदीप बासु ने कहा कि भारत सहित विश्व के कई देशों में महिला प्रधानमंत्री व मंत्री होने के बावजूद वहां का समाज अभी भी पुरुष प्रधान बना हुआ है। रवींद्रनाथ टैगोर और स्वामी विवेकानंद ने महिला सशक्तीकरण की बात सिर्फ महिलाओं के उत्थान के लिए नहीं बल्कि एक समृद्ध व सुखी समाज की स्थापना के लिए की थी। अंकारा तुर्की की प्राध्यापिका डा. नोरतेन वर्ली, साउथ ईस्ट विश्वविद्यालय ढाका के प्राध्यापक डा. शम्स अलदिन, ओरिएंटल स्टडीज यूनिवर्सिटी आफ वारसा पोलैंड की प्राध्यापिका डा. वेरोनिका राकिक, दिल्ली विश्वविद्यालय के प्राध्यापक डा. अमिताभ चक्रवर्ती आदि ने भी अपने विचार रखे। प्रारंभ में सिदरी कालेज के प्राचार्य डा. नकुल प्रसाद व बिजनी कालेज आसाम के प्राचार्य डा. बीजी बासु मतारी ने अतिथियों व वक्ताओं का स्वागत किया।

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