सात हजार हाथियों के बराबर बनियाहीर में प्लास्टिक का ढेर
धनबाद पिछले पांच से छह दशकों में प्लास्टिक निर्मित वस्तुओं की बढ़ती उपयोगिता ने इंसान को प्लास्टिक का मोहताज बना दिया है। महंगे कपड़ों से लेकर रेस्त्रां में चाय की बिक्री तक में भिन्न-भिन्न किस्मों की प्लास्टिक के उपयोग से पशु-पक्षियों से लेकर पर्यावरण तक को नुकसान हो रहा है।
धनबाद : पिछले पांच से छह दशकों में प्लास्टिक निर्मित वस्तुओं की बढ़ती उपयोगिता ने इंसान को प्लास्टिक का मोहताज बना दिया है। महंगे कपड़ों से लेकर रेस्त्रां में चाय की बिक्री तक में भिन्न-भिन्न किस्मों की प्लास्टिक के उपयोग से पशु-पक्षियों से लेकर पर्यावरण तक को नुकसान हो रहा है। प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने के बावजूद चोरी-छिपे इसका प्रयोग धड़ल्ले से हो रहा है। इसकी भयावहता का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि देश में प्रदूषण के मामले में पहले पायदान पर काबिज धनबाद में हर दिन 21 टन प्लास्टिक कचरा निकल रहा है। धनबाद मुख्यालय से 11 किमी दूर झरिया के बनियाहीर में यह कचरा डंप किया जा रहा है। पिछले तीन वर्षो से यही हो रहा है। अभी तक यहा 22 हजार 995 टन प्लास्टिक डंप किया जा चुका है, जो अभी भी बदस्तूर जारी है। आप इसे ऐसे भी देख सकते हैं कि एक भारतीय हाथी का वजन तीन से चार टन होता है। इस लिहाज से बनियाहीर में डंप प्लास्टिक का ढेर सात हजार हाथियों के वजन के बराबर है। प्लास्टिक के उपयोग को जड़ से खत्म करने के लिए तीन जुलाई 2009 से संपूर्ण विश्व में 'अंतरराष्ट्रीय प्लास्टिक बैग मुक्त दिवस' शुरू किया गया है। प्लास्टिक से शहर को निजात दिलाने में न तो जिला प्रशासन और न ही निगम निगम को चिंता है। आम कचरे से अलग करना है प्लास्टिक
देश के नंबर वन प्रदूषित शहरों में शुमार झरिया यूं ही इस पायदान पर नहीं पहुंचा है। नियमों का उल्लंघन इसका बड़ा कारण है। प्लास्टिक कचरा भी आम कचरे (सूखा-गीला) के साथ डंप किया जा रहा है। प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट अधिनियम 2016 के तहत इसका सेग्रीगेट करना है, कटिंग करनी है और इसे रीसाइकिल के लिए भेजना है। लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है। बनियाहीर और इसके आसपास लाखों की आबादी प्लास्टिक से होने वाले नुकसान से प्रभावित हो रही है। विशेषज्ञों की मानें तो जमीन बंजर होने की कगार पर है। प्लास्टिक की वजह से मृदा में मौजूद सूक्ष्म जीव मर जाते हैं। आसपास के जलस्त्रोत भी प्रदूषित हो रहे हैं। सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट के लिए नहीं मिल रही जमीन : सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट के लिए नगर निगम को जमीन नहीं मिल रही है। बीसीसीएल के पुटकी में 38 एकड़ जमीन नहीं मिलने के कारण सफाई करने वाली एजेंसी ए टू जेड ने काम छोड़ दिया था। पिछले वर्ष सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के लिए रैमकी एजेंसी से करार हुआ। तय हुआ कि प्लांट के लिए सिंदरी में 90 एकड़ जमीन दी जाएगी। हालांकि अभी तक जमीन नहीं मिल सकी। पिछले दिनों केंद्रीय उर्वरक मंत्री से भी गुहार लगाई गई। अब एफसीआइ ने जमीन स्थानातरण देने के एवज में 300 करोड़ रुपये माग लिया है। वर्जन
सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के लिए सिंदरी में जमीन प्रस्तावित है। निगम क्षेत्र में सर्किल रेट पर जमीन लेने का प्रावधान है। इस मामले में एफसीआइ प्रबंधन व नगर विकास सचिव से बातचीत की जा रही है। बात आगे बढ़ी है। घरेलू कचरा और प्लास्टिक कचरा अलग-अलग करना है। देखते हैं ऐसा क्यों नहीं हो रहा है। प्लांट बनने से काफी राहत मिलेगी।
- राजेश कुमार सिंह, उप नगर प्रशासक नगर निगम वर्जन
प्लास्टिक मिट्टी, पानी और हमारे शरीर को नुकसान पहुंचाता है। प्लास्टिक नॉन-बायोडीग्रेडेबल होते हैं। यह मिट्टी की उर्वरा शक्ति को भी खत्म करता है, क्योंकि इसके जलने से जहरीली गैस निकलती है। अधिक वक्त बीत जाने के बाद प्लास्टिक माइक्रोप्लास्टिक में बदल जाते हैं। प्लास्टिक की रोकथाम में बोर्ड निगम का सहयोग कर सकता है। बोर्ड को कार्रवाई का अधिकार प्राप्त नहीं है।
- आरएन चौधरी, क्षेत्रीय पदाधिकारी हमारे इलाके को कचरा क्षेत्र बना दिया है। एक सेकेंड के लिए यहां धुआं निकलना बंद नहीं बंद होता है। प्लास्टिक जलता रहता है। शहर का प्लास्टिक यहां डंप हो रहा है। देखने और सुनने वाला कोई नहीं है।
- रामाशीष चौहान, बनियारीर झरिया जिला प्रशासन और नगर निगम को इसकी कोई चिंता नहीं है। कम से कम प्लास्टिक कचरे पर तो ध्यान देना ही चाहिए। एक जगह से उठाकर दूसरी जगह गिराना कहां की बुद्धिमानी है। स्थानीय लोग परेशान हो रहे हैं।
- प्रेम बच्चन दास, बनियाहीर झरिया