Weekly News Roundup Dhanbad: सुबह का भूला घर लौटा, जानें-पुलिस के लिए तो इस मुहावरे का अर्थ
Weekly News Roundup Dhanbad करकेंद के एक युवक के साथ कुछ युवकों ने जमकर मारपीट की। युवक गंभीर रूप से जख्मी हो गया। खैर मारपीट करनेवालों को वह पहचानता था सो ढंग से एक आवेदन लिखा और पहुंच गया थाना। थाने के बड़ा बाबू से मिलकर अपनी पीड़ा सुनाई।
धनबाद [ बलवंत कुमार ]। लॉकडाउन में पुलिसकर्मियों के मजबूत कंधों पर काफी बोझ आन पड़ा, लेकिन आखिर कब तक समाजसेवा करते रहें? बात अनलॉक एक की है। केंदुआ में नियमों में ढिलाई का फायदा उठा कुछ ऐसी दुकानें भी खुल गईं, जिन्हें सरकार ने अनुमति नहीं दी थी। सुबह-सुबह इसकी भनक लगने पर एक दारोगा पहुंच गए और चेतावनी देकर दुकानें बंद कराईं। खैर, शाम में दारोगा को गलती का एहसास हुआ तो वापस दुकानदारों के पास आ धमके। बोला, सुबह में दुकान खोलने के कारण सब पर केस होगा। इतना सुनते ही दुकानदार दंडवत हो गए। आखिरकार बीच का रास्ता निकाला गया। प्रति दुकान 10 हजार रुपये तय किए गए। जो समझदार थे, उन्होंने तो तुरंत रकम निकाल दी, लेकिन जो दारोगा की तरफ उंगली उठा रहे थे, उन्हें बाकियों ने ही समझाया कि सुबह का भूला अगर शाम में घर लौट आए तो उसे भूला नहीं कहते।
किनके लड़कों ने पीटा?
बीते दिनों करकेंद के एक युवक के साथ कुछ युवकों ने जमकर मारपीट की। घटना में युवक गंभीर रूप से जख्मी हो गया। खैर, मारपीट करनेवालों को वह पहचानता था, सो ढंग से एक आवेदन लिखा और पहुंच गया थाना। थाने के बड़ा बाबू से मिलकर अपनी पीड़ा सुनाई। युवक को दूसरे दिन फिर थाना आने को कहा गया। सुबह जब युवक दोबारा पहुंचा तो इस बार मुंशी से मुलाकात हुई। उन्होंने समझाया कि बाकी सब तो ठीक है, लेकिन मारपीट करनेवालों के पिता का नाम क्या है, यह आवेदन में नहीं लिखा है। प्राथमिकी दर्ज करने के लिए यह जरूरी है। अब युवक परेशान कि जिन्होंने उसे पीटा, वह किनके लड़के हैं, यह कैसे पता चलेगा? मुंशी जी को अपनी दुविधा बताई तो उन्होंने उसे उसका आवेदन वापस थमा दिया। कहा, सरकारी प्रक्रिया है, इतना तो समझना ही होगा। अब जो जरूरी है, सो है।
कोयले का कपूरी रंग
कपूर का रंग कभी कोयले से मेल खा सकता है क्या? लेकिन ऐसा हुआ है धनबाद के झरिया में। दरअसल पिछले दिनों सरायढेला थाने की पुलिस ने कोयला लदे पांच ट्रक पकड़े। थाने के रिकॉर्ड में दो ट्रक दर्ज किया गया, लेकिन अन्य तीन का पता नहीं चला। घटना अखबारों में छपी तो खुशी झरिया में मनाई गई। वजह थी तीन ट्रकों का सुरक्षित निकल जाना। जिन ट्रकों को पकड़ा गया, उन पर चोरी का कोयला लदा था। पुलिस का दावा है कि इन्हें पीछा कर पकड़ा गया। वहीं बात झरिया की करें तो यहां प्रभारी पुराने हैं और डीएसपी नए। सो कहने को अवैध कोयला लदे ट्रक पकड़े तो गए, लेकिन जिन्हें निकलना था, वह सुरक्षित मंजिल तक पहुंच भी गए। बताया जा रहा कि कपूरी के प्रभाव से यहां पहले भी कोयले की कालिख सफेद होती रही है। आखिरकार गांधीजी का सहयोग जो है।
बहुत काम है भाई
वैसे तो लॉकडाउन ने शिक्षकों का बोझ बढ़ा ही रखा है, लेकिन बीबीमकेयू वाले प्लॉङ्क्षटग गुरुजी अलग व्यस्त हैं। बीते दिनों छात्रों ने उन्हें नोट्स के लिए फोन मिलाया तो गुरुजी ने हड़बड़ी में कहा, अभी बहुत व्यस्त हैं भाई। निजी काम है। फोन कटते गुरुजी पहुंच गए विश्वविद्यालय। यहां दनदनाते हुए निर्माण कार्य देखने वाले विभाग में पहुंचे। पूछा- विश्वविद्यालय का नया भवन कब तक बनेगा? जवाब मिला- यह तो बड़े साहब ही बताएंगे। इतने से गुरुजी का मन नहीं भरा, सो यहां से निकल भवन बनाने वाले सरकारी दफ्तर पहुंच गए। यहां भी यही सवाल दागा। बताया विश्वविद्यालय से आए हैं। मामले को गंभीरता से लेते हुए सरकारी बाबू ने इन्हें सारी जानकारी दी। वह तो बाद में पता चला कि विश्वविद्यालय के निर्माणाधीन भवन के पास गुरुजी ने फिर नया प्लॉट तैयार किया है। बस इसी के लिए मुल्ला ढूंढने में परेशान हैं।