IIT(ISM): माइनिंग में साइबर सिस्टम का उपयोग बताएगा आइएसएम, बढ़ेगी खनिज की खोज व उत्पादन क्षमता
Indian School of Mines साइबर फिजिकल सिस्टम विकसित होने से मिनरल एक्सप्लोरेशन और खनिज की खोज व उत्पादन क्षमता बढ़ेगी। प्रथम चरण में तीन वर्ष की अवधि की पोस्ट डॉक्टोरल फेलोशिप होगी।
धनबाद, जेएनएन। आइआइटी आइएसएम (इंडियन स्कूल ऑफ माइंस) को माइनिंग 4.0 के लिए पूरे देश का नोडल सेंटर बनाया गया है। इसके लिए देशभर के 17 आइआइटी ने आवेदन किया। आइएसएम को इसके लिए चुना गया। इसके साथ ही माइनिंग गुरु आइएसएम अब माइनिंग के क्षेत्र में साइबर फिजिकल सिस्टम के उपयोग का तरीका बताएगा। इससे खनन क्षेत्र और समृद्ध होगा।
दरअसल नोडल सेंटर के चयन के लिए दिए आवेदन में हर आइआइटी ने मंत्रालय में पे्रजेंटेशन दिया था। इस दौरान 50 सवाल भी पूछे गए। सभी को डीपीआर बनाकर मंत्रालय में देने को कहा गया। आइआइटी आइएसएम को अंत में चयनित किया गया। करीब 145 करोड़ रुपये इसके लिए स्वीकृत किए गए। माइनिंग वर्टिकल, सेंसर टेक्नो व शोध अनुसंधान को इस सिस्टम के तहत बढ़ावा मिलेगा। प्रौद्योगिकी का कैसे और विकास हो इस पर काम होगा। आइएसएम प्रोफेसर धीरज कुमार ने बताया कि साइबर फिजिकल सिस्टम विकसित होने से मिनरल एक्सप्लोरेशन और खनिज की खोज व उत्पादन क्षमता बढ़ेगी। प्रथम चरण में तीन वर्ष की अवधि की पोस्ट डॉक्टोरल फेलोशिप होगी। इसमें चयनित होने वाले छात्रों को पहले वर्ष 60 हजार प्रतिमाह फे लोशिप मिलेगी।
इन बिंदुओं पर होगा काम
- एआइ और एमएल - खनिज संसाधनों में एआइ और एमएल का उपयोग।
- उन्नत वास्तविकता - डिजिटल सिस्टम से भौतिक कार्यस्थल तक की जानकारी को एकीकृत करना।
- वास्तविक वास्तविकता - हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर आधारित सिमुलेशन और वास्तविक जीवन की खनन स्थितियों पर प्रशिक्षण जैसे खदान की आग, छत की विफलता, डंङ्क्षपग ढलान।
- स्मार्ट सेंसर और माइनर ट्रैङ्क्षकग सिस्टम - पहनने योग्य सेंसर और भूमिगत पोजीशङ्क्षनग सिस्टम का विकास
- स्मार्ट और इंटेलिजेंट सेंङ्क्षसग सिस्टम - हैवी अर्थ मूङ्क्षवग मशीन, कंप्यूटर, पीडीए और अन्य सूचना प्रणाली के साथ इंटरफेस के लिए खनिकों के लिए बुद्धिमान व्यक्तिगत सहायता प्रणाली।
- रोबोटिक माइनर्स सिस्टम - ड्रिङ्क्षलग रोबोट, बचाव रोबोट सिस्टम को विकसित करना।