Positive India: जंग-ए-कोरोना में आइएसएम (आइआइटी) के लड़ाके दिखा रहे हुनर
महाभारत का युद्ध 18 दिनों में जीता गया था। आज कोरोना के खिलाफ जो युद्ध पूरा देश लड़ रहा है पहला प्रयास है कि 21 दिनों में इस युद्ध को समाप्त कर दिया जाए।
धनबाद [ जागरण स्पेशल ]। कोरोना जैसी विकट महामारी से बचाव के लिए हर किसी की निगाहें वैज्ञानिकों पर टिकी हैं। कोई अनुसंधान देश को राहत दे जाए। IIT(ISM) लोगों की उम्मीदों को पूरा करने में तन्मयता के साथ लगा हुआ है। रिसर्च स्कॉलर से लेकर टीचर तक दायित्व निभाने में लगे हैं। इसी का नतीजा है कि धनबाद को इस संक्रामक बीमारी से बचाने और लोगों में जान फूंकने के लिए अपने प्रयोगों से आइआइटी (आइएसएम) उम्मीद की किरण बनकर सामने आया है।
तकनीक के महारथी आजमा रहे हर हथियार
महाभारत का युद्ध 18 दिनों में जीता गया था। आज कोरोना के खिलाफ जो युद्ध पूरा देश लड़ रहा है, पहला प्रयास है कि 21 दिनों में इस युद्ध को समाप्त कर दिया जाए। महाभारत के युद्ध के समय भगवान कृष्ण महारथी थे, सारथी थे। आज 130 करोड़ महारथियों के बलबूते कोरोना के खिलाफ लड़ाई लड़ी जा रही है। वैसे तो इस युद्ध में कई महाबली योद्धा मैदान में कूद पड़े हैं और अपने शक्तियों का प्रयोग कर रहे हैं। इस संग्राम में तकनीकि क्षेत्रों के महारथी भी हथियारों से लैस युद्ध के मैदान में कूद पड़े हैं। इस लड़ाई में आइएसएम के योगदान को नकारा नहीं जा सकता। इसलिए इसका जिक्र करना जरूरी है।
इसमें प्रवेश करते ही पूरा शरीर होता सैनिटाइज
डिसइनफेक्ट स्प्रे - कोरोना के खिलाफ इस लड़ाई में कारगर साबित होगा। डिसइनफेक्ट स्प्रे बाथ से शरीर के सभी किटानु मर जाएंगे। आइआइटी ने इसे लगभग तैयार कर लिया है। डिसइनफेक्ट स्प्रे पहले से काफी जगहों पर है यहां नहीं है। आपदा कि इस घड़ी में यह काफी मददगार होगा। कोरोना में इसका उपयोग किस तरह किया जाए इसका रास्ता निकाला गया है। डिसइनफेक्ट स्प्रे अस्पताल व ऐसे महत्वपूर्ण जगहों पर लगाया जाएगा जहां लोगों की आवाजाही ज्यादा है। जैसे ही लोग वहां से गुजरेंगे डिसइनफेक्ट स्प्रे लोगों सेनेटाइज कर देगा और उनके शरीर में मौजूद किटानु मर जाएगा। फलस्वरूप खतरा काफी कम हो जाएगा। फिलहाल डिसइनफेक्ट स्प्रे को पीएमसीएच में लगाया जाएगा ताकि वहां आने वाले मरीजों को सेनेटाइज किया जा सके।
इस सेनेटाइजर का पीएमसीएच अस्प्ताल में हो रहा है उपयोग
कोरोना वायरस से बचाव को लेकर पूरा देश अपने-अपने घरों में लॉक हैं। वहीं दूसरी और आइआइटी आइएसएम ने इस स्थिति में भी रिसर्च में जुटा हुआ है। बाजार में सेनेटाइजर की ब्लैक मार्केटिंग और नहीं मिलने के बाद संस्थान ने खुद हीं सेनेटाइजर तैयार कर लिया है। केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय के आहवान पर संस्थान ने सेनेटाजर तैयार किया है। यह सेनेटाइजर खुशबूदार भी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के गाईड लाइन के अनुसार हैंड सेनेटाइजर तैयार किया है। इसमें अल्कोलहल की मात्रा को नियंत्रित किया गया है। जिससे हाथों की त्वचा को नुकसान नहीं पहुंचता है। फिलहाल इस सेनेटाइजर का उपयोग पीएमसीएच में किया जा रहा है। आइआइटी आइएसएम प्रति दिन पांच लीटर सेनेटाइजर तैयार कर पीएमसीएच अस्पताल को दे रहा है। सेनेटाइजर काफी सस्ता है। 100 मिलीलीटर की एक बोतल की कीमत 25 से 30 रूपये आई है। जबिक वर्तमान में बाजार में सेनेटाइजर की कालाबाजारी हो रही है। 100 मिली की बोतल दो सौ रूपये तक मिल रही है। आइएसएम केमेस्ट्री इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर महेंद्र यादव, प्रो. सागर पाल, प्रो. पार्थसारथी दास, प्रो.सोमनाथ यादव तथा प्रो. एस मैथी के द्वारा बनाया गया है। सेनेटाइजर में विभिन्न पदार्थों को मिलाया गया है।
एक साथ चार लोगों की जिंदगी बचाएगा वेंटिलेटर
आइआइटी आइएसएम के मेकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. अमित राज दीक्षित व उनके दो सहयोगी आशीष कुमार व रिसर्च स्कॉलर रत्नेश कुमार ने दो तरह का थ्रीडी वेंटिलेटर तैयार किया है। मेकेनिकल विभाग के रिवर्स इंजीनियरिंग लैब में इसे तैयार किया गया है। इसमें वेंटिलेटर स्प्लिटर एडॉप्टर का इस्तेमाल किया गया है। जिससे एक वेंटिलेटर से चार मरीजों को सुविधा दी जा सकेगी। इसमें एक को इंसपीरेटरी क्लब के साथ और दूसरे को एक्सपीरेटरी क्लब के साथ जोड़कर एक साथ चार वेंटिलेटरके साथ कनेक्ट किए गए हैं। इसकी खासियत है कि यह पैसेंट के हिसाब से आक्सीजन मुहैया कराएगा। उदाहरण के तौर पर यदि एक मरीज युवा है और दूसरा बुजूर्ग ऐसे में बुर्जूग को अधिक आक्सीजन की आवश्यकता होगी। अलग-अलग मरीजों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए इसमें फ्लो कंट्रोल वॉल्ब भी दिया गया है। साथ ही वेंटिलेटर में अलग-अलग साइज के होल है जो डिफ्रेंशियल फलो मेंटेन करेगा यानि आक्सीजन को आवश्यकता के अनुसार आक्सीजन मुहैया कराएगा। आइआइटी आइएसएम इस वेंटिलेटर को पीएमसीएच में इंस्टाल करेगा ताकि कोरोना के जंग में हराया जा सके।
22 कमरों को बनाया क्वारंटाइन सेंटर
एग्जीक्यूटिव डेवलपमेंट सेंटर को आइआइटी आइएसएम ने क्वारंटाइन सेंटर में तब्दील कर दिया है। ईडीसी भवन के तीसरे और चौथे तल्ले पर 22 कमरे क्वारंटाइन के लिए सुरक्षित रखे गए हैं। प्रो. राजीव शेखर की माने तो आपदा की इस घड़ी में संस्थान अपने धनबाद के लिए खड़ा है। 22 कमरों को पूरी तरह से सेनेटाइजेशन किया गया है। इसकी जानकारी प्रशासन को दी जा चुकी है। जिला प्रशासन जब भी चाहे इसका उपयोग कर सकता है।
कम्युनिटी किचन की शुरूआत
कोरोना वायरस की जंग में अब आइआइटी आइएसएम सामाजिक जिम्मेवारियों को भी बखूबी निभा रहा है। आइएसएम सामाजिक भूमिका निभाते हुए जरूरतमंदों को खाना खिला रहा है। आइएसएम में इसके लिए क्मयुनिटी किचन की शुरूआत की गई है। यह किचन प्रतिदिन चलेगा और जरूरतमंद लोगों की भूख मिटा रहा है। इस किचेन में प्रति दिन 300 पैकेट तैयार कर लोगों तक पहुंचाया जाता है। इसके लिए संस्थान की ओर से जगह चिह्नित भी किया गया है। ताकि उन्हें नियमित रूप से भोजन मिल सके। इसमें समय का भी विशेष ख्याल रखा जा रहा है। डीन प्रो. धीरज कुमार की देखरेख में भोजन का वितरण किया जाता है।
आइएसएम के रिसर्च स्कॉलर में भी जगी सेवा भावना
लॉकडाउन के बीच जरुरतमंदों की सहयता के लिए हर तरफ से हाथ बढ़ रहे हैं। जरुरतमंदों के सहयोग को आइएसएम छात्राएं, बीटेक पास आउट छात्र आगे आ रहे हैं। चिरकुंडा स्थित सुभाष नगर निवासी रविन्द्र कुमार ओझा की पुत्री आइआइटी आईएसएम की छात्रा नेहा, नेहा का भाई विशाल व उनके सहयोगियों ने आपस में पैसा इक्ठठा कर जरुरतमंदों के बीच खाद्य सामग्री का वितरण किया। इस मंगलवार को विशाल व उनके सहयोगियों ने धानकल बस्ती, कुमारधुबी स्टेशन रोड स्थित झोपड़ पट्टी व आसपास के क्षेत्रों मे गरीबों के बीच 10 ङ्क्षक्वटल चावल, 250 किलो आलू, 122 किलो दाल, सरसों तेल, मुढ़ी व बिस्कूट 233 घरों में अलग अलग बांटा। आइआइटी आइसएम में डिपार्टमेंट ऑफ ह्यूमनिटीज एंड सोशल साइंस से रिसर्च स्कॉलर कर रही नेहा कुमारी ने कहा कि मैं व मेरे भाई विशाल ने गरीबों व बेसहारों की सेवा करनी ठानी है। मैं, मेरे भाई व उनके सहयोगियों ने आपस में पैसा इक्ठठा कर जरुरतमंदों के लिए खाद्य सामग्री खरीदा व वितरण किया। इसमें राहुल, सोनू, अभिषेक समेत आरएसपी लर्निग फाउंडेशन व आईएसएम के भी स्कॉलरर्स ने भी दूर रहकर मदद की।
इसकी भी है तैयारी
- कोविड - 19 की चुनौती को देखते हुए सहयोगात्मक शोध अधिक से अधिक किया जा सके इस पर विशेष जोर दिया गया है।
- आइआइटी आइएसएम अपने आस-पास के कॉलेजों व इंजीनियङ्क्षरग कॉलेजों को शिक्षा के क्षेत्र में ऑनलाइन सहयोग ओर प्रशिक्षण देगा।
- संस्थान का कोई भी छात्र या प्रोफेसर शोध करना चाहता है तो उसे हर संभव मदद किया जाएगा।