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Indian Railways: आज ही के दिन डीसी लाइन पर ठप हो गया था ट्रेनों का परिचालन, आज भी कई की वापसी का इंतजार

भारतीय रेल के कैलेंडर में 15 जून की तारीख खास है। यह वही तारीख है जब लॉकडाउन से पहले एक साथ इस रूट पर चलने वाली सारी ट्रेनों का परिचालन रोक दिया गया था। उसके बाद कई ट्रेनें घूम कर जाने लगीं तो कई के पहियों पर ब्रेक लगा गया।

By Deepak Kumar PandeyEdited By: Published: Wed, 15 Jun 2022 06:13 AM (IST)Updated: Wed, 15 Jun 2022 06:13 AM (IST)
Indian Railways: आज ही के दिन डीसी लाइन पर ठप हो गया था ट्रेनों का परिचालन, आज भी कई की वापसी का इंतजार
भूमिगत आग की वजह से इस रूट पर ट्रेनों का परिचालन असुरक्षित माना गया था।

संवाद सहयोगी, कतरास: भारतीय रेल के कैलेंडर में 15 जून की तारीख खास है। यह वही तारीख है, जब लॉकडाउन से पहले एक साथ इस रूट पर चलने वाली सारी ट्रेनों का परिचालन रोक दिया गया था। उस दिन के बाद कई ट्रेनें घूम कर जाने लगीं तो कई के पहियों पर हमेशा के लिए ही ब्रेक लगा गया।

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भूमिगत आग की वजह से इस रूट पर ट्रेनों का परिचालन असुरक्षित माना गया था। रिपोर्ट में कहा गया था कि अगर एक दिन भी इस रूट पर ट्रेन दौड़ी तो फिर कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। इसी आधार पर 15 जून 2017 को डीसी लाइन पर ट्रेनों के परिचालन पर अचानक रोक लगा दी गई थी। सुरक्षात्मक कारण बताकर लिये गए सरकार के निर्णय से पूरे कोयलांचल में बवाल मच गया था। 26 जोड़ी यात्री ट्रेनों की सुविधा छीनने से नाराज क्षेत्र की जनता आंदोलन पर उतर आई थी। सड़क से लेकर संसद तक यह सवाल उठा कि एकाएक कैसे परिचालन बंद कर दिया गया। जनता ने महात्मा गांधी के हथियार सत्याग्रह को अपनाया। 20 महीने तक लगातार सत्याग्रह चलता रहा। एक ओर स्टेशन रोड में महाधरना तो दूसरी ओर स्टेशन परिसर में प्रार्थना सभा होती रही। प्रदर्शन, उपवास, वार्ता, घेराव, रैलियों के माध्यम से जनता आंदोलन करती रही। चंद्रपुरा से लेकर कतरास तक और बंसजोड़ा से कतरास तक रेल लाइन पर पदयात्राएं हुईं। गुजराती समाज, माधुरी समाज, भुइयां समाज, चैंबर आफ कामर्स, धनबाद बार एसोसिएशन आदि ने भी इस आंदोलन में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी।

जन आंदोलन के दबाव के आगे सरकार झुकी और 25 फरवरी 2019 को डीसी रेल लाइन ट्रेनों का पुनः परिचालन शुरू किया गया। हालांकि आज भी कई ट्रेनों का परिचालन नहीं हो रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि अभी जो ट्रेनें चल रही हैं, उनमें से कई का कतरासगढ़ स्टेशन पर ठहराव सुनिश्चित नहीं हुआ है। पूर्व की भांति जब तक सभी ट्रेनों का परिचालन शुरू नहीं होता और निर्धारित स्थानों पर ठहराव नहीं होता है, तब तक माना जाएगा कि आंदोलन अपने मुकाम पर नहीं पहुंचा है। इसलिए रेल आंदोलनकारी 15 जून को अपने संकल्प मजबूत करने के कतरासगढ़ स्टेशन पर जमा होते हैं।


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