एमपीएल जाने वाले ट्रैक के नीचे फिर धंसी जमीन, दायरा बढ़ा तो हावड़ा-नई दिल्ली लाइन भी आएगी चपेट में
थापरनगर रेलवे स्टेशन से एमपीएल कोयला ढुलाई के लिए बनाई गई रेलवे लाइन के नीचे की जमीन एक बार फिर धंसी है। धंसान क्षेत्र लगभग 20 फीट के दायरे में है। रेलवे ट्रैक के नीचे लगभग 10 से 15 फीट जमीन धंस गई है।
जागरण संवाददाता, निरसा/थापरनगर: थापरनगर रेलवे स्टेशन से एमपीएल कोयला ढुलाई के लिए बनाई गई रेलवे लाइन के नीचे की जमीन एक बार फिर धंसी है। धंसान क्षेत्र लगभग 20 फीट के दायरे में है। रेलवे ट्रैक के नीचे लगभग 10 से 15 फीट जमीन धंस गई है। साथ ही लगभग 50 मीटर के दायरे में जमीन में दरारें पड़ चुकी हैं। अगर धंसान का दायरा बढ़ता है हावड़ा-नई दिल्ली लाइन भी खतरे में आ जाएगी। गया-हावड़ा ग्रैंड काॅर्ड लाइन की दूरी यहां से मात्र 38 मीटर है। इस रूट से होकर हर दिन दर्जनों गाडि़यां गुजरती हैं। इधर, जमीन धंसने के बाद श्यामपुर बस्ती के ग्रामीण भी दहशत में हैं।
पिछले सप्ताह भी धंसी थी जमीन
मालूम हो कि 16 अगस्त को श्यामपुर बस्ती से थापरनगर रेलवे स्टेशन जाने वाले मार्ग में लगभग डेढ़ सौ फीट के दायरे में दरारें पड़ गई थीं। वहीं मुख्य मार्ग लगभग तीन फीट नीचे धंस गया था। इससे पहले 27 अगस्त 2021 को एमपीएल के रेलवे लाइन एवं आसपास के लगभग 100 फीट के दायरे में जमीन धंस गई थी। बराबर हो रही भूधसांन की घटना से आसपास के ग्रामीणों में दहशत व्याप्त है।
तेज आवाज के साथ धंस गई जमीन, बाल-बाल बचे लोग
जानकारी के अनुसार, मंगलवार को अलसुबह अचानक तेज आवाज के साथ थापरनगर रेलवे स्टेशन से एमपीएल जाने के लिए बनाए गए रेलवे ट्रैक के नीचे की जमीन लगभग 20 फीट के दायरे में जमींदोज हो गई। साथ ही लगभग 50 फीट के दायरे में जमीन में दरारें पड़ गईं। स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि हादसे में वह बाल-बाल बच गए, लेकिन अब खतरा सीधे उनके सिर पर मंडराने लगा है। आरोप लगाया कि जब भी भूधसांन होता है, ईसीएल प्रबंधन ऊपर-ऊपर मिट्टी भरवाकर अपना पिंड छुड़ा लेता है, लेकिन अगर सही ढंग से इसकी भराई नहीं कराई गई तो कभी भी भयानक घटना हो सकती है।
ग्रामीणों ने बताया कि भूधंसान स्थल से ग्रैंड काॅर्ड लाइन की दूरी मात्र 38 मीटर है। अगर भूंधसान स्थल की अच्छे से भराई नहीं कराई गई तो कभी भी ग्रैंड काॅर्ड रेल लाइन जमींदोज हो सकती है। उस वक्त व्यापक पैमाने पर जान माल की हानि हो सकती है।
असुरक्षित खनन से खोखली होती चली गई जमीन
ग्रामीण बताते हैं कि कोलियरियों के सरकारीकरण से पहले तक इस स्थान पर तीन चानक बनाकर प्राइवेट कंपनियों द्वारा कोयले का उत्खनन किया गया था। सरकारीकरण के बाद भी ईसीएल प्रबंधन द्वारा कुछ दिनों तक कोलियरी का संचालन किया गया। वहीं खदान बंद होने के बाद कोयला चोरों द्वारा असुरक्षित तरीके से कोयले की कटाई की गई, जिसके कारण नीचे की जमीन खोखली होती चली गई तथा आए दिन इस स्थान पर भूधंसान की घटनाएं होती रहती हैं।
27 अगस्त 2021 को हो चुका है बड़ा हादसा
मालूम हो कि इससे पहले 27 अगस्त 2021 को थापरनगर रेलवे स्टेशन से एमपीएल जाने वाले रेलवे ट्रैक एवं उसके आसपास की जमीन लगभग 70 फीट के दायरे में जमींदोज हो गई थी। हादसे में रेलवे लाइन का 2-2 केबिन बॉक्स एवं रेलवे ट्रैक जमींदोज हो गया था। उस वक्त रेलवे, एमपीएल, डीजीएमएस एवं ईसीएल के वरीय पदाधिकारियों ने आकर स्थल का निरीक्षण किया था तथा भूधंसान की भराई कराने का निर्णय लिया था। साथ ही सिंफर के वैज्ञानिकों से ईसीएल के क्षेत्र से गुजरे रेलवे लाइन के नीचे की जमीन की वैज्ञानिक तरीके से जांच करवा कर कार्रवाई करने का निर्णय लिया गया था, लेकिन इस दिशा में क्या कार्रवाई हुई, ग्रामीणों को इसकी कोई जानकारी नहीं है।