Indian Railways: जिसे नौ महीने अपनी कोख में रखा, उसे नौ महीने बाद ही चलती ट्रेन में छोड़ लापता हो गई मां
धनबाद कोचिंग डिपो के कर्मचारी अभी ट्रेन को मेंटेनेंस के लिए वाशिंग पिट पर ले जाने की तैयारी कर ही रहे थे कि अचानक बच्चे के रोने की आवाज मिली। सन्नाटे को चीरती किलकारी ने कर्मचारियों के कान खड़े कर दिए।
जागरण संवाददाता, धनबाद: धनबाद कोचिंग डिपो के कर्मचारी अभी ट्रेन को मेंटेनेंस के लिए वाशिंग पिट पर ले जाने की तैयारी कर ही रहे थे कि अचानक बच्चे के रोने की आवाज मिली। सन्नाटे को चीरती किलकारी ने कर्मचारियों के कान खड़े कर दिए। सारे के सारे कर्मचारी रोने की आवाज आने वाली जगह तलाशने में लग गए। आखिरकार पता चला कि रोने की आवाज ट्रेन के अंदर से आ रही है। दरवाजा खोल कर अंदर गए तो आंखें खुली की खुली रह गई। ट्रेन की सीट पर एक नन्ही परी अपनों को तलाश रही थी। घटना 28 जून की है। फिलहाल उस मासूम को जीआरपी और आरपीएफ चाइल्ड केयर होम में पनाह मिली है।
पूरी रात ट्रेन में अकेली पड़ी रही अबोध
सोमवार को रांची से धनबाद आई 13304 रांची-धनबाद इंटरसिटी एक्सप्रेस के डी-6 कोच में 46 नंबर सीट पर एक नौ महीने की बच्ची को उसके घर वाले छोड़ कर चले गए थे। ट्रेन सोमवार की देर रात धनबाद पहुंची थी और उसके बाद कोचिंग डिपो चली गई थी। पूरी रात नौ महीने की मासूम अकेली ही ट्रेन में सोई रही। सुबह कोचिंग डिपो के कर्मचारियों को उसके रोने की आवाज सुनाई दी तो आरपीएफ के सिक्योरिटी कंट्रोल को सूचना दी गई। सूचना पर आरपीएफ के एएसआइ एसबी सिंह और जवान प्रवीण कुमार व जीआरपी के एएसआइ कालिया उरांव कोचिंग डिपो पहुंचे और पूरे मामले की जानकारी ली।
रेलवे के डाक्टर ने की जांच, बिल्कुल स्वस्थ पाई गई बच्ची
रेलवे के डीएमओ डॉ. केसी प्रसाद ने बच्ची का स्वास्थ्य परीक्षण किया। उन्होंने बताया कि बच्ची पूरी तरह स्वस्थ है। इसके बाद उसे चाइल्ड केयर को सौंप दिया गया। ट्रेन में नौ महने की मासूम बच्ची के मिलने को लेकर कई तरह की चर्चा हो रही है। बच्ची कहां से आई है, कहां सवार हुई, उसके घरवाले उसे क्यों और कहां छोड़ कर उतर गए, ट्रेन से उतरे दूसरे यात्रियों ने उसे क्यों नहीं देखा जैसे सवाल भी उठ रहे हैं।