Saryu Roy की पालिटिक्स क्या है ! हेमंत के विरोध और बाबूलाल के समर्थन में बयान के निकाले जा रहे मायने
Saryu Roy झारखंड के पूर्व मंत्री सरयू राय का एक अलग इतिहास रहा है। वह सत्ता के शीर्ष पर बैठे किसी व्यक्ति के स्थायी मित्र नहीं रहे हैं। प्रथम मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी फिर दूसरे मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा और बाद के मुख्यमंत्री रघुवर दास के राय की खूब पटती थी।
जागरण संवाददाता, धनबाद। खुद को 'वन मैन आर्मी' और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने वाला योद्धा बताने वाले झारखंड के पूर्व मंत्री सरयू राय की राजनीति क्या है ? उनके दो हालिया बयान के बाद मायने निकाले जा रहे हैं। पहला-उन्होंने झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर तंज कसते हुए कहा है-पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास हाथी उड़ा रहे थे और वर्तमान मुख्यमंत्री सत्ता के मद में मदमस्त हाथी पर सवार हैं। दूसरा-झारखंड विधानसभा में पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी को नेता प्रतिपक्ष की मान्यता देने की मांग की है। इसी के बाद से राज्य की राजनीति और खासकर भाजपा के गलियारे में एक नई चर्चा शुरू हो गई है। क्या सरयू राय फिर से भाजपा में वापसी करना चाहते हैं ? वैसे उन्होंने इससे साफ इन्कार किया है।
सत्ता और प्रतिपक्ष रार छोड़ एक-दूसरे का करें सम्मान
26 अगस्त को भारतीय जनतंत्र मोर्चा के सुप्रीमो व जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय धनबाद में थे। उन्होंने सर्किट हाउस में मीडिया से बात की। इस दाैरान कहा-सत्ता और प्रतिपक्ष को अब अपनी रार छोड़कर एक दूसरे का सम्मान करना चाहिए। हाल ही में कांग्रेस ने जो नई कार्यसमिति बनाई है, उसमें झाविमो से गए बंधु तिर्की को प्रदेश का कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया है। वे जब कांग्रेस के पदाधिकारी हो सकते हैं तो उसके विधायक क्यों नहीं। सरकार को बंधु तिर्की, प्रदीप यादव को कांग्रेस का विधायक मानना चाहिए और इसी आधार पर बाबूलाल मरांडी को भी नेता प्रतिपक्ष के रूप में मान्यता दे देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मुख्य प्रतिपक्षी दल के रूप में भाजपा है ही। ऐसा नहीं होने पर भाजपा में भी नेताओं की कमी नहीं। लिहाजा उन्हें भी रार छोड़कर बाबूलाल के बजाए किसी अन्य को विधायक दल का नेता चुनकर उन्हें नेता प्रतिपक्ष के रूप में सामने लाना चाहिए ताकि सहमति बन जाए।
घरवापसी पर दिया जवाब
जब पूछा गया कि क्या घरवापसी चाहते हैं तो सरयू का कहना था कि यह संभव नहीं। उन्होंने भारतीय जनतंत्र मोर्चा का गठन किया है। इसके राज्यभर में प्रसार की कोशिशें की जा रही है। इसी संदर्भ में धनबाद आना हुआ है। उन्होंने कहा कि मजदूर क्षेत्र में पैठ बनाने व बीसीसीएल के खिलाफ आंदोलन करने की बात भी कही। बीसीसीएल की ओर से असंगठित ठेका मजदूरों का शोषण किया जा रहा है। उन्हें कोई सामाजिक सुरक्षा नहीं दी जा रही है। उन्होंने कहा कि कंपनी ने सुदामडीह व पाथरडीह वाशरी को आउटसोर्सिंग कंपनियों को दे दिया है। ये कंपनियां वाशरी का गंदा पानी सीधे दामोदर में छोड़ रही हैं। यही हाल बोकारो स्टील लिमिटेड का भी है। इससे दामोदर नदी में प्रदूषण का स्तर फिर से बढ़ रहा है। इसके खिलाफ आंदोलन होगा।
हेमंत सोरेन सत्ता के मदमस्त हाथी पर सवार
25 अगस्त को राय बोकारो में थे। उन्होंने वहां पर बयान दिया कि सरकार तो सरकार होती है। वह अपने ढंग से चलती है। पूर्व की रघुवर दास की सरकार हाथी उड़ा रही थी तो वर्तमान सरकार हाथी पर बैठकर मदमस्त है। जनहित के मामले में न पहले गंभीरता थी और न वह गंभीरता आज दिख रही है। वर्तमान सरकार में खनन विभाग के काम करने के तौर तरीकों पर कई बार आपत्ति प्रकट कर चुका हूं। प्रदेश में खनिजों के उत्खनन से लेकर विपणन तक में गड़बड़ी हो रही है। नियम में जो गड़बड़ लगा, उन्होंने सरकार में उठाया है। सरकार मेरे द्वारा उठाए गए मामले की जांच कर स्थिति स्पष्ट कर मामले पर करवाई करें। विधानसभा सत्र से पहले अब तक दी गई शिकायतों का बंडल बनाकर मुख्यमंत्री को सौंप दूंगा। ताकि सत्र के दौरान सरकार स्थिति स्पष्ट करे। उनका काम जनता की आवाज उठाना है, इस सरकार में भी इसे उठाने का काम कर रहे हैं।
क्या सोचता है रघुवर खेमा
सरयू राय पूर्व की भाजपा सरकार में मंत्री थे। रघुवर दास मुख्यमंत्री। दोनों के बीच सरकार के कार्यकाल के अंतिम समय में नहीं पटी। तब राय जमशेदपुर पश्चिमी और रघुवर पूर्वी विधानसभा क्षेत्र से विधायक थे। साल 2019 के विधानसभा चुनाव से पहले राय का टिकट प्रतिक्षा सूची में डाल दी गई तो वे भड़क गए। इसके लिए तब के मुख्यमंत्री रघुवर दास को जिम्मेदार ठहराया। दास के खिलाफ ही पूर्वी जमशेदपुर क्षेत्र से चुनाव लड़ने की घोषणा की। राय को चुनाव में पराजित कर दिया। बताैर मुख्यमंत्री रघुवर को पराजित कर राय देश की मीडिया में छा गए। हाल के दिनों में राय के बयानों को लेकर रघुवर खेमा की सोच कुछ और है। मानना यह है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सरयू राय को भाव नहीं दिया। इसलिए अब वह भाजपा से मेलमिलाप चाहते हैं। लेकिन इसके लिए भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास कभी तैयार नहीं होंगे। उनका मानना यह है कि राय ने जितना नुकसान पहुंचाना था पहुंचा लिया। अब इससे ज्यादा तो कुछ कर नहीं सकते। राय को आभा धीरे-धीरे खत्म हो रहा है। अगले विधानसभा चुनाव में पता चल जाएगा।