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Jharkhand Politics: अब स्थानीयता नीति को लेकर सरयू ने रघुवर पर साधा निशाना, बोले-15 नवंबर, 2000 होना चाहिए 'कट आफ डेट'

Jharkhand Politics सरयू राय ने कहा हि क पहले बिहार में झारखंड था। अब झारखंड में एक बिहार है बंगाल है उड़ीसा है यूपी है छत्तीसगढ़ है। सब लोग खुद को स्थानीय समझेंगे उनके मन में किसी तरह की भ्रांति नहीं रहेगी तभी झारखंड का सम्यक विकास हो सकेगा।

By MritunjayEdited By: Published: Sun, 05 Dec 2021 02:50 PM (IST)Updated: Sun, 05 Dec 2021 03:09 PM (IST)
Jharkhand Politics: अब स्थानीयता नीति को लेकर सरयू ने रघुवर पर साधा निशाना, बोले-15 नवंबर, 2000 होना चाहिए 'कट आफ डेट'
निर्दलीय विधायक सरयू राय ( फाइल फोटो)।

अश्विनी रघुवंशी, धनबाद। स्थानीयता नीति पर हेमंत सरकार कोई भी निर्णय ले सकती है। कोई भी स्थानीयता नीति संविधान के अनुरूप नहीं होगी तो न्यायालय से रद्द हो जाएगी। यह कहना है निर्दल विधायक सरयू राय का। उन्होंने कहा कि 15 नवंबर 2000 को ही स्थानीयता नीति के लिए कट आफ डेट निर्धारित करना चाहिए। झारखंड बनने के दिन जो लोग यहां रह रहे थे, सबको अपना मानना चाहिए। बिहार पुनर्गठन विधेयक में भी इसके लिए व्यवस्था की गई है। उन्होंने कहा कि रघुवर सरकार की स्थानीयता नीति भी सही नहीं थी। 1985 को भी कट आफ डेट मानना आधारहीन है।

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समय को कुछ समय दीजिए

सरयू राय रविवार को धनबाद आए थे। विशेष बातचीत में उन्होंने कहा कि पहले बिहार में झारखंड था। अब झारखंड में एक बिहार है, बंगाल है, उड़ीसा है, यूपी है, छत्तीसगढ़ है। सब लोग खुद को स्थानीय समझेंगे, उनके मन में किसी तरह की भ्रांति नहीं रहेगी तभी झारखंड का सम्यक विकास हो सकेगा। यहां शांति रहेगी। उन्होंने कहा कि इस तरह की बातें नई नहीं है। जब बंगाल से बिहार अलग हुआ था तब भी स्थानीयता के मसले पर इसी तरह की बातें उठी थी। इसके बाद बिहार में रहने वाले बंगाली और बंगाल में रहने वाले बिहारी वहां के स्थानीय हो गए। बस समय को कुछ समय दीजिए।

दूसरे राज्यों में पढऩे वाले की नियुक्ति रोकना अनुचित

सरयू राय ने कहा कि हेमंत सरकार ने यह व्यवस्था की है कि झारखंड में रहने वाले लोगों के बच्चे दूसरे राज्यों में पढ़े हैैं, तो उन्हें नियुक्ति की परीक्षा में बैठने का अवसर नहीं मिलेगा। यह अनुचित है। कुछ लोग न्यायालय में गए हैैं। यह नीति न्यायालय से रद्द हो जाएगी।

लोकसेवक सत्ता में बैठे लोगों के निजी सेवक न बने

सरयू राय ने कहा कि लोग शिकायत करते हैैं कि झारखंड में हरेक पखवाड़े तबादले होते रहते हैैं। सिर्फ सरकार को क्यों दोष दिया जाय। नियम विरुद्ध तबादलों की सूची लोकसेवक बनाते हैैं, हस्ताक्षर करते हैैं। कड़वा सच यह है कि लोकसेवक सत्ता में बैठे लोगों के निजी सेवक बनते जा रहे हैैं, चाहे राज्य हो अथवा केंद्र। सत्ता का निजी सेवक बनने की अंतरात्मा को जगाने की जरूरत है।

ज्यों ज्यों भ्रष्टाचार की दवा हुई, मर्ज बढ़ता ही गया

चारा घोटाला, लौह अयस्क खनन घोटाला जैसे कई मामले उजागर कर चुके सरयू राय ने कहा कि झारखंड में भ्रष्टाचार और प्रदूषण बड़ा मसला है। अलग राज्य बनने के बाद भ्रष्टाचार बढ़ता ही गया है, चाहे सरकार कोई भी क्यों न हो। ज्यों ज्यों दवा हुई, मर्ज बढ़ता ही गया। 19 दिसंबर को रांची में भ्रष्टाचार और प्रदूषण के क्षेत्र में काम करने वाले प्रतिनिधियों का सम्मेलन किया जाएगा। इसमें राज्यपाल और मुख्यमंत्री को भी आमंत्रित किया जाएगा।


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