Lok Sabha Election 2019: भाजपा से लड़ने के लिए कीर्ति को पहले अपनों का जीतना होगा दिल
धनबाद में पार्टी के अंदर गुटबाजी हावी है। कांग्रेस अंदर ही अंदर कई गुटों में बंटी है। कीर्ति को टिकट मिलने की घटना ने असंतोष व गुटबाजी को और हवा दे दी है।
धनबाद, जेएनएन। धनबाद से कांग्रेस के उम्मीदवार कीर्ति झा आजाद को लोकसभा चुनाव में भाजपा से लड़ाई के पहले अपनों को मनाने के लिए मशक्कत करनी होगी। यहां से भाजपा के पीएन सिंह को शिकस्त देने के लिए कांग्रेस में असंतुष्टों को मनाना होगा।
दरअसल, धनबाद में पार्टी के अंदर गुटबाजी हावी है। पार्टी अंदर ही अंदर कई गुटों में बंटी है। कीर्ति को टिकट मिलने की घटना ने असंतोष व गुटबाजी को और हवा दे दी है। टिकट की दौड़ में लगे दावेदारों में अंदर ही अंदर संतोष है। कीर्ति का धनबाद आगमन पर विरोध कुछ ऐसा ही संकेत दे रहा है। चर्चा है कि कीर्ति का विरोध एक खास गुट के इशारे पर हुआ। जिला कांग्रेस कमेटी ने विरोध करने वाले पांच नेताओं के खिलाफ कड़ा एक्शन लेते हुए पार्टी से छठ साल के निष्कासित कर दिया है। पार्टी नेताओं का मानना है कि ये कुछ दिन का विरोध है। अगले कुछ दिनों में सबकुछ सामान्य हो जाएगा।
कई बड़े नेता दूरी रखे हुएः कीर्ति झा आजाद को धनबाद से कांग्रेस का टिकट मिलने से कई बड़े नेता अभी तक दूरी बनाए रखे हुए हैं। कीर्ति झा आजाद शुक्रवार को जब धनबाद पहुंचे तो कई बड़े नेता साथ नहीं दिखे। धनबाद से टिकट की दौड़ में रहे कांग्रेसी दूर-दूर रह रहे हैं। ददई दुबे, राजेंद्र प्रसाद सिंह, मयूर शेखर झा, विजय कुमार झा, अजय दुबे के लोग अलग-अलग रह रहे हैं। धनबाद से भाजपा का किला ध्वस्त करने के लिए कीर्ति को इन सबको मनाना होगा। कीर्ति ने बोकारो में ददई दुबे से आशीर्वाद प्राप्त कर इस ओर प्रयास आरंभ कर दिया है। सोमवार को बेरमो में राजेंद्र प्रसाद सिंह से मुलाकात की। उनका प्रयास सबको साथ में लेकर चलने का है ताकि चुनाव तक सबकुछ ठीक हो जाय।
1984 के बाद एक बार ही जीती कांग्रेस : कांग्रेस धनबाद में वर्ष 1984 के बाद अबतक केवल एक बार धनबाद लोकसभा चुनाव जीती है। वर्ष 1984 के लोकसभा चुनाव में शंकर दयाल सिंह जीते थे। उसके बाद वर्ष 2004 में चंद्रशेखर दुबे उर्फ ददई दुबे यहां से सांसद बने। पिछले दो चुनाव से भाजपा के पीएन सिंह जीतते आ रहे हैं। ददई दुबे से पहले प्रो. रीता वर्मा भाजपा से चार बार सांसद रहीं। भाजपा के गढ़ में सेंध लगाने के लिए कीर्ति झा आजाद को काफी मेहनत करनी होगी।