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Dhanbad BJP Politics: पार्षद उम्मीदवारों की लड़ाई में पिस रही विश्व की सबसे बड़ी पार्टी

यह लगभग तय है कि निगम चुनाव दलीय आधार पर हुआ भी तो पार्षद निर्दल ही लड़ेंगे। बावजूद इसके मात्र एक वार्ड की लड़ाई में विश्व की सबसे बड़ी पार्टी उलझ कर रह गई है। कुछ लोगों की तो यह नाक की लड़ाई बन गई है।

By Atul SinghEdited By: Published: Sat, 26 Jun 2021 02:59 PM (IST)Updated: Sat, 26 Jun 2021 04:46 PM (IST)
Dhanbad BJP Politics: पार्षद उम्मीदवारों की लड़ाई में पिस रही विश्व की सबसे बड़ी पार्टी
अमरजीत व भाजयुमो मंडल अध्यक्ष मनोज यादव उनके साथ थे। (प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर)

जागरण संवाददाता, धनबाद : यह लगभग तय है कि निगम चुनाव दलीय आधार पर हुआ भी तो पार्षद निर्दल ही लड़ेंगे। बावजूद इसके मात्र एक वार्ड की लड़ाई में विश्व की सबसे बड़ी पार्टी उलझ कर रह गई है। कुछ लोगों की तो यह नाक की लड़ाई बन गई है। वार्ड पार्षद के दो उम्मीदवारों की इस लड़ाई में भाजपा के 32 वर्ष पुराने नेता अमरजीत प्रसाद की निष्ठा दाव पर लग गई है।

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वार्ड संख्या 20 की एक खराब सड़क पर धनरोपनी का कार्यक्रम पार्षद चुनाव लड़ने के इच्छुक पूर्व छात्र नेता आनंद चौरसिया करवा रहे थे। अमरजीत व भाजयुमो मंडल अध्यक्ष मनोज यादव उनके साथ थे। इस दौरान निवर्तमान पार्षद अशोक पाल के खिलाफ नारेबाजी हुई। वहीं कुछ लोगों ने विधायक के खिलाफ भी नारेबाजी कर दी। इंटरनेट मीडिया पर मामला उछला तो अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए जांच समिति बैठा दी गई।

समिति खुद अनुशासनहीनता के दायरे में :

मजेदार यह कि समिति खुद अनुशासनहीनता के दायरे में आ गई है। समिति के एक सदस्य श्रवण राय ने प्रदेश अध्यक्ष, प्रदेश महामंत्री, महानगर अध्यक्ष को अलग-अलग रिपोर्ट भेजी है। वहीं दो अन्य सदस्य मानस प्रसून और संजय झा ने समिति बनानेवाले महानगर अध्यक्ष को रिपोर्ट सौंपी है। हालांकि राय से इस संदर्भ में फिलहाल कोई सवाल नहीं किया गया है। जबकि रिपोर्ट पर तीनों का हस्ताक्षर होना था।

अब आगे क्या :

कुछ नहीं। सूचना जो छनकर आ रही है वह यह कि प्रदेश नेतृत्व भी इसे मटियाने के मूड में है। महानगर नेतृत्व भी सख्त कार्रवाई की पक्षधर नहीं। यूं महानगर अध्यक्ष के मुताबिक उन्होंने रिपोर्ट प्रदेश नेतृत्व को भेजी है। निर्देश की प्रतीक्षा है। अंदरखाने चर्चा है कि यह मसला अभिभावक महोदय के पास भी जा चुका है। उनका पहला सवाल था कि कोई झंडा या बैनर भाजपा का था। नहीं था। फिर..., बात खत्म। एक गुट ने प्रदेश नेतृत्व को फिर से कांग्रेस वार रूम की कहानी याद दिला दी है। लिहाजा कुछ होने की उम्मीद कम ही है।

पहले ही भुगत चुके हैं अमरजीत :

बताते हैं कि पिछले वित्तीय वर्ष में ही अमरजीत ने एक सड़क का टेंडर लिया था। तब के पार्षद अशोक पाल ने उस पर ऐतराज जताया। काम रुक गया। निर्माण सामग्री गिर चुकी थी जो गायब हो गई। बाद में काम शुरू हुआ और पूरा भी। विधायक निधि का काम था। घाटे में रहे भाजपा कार्यकर्ता तब से ही पार्षद से नाराज चल रहे थे। ऊपर से उन्होंने कांग्रेस वार रूम की कहानी इंटरनेट मीडिया पर वायरल कर संगठन की नाराजगी भी मोल ली। इस चक्कर में वे ओबीसी मोर्चा के महामंत्री बनते-बनते रह गए। अब संगठन का मानना है कि वे पहले ही भुगत चुके हैं, और कितना दंडित किया जाए। 32 वर्ष पुराने कार्यकर्ता हैं, बड़ी जिम्मेदारियों में भी रहे हैं।

इधर पार्षद उम्मीदवार इस लड़ाई से हुए दूर 

जनप्रतिनिधि को सुनना पड़ता है। हम भी सुन रहे हैं। आनंद चौरसिया को वार्ड का चुनाव लड़ना है। लिहाजा मेरे खिलाफ नारेबाजी की तो की, विधायक के खिलाफ नहीं करवाना चाहिए था। विधायक को इसमें घसीटना ठीक नहीं। वार्ड के मामलाें में मेरे खिलाफ जाे कहना है कहे।

अशाेक पाल, पूर्व पार्षद, 20

विधायक राज सिन्हा से मेरे अच्छे ताल्लुकात हैं। मैं उनकी कद्र करता हूं। वार्ड में खराब सड़कों की स्थिति के कारण धनरोपनी का काम चल रहा था। उसी वक्त पीछे से दो अनजान लोग विधायक मुर्दाबाद कहने लगे। हमने डांटा भी और वे चले गए। यह किसी की साजिश है।

आनंद चौरसिया, सामाजिक कार्यकर्ता

आनंद चौरसिया, सामाजिक कार्यकर्ता


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