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बालू से तेल निकालने का चल रहा खुला खेल, इस कारोबार में पुलिस भी हिस्सेदार Dhanbad News

रिपोर्टर ने कहा कि इतनी ज्यादा क्यों? काफी रेट बढ़ गया है। इस पर कारोबारी राहुल का साफ कहना था कि थाना को पैसा देंगे तो दाम भी लगेगा।

By MritunjayEdited By: Published: Wed, 27 May 2020 09:25 AM (IST)Updated: Wed, 27 May 2020 01:54 PM (IST)
बालू से तेल निकालने का चल रहा खुला खेल, इस कारोबार में पुलिस भी हिस्सेदार Dhanbad News
बालू से तेल निकालने का चल रहा खुला खेल, इस कारोबार में पुलिस भी हिस्सेदार Dhanbad News

धनबाद [ आशीष अंबष्ठ ]। धनबाद जिले में अभी बालू का उठाव पूरी तरह से बंद है। लेकिन, इसके बावजूद बालू का अवैध कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है। बिना माइनिंग चालान के जिले में दर्जनों गाडिय़ां बालू के परिवहन में लगी है। सब पैसे के बल पर। पैसा फेंको और अवैध बालू लदी गाड़ी जहां चाहो, वहां पहुंचा दो। हां, इसके कारण बालू का रेट बढ़ गया है और आम लोगों की जेब कट रही है। 

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दैनिक जागरण के दो दिन के स्टिंग ऑपरेशन में इसका खुलासा हुआ। इसमें पता चला कि अवैध बालू लदी गाड़ी में किसी तरह का कोई माइनिंग चलान नहीं होता है। बस, थाना को सेट कर टुंडी के बराकर नदी के विभिन्न घाटों से अवैध तरीके से बालू का उठाव कर सरायढेला थाना क्षेत्र के गोल बिल्डिंग मोड़ तक पहुंचाया दिया जाता है। वहां कई लोग खुलेआम बालू का व्यापार करते मिले। बातचीत में उन्होंने साफ कर दिया कि बस पैसा देना होता। इसके बाद जहां बोलिए वहां बालू पहुंच जाएगा।

ग्राहक बनकर कारोबारियों से मिला रिपोर्टर, होता गया खुलासा 

दैनिक जागरण का संवाददाता ग्राहक बनकर गोल बिल्डिंग के पास पहुंचा। वहां राहुल नामक बालू कारोबारी से मिला। बालू का रेट उससे पूछा तो उसने  कहा 37 सौ रुपये में छोटी गाड़ी मिलेगी। रिपोर्टर ने कहा कि इतनी ज्यादा क्यों? काफी रेट बढ़ गया है। इस पर कारोबारी राहुल का साफ कहना था कि थाना को पैसा देंगे तो दाम भी लगेगा।  

ऐसे हुई बातचीत 

रिपोर्टर : बालू कैसे मिल रहा है? 

कारोबारी : 3700 रुपये छोटी गाड़ी में (407 में)। 

रिपोर्टर : इतना दाम काहे भाई? 

कारोबारी : बालू नहीं आ रहा है। 

रिपोर्टर : काहे नहीं आ रहा है? 

कारोबारी : सब घाट बंद है। बालू का यही रेट लगेगा। 

रिपोर्टर : कुछ कम कीजिएगा की नहीं? 

 कारोबारी : सौ रुपये कम दीजिएगा। 

रिपोर्टर : पहले तो 18 सौ में छोटी गाड़ी मिल जाती थी। 

 कारोबारी : वह जमाना था, अब भूल जाइए। 

रिपोर्टर : कम करो न भाई? 

कारोबारी : कम नहीं होगा। तीन थानों से होकर बालू यहां पहुंचता है। सब थाना को पैसा देना पड़ता है। 

रिपोर्टर : कितना पैसा लगता है? 

कारोबारी : 500 रुपये हर थाना में प्रत्येक ट्रिप देना पड़ता है। या फिर 10 हजार रुपये महीना देने पर ही गाड़ी लगता है भैया। 

रिपोर्टर : कौन-कौन थाना पैसा लेता है? 

 कारोबारी : पोखरिया पिकेट टुंडी, गोविंदपुर व सरायढेला। सब को पैसा चाहिए भैया। 

रिपोर्टर : आपका नाम क्या है? कल फोन करके बालू का ऑर्डर देंगे। 

कारोबारी : नाम से क्या होगा। नंबर भी नहीं देंगे। हम यहीं मिलते है हर दिन। 

दस हजार तक देनी पड़ती है थाना में राशि

राहुल बताता है कि हर ट्रिप पर बालू लदे वाहन से पांच सौ रुपये देने के लिए कहा जाता है। प्रत्येक थाना में यह राशि फिक्स है। पूरे महीने की सेटिंग की भी सुविधा है। इसके लिए दस हजार रुपये थाने को देने पड़ते हैं। तीन थाना को मिलाकर 30 हजार रुपया हर महीने पुलिस को देना पड़ता है।           

 तीन थाना को देनी पड़ती है राशि : बालू कारोबारी के अनुसार टुंडी के बराकर नदी घाट से सरायढेला के गोल बिल्डिंग तक वाहन लाने के लिए तीन थाना क्षेत्र से गुजरना पड़ता है। ये हैं टुंडी, गोविंदपुर और सरायढेला थाना। इन तीनों थानों को चढ़ावा देना पड़ता है। पोखरिया और बेजरा घाट से बालू उठाव होते ही पैसा देने का मीटर चालू हो जाता है। 

 

घाट से धनबाद आते-आते चार गुना महंगा हो जाता अवैध बालू 

जिले में करीब 24 नदी घाट हैं। वहां से बालू उठाव के लिए नीलामी होती है। इस समय सिर्फ तोपचांची के एक घाट से ही बालू उठाव को स्वीकृति मिली हुई है। इस एक घाट के सहारे पूरे जिले में निर्माण कार्यों में बालू आपूर्ति संभव नहीं है। ऐसे में कई घाटों से अवैध तरीके से बालू का उठाव हो रहा है। इसमें सैकड़ों वाहन लगे हैं। हालांकि धनबाद शहर में सबसे अधिक बालू लदे वाहन टुंंडी और पूर्वी टुंडी के साथ तेलमच्चो, निरसा और चिरकुंडा के घाट से अवैध तरीके से बालू लेकर आते हैं। 

सरकार की रोक के बावजूद अधिकतर बालू घाटों पर माफियों का राज चल रहा है। उपायुक्त ने पंचायत व नगर पंचायत के बालू उठाव पर एनजीटी के दिशा-निर्देश के आलोक में पूरी तरह से रोक लगा रखी है। लेकिन, इसके बाद भी दामोदर व बराकर नदी के घाटों से सैकड़ों ट्रैक्टर व ट्रक से अवैध बालू का उठाव रात के अंधेरे में किया जा रहा है। प्रतिदिन दस से बारह लाख रुपये की बालू की चोरी हो रही है। इसे तीगुने-चार गुने दाम पर बेचा जा रहा है। जिले में 24 नदी घाट हैं जिसमें 14 बालू घाट करीब 944 एकड़ जमीन पर फैला है। चोरी का बालू जिले से बाहर भी रात के अंधेरे में भेजा जाता है। इसके लिए जीटी रोड से लेकर बॉर्डर पर भी लाखों रुपया का खेल होता है। इस खेल में स्थानीय स्तर से लेकर उच्च स्तर पर बैठे कुछ अधिकारियों की भी सहमति होती है। 

राजस्व की चोरी अपनी जेब लाल

बालू उठाव को लेकर जब तक सरकार कोई ठोस नीति बनाएगी तब तक लाखों रुपया के राजस्व की हानि सरकार को इसी तरह होती रहेगी। सरकार के खाते में राशि भले ही जमा न हो लेकिन विभाग के अधिकारी व स्थानीय पुलिस प्रशासन व दबंग किस्म के लोगों की जेब भारी जरूर हो रही है।  सबसे अधिक बालू घाट बराकर नदी किनारे टुंडी क्षेत्र में है। सात पंचायतों में यहां बालू उठाव की व्यवस्था है। यहां से बालू अन्य राज्यों में विभिन्न कार्यों के लिए भेजा जाता है। पंचायत स्तर पर भी बालू घाटों पर माफियों की धाक है। 

  प्रमुख बालू घाट 

 - तोपचांची क्षेत्र : विशनपुरा, जीतपुर, हरिहरपुर पंचायत

- बाघमारा क्षेत्र : खानुडीह पंचायत , तेलमच्चो आदि। 

- निरसा क्षेत्र : चिरकुंडा नगर पंचायत, डुमरकुंडा पंचायत, बरबेंदिया घाट। 

- टुंडी क्षेत्र : कोल्हर, रतनपुर, लुकैया, चिरुआ, बेजरा,  उपमा, मयरा नावाटांड़, मोलीडीह पंचायत 

चार गुना बढ़ जाता है दाम

सरकारी दर के अनुसार बालू उठाव के लिए चालान सौ घनमीटर पर करीब चार सौ रुपये तय है। इसके अलावा लोडिंग व अन्य खर्च मिलाकर हजार रुपये में एक ट्रैक्टर बालू मिलता था। आज उसकी कीमत 37 से 38 सौ रुपया हो गया है वह भी बिना चलान के। अगर आपको बड़ी गाड़ी जैसे हाइवा लोड बालू लेना है तो इसकी कीमत 18 से 20 हजार रुपये देना होगा। जबकि पहले पांच से छह हजार रुपये में एक हाइवा बालू मिल जाती थी। 

जैसे पटा ले सौदा

स्टिंग के दौरान गोल बिल्ंिडग के पास आधा दर्जन बालू लोड वाहन खड़े थे। सभी ने अपने-अपने हिसाब से रेट तय कर रखा था। पूछा गया कि कोई फिक्स दर नहीं है। तो बताया गया कि नहीं। परिवहन में जितनी राशि का खर्च आता है उसकी वसूली ग्राहक से ही करनी पड़ती है। 

रात के अंधेरे में बीच कॉलोनी से पास होती है ट्रेक्टर

सिंडिकेट से हटकर काम करने वाले ग्रामीण अपने ट्रैक्टर के माध्यम से मुख्य मार्ग से न होकर गांव के रास्ते से होते हुए शहर की कॉलोनी की सड़क का उपयोग बालू कारोबार में करते हैं। रात के अंधेरे में यह काम किया जाता है, ताकि बालू सिंडिकेट के लोग की नजर न पड़े और थाना को भी पैसा नहीं देना पड़े। 

चलता है बालू का सिंडिकेट

जिले में बालू का सिंडिकेट चलता है। उसका भी ध्यान रखना होता है। गोल बिल्डिंग के पास दर्जनों स्थानों पर बालू का ढेर लगा हुआ है। वहां बालू की लदाई भी होती है। दूर बैठे लोग सारी गतिविधि पर नजर रखते है। 

जिले में एक घाट से बालू उठाव की अनुमति

खनन विभाग के अनुसार जिले में एक घाट जो तोपचांची में है। वहीं से बालू उठाव की अनुमति है। इसके अलावा चिरकुंडा, तेलमच्चो, निरसा, राजगंज, टुंडी, पूर्वी टुंडी, करमदाहा आदि घाटों से अवैध तरीके से बालू का उठाव किया जा रहा है। 


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