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आइआइटी आइएसएम के शोध की जांच करेंगे विशेषज्ञ

धनबाद किसी भी शोध की सफलता उसकी प्रमाणिकता और विश्वसनीयता पर ही निर्भर करती है। शोध वैश्विक स्तर के मापदंड पर खरा उतर सके इसके लिए आइआइटी आइएसएम ने क्वालिटी रिसर्च को बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 31 Oct 2020 01:59 AM (IST)Updated: Sat, 31 Oct 2020 01:59 AM (IST)
आइआइटी आइएसएम के शोध की जांच करेंगे विशेषज्ञ
आइआइटी आइएसएम के शोध की जांच करेंगे विशेषज्ञ

धनबाद : किसी भी शोध की सफलता उसकी प्रमाणिकता और विश्वसनीयता पर ही निर्भर करती है। शोध वैश्विक स्तर के मापदंड पर खरा उतर सके इसके लिए आइआइटी आइएसएम ने क्वालिटी रिसर्च को बढ़ावा देने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। शोध की अहमियत को समझते हुए ही संस्थानिक शोध कार्यो की मौलिकता पर अब जोर दिया जा रहा है। संस्थान की ओर से जारी नई गाइडलाइन एंटी प्लेजरिज्म में नियमों को सख्त कर दिया गया है। इसके तहत अब शोधकर्ताओं (पीएचडी छात्रों) के थिसिस की जांच व‌र्ल्ड क्यूएस रैंकिग के टॉप 200 संस्थानों के विशेषज्ञों से कराई जाएगी। नए गाइडलाइन के तहत पीएचडी स्कॉलर को अधिकतम 10 प्रतिशत तक प्रकाशित शोध से संदर्भ लेने की छूट दी गई है। इसके साथ ही रिसर्च स्कॉलरों के लिए क्यू वन या क्यू टू स्तर के साइंस जर्नल में कम से कम एक शोध का प्रकाशन भी अनिवार्य कर दिया गया है। संस्थान के इस नियम के बाद शोध की गुणवत्ता को और भी अधिक निखारा जा सकेगा। संस्थान के निदेशक प्रो. राजीव शेखर की माने तो संस्थान ने लक्ष्य तय किया है कि विश्व के 200 श्रेष्ठ संस्थानों में आइआइटी आइएसएम भी शुमार हो। इनमें शोध सबसे महत्वपूर्ण कड़ी है।

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गुणवत्ता के लिए उठाए जा रहे हैं यह कदम

- फैकल्टी रिसर्च स्कीम (एफआरएस) - स्कीम के तहत संस्थान में नव नियुक्त शिक्षकों के बेहतर शोध और प्रस्तावों को दूसरे आइआइटी और आइआइएससी के विशेषज्ञों से समीक्षा करवाई जाएगी। इससे शोध की गुणवत्ता और बेहतर होगी। ------------------- - फैकल्टी मोबिलीटी प्रोग्राम (एफएमपी)- इस प्रोग्राम के तहत प्रोफेसरों को प्रायोजित शोध के लिए संबंधित इंडस्ट्री में दो सप्ताह बिताने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। इससे शिक्षक उद्योग की जरूरतों को बेहतर तरीके से समझ सकेंगे। ----------- - सेंडविच पीएचडी प्रोग्राम - पीएचडी छात्रों के शोध की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए सेंडविच पीएचडी प्रोग्राम शुरू किया गया है। इसके तहत रिसर्च स्कॉलरों को छह महीने तक सर्वश्रेष्ठ विदेशी संस्थानों में रहकर उनके लैब में वहां के ही विशेषज्ञों के साथ शोध का मौका दिया जाएगा। यह प्रोग्राम संस्थान की ओर से प्रायोजित किया जाएगा।


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