IIT ISM Dhanbad: प्रदूषण खत्म करने का एक्शन प्लान बनाकर नहीं दे सका आइएसएम, तकनीकी मदद को भी किया था समझौता
सीपीसीबी और एमओईएफ ने आइआइटी आइएसएम धनबाद से तकनीकी मदद लेने और एक्शन प्लान बनाने को समझौता किया था। 31 मार्च 2020 तक यह प्लान बनाना था।
धनबाद, जेएनएन। धनबाद में प्रदूषण कम करने को लेकर कोई ठोस पहल होती नजर नहीं आ रही है। पिछले वर्ष एक उम्मीद की किरण भी नजर आयी तो वह भी ठंडे बस्ते में जाती नजर आ रही है। दरअसल केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और केंद्रीय पर्यावरण एवं वन मंत्रालय (एमओईएफ) ने आइआइटी आइएसएम से तकनीकी मदद लेने और एक्शन प्लान बनाने पर समझौता किया था। आइआइटी आइएसएम को 31 मार्च 2020 तक एक्शन प्लान बनाकर एमओईएफ को देना था। इसके बाद राज्य सरकार इस एक्शन प्लान पर काम कर धनबाद का प्रदूषण कम करती।
आइआइटी कानपुर को पूरे एक्शन प्लान की मॉनीटिरिंग का जिम्मा मिला था। यह सब नहीं हो सका। आइआइटी आइएसएम ने अभी तक एक्शन प्लान बनाकर नहीं दिया। इस एक्शन प्लान में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका पौधरोपण की है। प्लान में इसे सबसे अधिक तरजीह दी गई है। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि धनबाद में सड़कों के दोनों किनारे पौधरोपण की स्थिति को सबसे उपर रखा गया है। इसके बाद बारी बीसीसीएल की आती है। प्रदूषण को कम करने की योजना में बीसीसीएल की भूमिका, कोलियरियों से ट्रांसपोर्टिंग की स्थिति, वैकल्पिक व्यवस्था और तमाम अन्य उपायों की स्थिति और प्रदूषण कम करने को लेकर बीसीसीएल की ओर से किस तरह की और कितनी कारगर गतिविधियां की जा रही हैं, इसे भी एक्शन प्लान का हिस्सा बनाया गया है।
बता दें कि इसी वर्ष के शुरुआत में ग्रीन पीस इंडिया की रिपोर्ट में झरिया-धनबाद को देश के सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में शामिल किया गया था। देश के 102 अति प्रदूषित शहरों की सूची में झारखंड से इकलौता धनबाद शामिल है। राष्ट्रीय स्वच्छ वायु अभियान (एनसीएपी) के तहत 102 शहरों में से लगभग 80 शहरों में बढ़ते प्रदूषण को कम करने की कार्ययोजना को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और पर्यावरण मंत्रालय ने मंजूरी दे दी है। धनबाद को प्रदूषण से निजात दिलाने के लिए आइआइटी आइएसएम की तकनीकी की मदद लेने की बात थी। आइआइटी आइएसएम के पर्यावरण इंजीनियरिंग विभाग को एक्शन प्लान पर काम करने की जिम्मेवारी दी गई थी।
कई इलाकों में पीएम 10 अधिक : झारखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के विशेषज्ञ संजय श्रीवास्तव का कहना है कि पीएम 10 को रेस्पायरेबल पर्टिकुलेट मैटर कहते हैं। इन कणों का साइज 10 माइक्रोमीटर होता है। पीएम 10 का सामान्य लेवल 100 माइक्रोग्राम क्यूबिक मीटर (एमजीसीएम) होना चाहिए, लेकिन जिले में कई जगह यह 300 पार कर चुका है। पिछले कुछ वर्षों में पीएम 10 में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है।
यह था एक्शन प्लान का स्वरूप
- औद्योगिक प्रदूषण कितना और कहां-कहां अधिक व कम है।
- सड़कों की स्थिति क्या है, कितनी खराब है और कितनी जर्जर है।
- सड़कों के किनारे-किनारे पौधरोपण की स्थिति।
- पुराने जनरेटर की स्थिति, किस इलाके में कितने पुराने जनरेटर का हो रहा प्रयोग।
- जनरेटर को हटाए जाने की प्रक्रिया कब, कैसे और किस तरीके से की जा सकती है
- जाम और भीड़भाड़ इलाके में जाम की वजह से होने वाले प्रदूषण से निजात दिलाने के लिए वन-वे या बाइपास की व्यवस्था।
- कहीं-कहीं ओवरब्रिज की जरूरत।
- प्रदूषण को कम करने में रेलवे की भूमिका।
- नगर निगम की ओर से जगह-जगह पार्किंग की समुचित व्यवस्था का खाका।
- सड़क के दोनों किनारे पाथ-वे।
- प्रदूषण को कम करने की योजना में बीसीसीएल की भूमिका।
- - कोलियरियों से ट्रांसपोर्टिंग की स्थिति, वैकल्पिक व्यवस्था और तमाम अन्य उपायों की स्थिति।
- - प्रदूषण कम करने को लेकर बीसीसीएल की ओर से किस तरह की और कितनी कारगर गतिविधियां की जा रही हैं।
- - धनबाद और आसपास पौधरोपण की क्या स्थिति है।
- - शहर में भारी वाहनों के आवागमन की स्थिति और इसकी वैकल्पिक व्यवस्था की रूपरेखा।