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किसानों को उत्पाद बिक्री के लिए बड़ा मंच दिलाएगा आइआइटी का एप

IIT ISM APP FOR LAC Products एप तैयार कर रहे आइआइटी आइएसएम के मैनेजमेंट स्टडीज के प्रो. शशांक बंसल व मैथ एंड कंप्यूटिंग विभाग की प्रो. रुचिका सहगल ने बताया कि हमने ब्लाकचेन तकनीक से इसे लैस किया है। इस तकनीक के कारण किसान बोलकर अपनी बात रख सकेंगे।

By MritunjayEdited By: Published: Sat, 15 Jan 2022 07:16 PM (IST)Updated: Sun, 16 Jan 2022 06:29 AM (IST)
किसानों को उत्पाद बिक्री के लिए बड़ा मंच दिलाएगा आइआइटी का एप
रांची की एक नर्सरी में लाख के कीटों के पालन की जानकारी लेते हुए प्रोफेसर शशांक कुमार और प्रोफेसर रुचिका।

आशीष सिंह, धनबाद। झारखंड के लाह (लाख) उत्पादक किसानों को उनके उत्पाद का अधिकतम मूल्य दिलाने की बड़ी पहल हो रही है। इंडियन इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलाजी ( IIT(ISM) Dhanbad) धनबाद के विज्ञानी एक ऐसा मोबाइल एप व वेब पोर्टल तैयार कर रहे हैं, जो किसानों को अपना उत्पाद बेचने का मंच उपलब्ध कराएगा। इसके लिए किसानों को कोई शुल्क नहीं देना होगा। खास बात यह कि इसमें कोई बिचौलिया नहीं होगा। इसलिए किसान को सही कीमत मिलेगी। भविष्य में इस प्रोटोटाइप को वृहद रूप दे दिया जाएगा, ताकि हर फसल इसके माध्यम से बेची जा सके व देश भर के किसान इसका लाभ ले सकें।

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बोलकर संवाद करेंगे किसान

वेब पोर्टल व एप तैयार कर रहे आइआइटी आइएसएम के मैनेजमेंट स्टडीज के प्रो. शशांक बंसल व मैथ एंड कंप्यूटिंग विभाग की प्रो. रुचिका सहगल ने बताया कि हमने ब्लाकचेन तकनीक से इसे लैस किया है। इस तकनीक के कारण किसान बोलकर अपनी बात रख सकेंगे। वह उत्पाद की फोटो साझा करेंगे। उनके प्रश्नों का उत्तर उनका मोबाइल बोलकर उनकी ही भाषा में देगा। यदि किसान अनपढ़ है तो भी वह खुद अपनी फसल उचित मूल्य पर बेच सकेगा। किसान और व्यापारी एक ही मंच पर होंगे। इसलिए कीमत उचित मिलेगी।

प्रोसेसिंग के लिए लोन भी मिलेगा

इस मंच पर किसानों के अलावा विश्व भर के व्यापारी, किसान हित में काम कर रहे संगठन, बैंकिंग कंपनियां और विशेषज्ञ होंगे। कच्चे लाह की कीमत यदि 400 रुपये प्रतिकिलो है तो प्रोसेसिंग के बाद तैयार उत्पाद की कीमत 1,500 रुपये प्रतिकिलो से अधिक मिलेगी। ऐसे में किसान को प्रोसेसिंग की महत्ता विशेषज्ञ बताएंगे। प्रोसेसिंग के लिए जरूरी मशीनों के लिए लोन भी इस मंच से किसान को सीधे डिजिटल माध्यम से ही मिल जाएगा। इसके अलावा पोर्टल से जुड़ी किसान हित में काम कर रही संस्थाओं को प्रोसेसिंग यूनिट खोलने के लिए प्रेरित किया जाएगा। ताकि छोटे किसान उनके यहां जाकर लाभ पा सकें।

उत्पाद की गुणवत्ता का ध्यान

दोनों विज्ञानियों ने बताया कि इस प्लेटफार्म पर सबसे जरूरी पक्ष है ईमानदारी। किसान जो उत्पाद बेचेंगे, उसके जो गुण बताएंगे, उनकी समय समय पर जांच कराई जाएगी। इसके लिए संस्थान विशेषज्ञ संगठनों को इस मंच से जोड़ेगा। बाद में इसे पूरे देश के लिए विस्तार दिया जाएगा। किसानों को उचित मूल्य मिले, इसका भी ध्यान रखा जाएगा। वेब पोर्टल व एप पर तेजी से काम कर रहे हैं। सात महीने में इसे धरातल पर उतार देेंगे।

यह होती ब्लाकचेन तकनीक

जैसे लाखों कंप्यूटर जोड़कर इंटरनेट बना, उसी प्रकार डाटा ब्लाक यानी आकड़ों की लंबी श्रंखला को जोडऩे को ब्लाकचेन कहते हैैं। यह तीन तकनीकों का सम्मिलन है, इंटरनेट, पर्सनल की (कुंजी) की क्रिप्टोग्राफी (जानकारी गुप्त रखना) और प्रोटोकाल पर नियंत्रण। आमजन की भाषा में ब्लाकचेन डिजिटल बही-खाता है, जिसमें सारे ट्रांजेक्शन (लेन-देन) अंकित किए जाते हैैं। हाल ही में पीएम नरेन्द्र मोदी ने आइआइटी, कानपुर के दीक्षा समारोह में ब्लाकचेन तकनीक से ही छात्रों को उपाधियां प्रदान की थीं।

झारखंड के खूंटी, सिमडेगा, रांची और पश्चिमी सिंहभूम समेत कई जिलों में लाह की खेती होती है। देश में 16 हजार टन लाह का उत्पादन होता है, इसमें झारखंड का योगदान 55 फीसद है। हम ऐसी तकनीक विकसित कर रहे हैं जिससे किसान को उनके उत्पाद का उचित मूल्य मिलेगा। इससे किसानों के जीवन में समृद्धि आएगी।

- प्रो. राजीव शेखर, निदेशक आइआइटी-आइएसएम, धनबाद


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