खनन विभाग ने 20 हार्डकोक व 70 डीओ धारकों को जारी किया लाइसेंस
बीसीसीएल व ईसीएल में कोयला कारोबार करने वाले डीओ धारकों के पास खनन विभाग से निबंधन व लाइसेंस नहीं होने के कारण चार दिन से परियोजना कोल डंप से कोयला उठाव पूरी तरह से बंद रहा। सोमवार को खनन विभाग की कड़ाई के बाद कोयला डीओ धारकों व हार्ड कोक संचालकों ने खनन विभाग में अपना निबंधन कराया। जिला खनन विभाग की ओर से 70 डीओ धारक व 20 हार्डकोक उद्योग को लाइसेंस स्वीकृत किया गया।
जागरण संवाददाता, धनबाद :
बीसीसीएल व ईसीएल में कोयला कारोबार करने वाले डीओ धारकों के पास खनन विभाग से निबंधन व लाइसेंस नहीं होने के कारण चार दिन से परियोजना कोल डंप से कोयला उठाव पूरी तरह से बंद रहा। सोमवार को खनन विभाग की कड़ाई के बाद कोयला डीओ धारकों व हार्ड कोक संचालकों ने खनन विभाग में अपना निबंधन कराया। जिला खनन विभाग की ओर से 70 डीओ धारक व 20 हार्डकोक उद्योग को लाइसेंस स्वीकृत किया गया। सोमवार को कोयला डीओ धारकों की लंबी भीड़ खनन विभाग में लगी थी। वहीं अब तक सरकार के गाइडलाइन के तहत साइडिग से रेल रैक से कोयला डिस्पैच के लिए भी निबंधन कराना है, जो नहीं हुआ है। खान निरीक्षक सुनील कुमार ने बताया कि अब तक आवेदन नहीं आया है, कभी भी डिस्पैच बंद किया जा सकता है। जिले में 20 रेलवे साइडिग हैं। इसमें बीसीसीएल, ईसीएल और सेल कंपनी का कोयला डिस्पैच रेलवे द्वारा किया जाता है। इसमें करीब 15 साइडिग बीसीसीएल के हैं। जहां से कोयला डिस्पैच हो रहा है। हर दिन औसतन 15 से 16 रैक कोयला डिस्सपैच इन साइडिग से किया जाता है। जिला खनन पदाधिकारी अजीत कुमार ने बताया कि जगदात्री, मुनीडीह कोक, वैली हार्डकोक, विनोद हार्डकोक, पशुपति ईंधन उद्योग, मां काली कोक, श्री बांके बिहारी को इंडस्ट्रीज आदि ने अपना निबंधन करा लिया है। जिले में करीब 100 हार्ड कोक उद्योग है। सभी को अनिवार्य रूप से निबंधन व लाइसेंस लेना होगा।