कैसे मनाए कोरोना में होली? जानिए IIT ISM के व्यापार एवं प्रबंधन विभाग के प्रोफेसर डॉ प्रमोद पाठक से
होली तो रंग का त्यौहार है। होली भंग का भी त्यौहार है। एक ऐसा त्यौहार जिसमें बड़े बूढ़े नौजवान पुरुष महिला सभी उत्साह पूर्वक शामिल होते हैं। अन्य त्योहारों की तरह बहुत महंगा भी नहीं है यह त्यौहार। रंग तो रंग बल्कि गोबर मिट्टी भी चल जाता है।
IIT ISM के व्यापार एवं प्रबंधन विभाग के प्रोफेसर डॉ प्रमोद पाठक ने बताया कि होली तो रंग का त्यौहार है। होली भंग का भी त्यौहार है। एक ऐसा त्यौहार जिसमें बड़े बूढ़े नौजवान पुरुष महिला सभी उत्साह पूर्वक शामिल होते हैं। अन्य त्योहारों की तरह बहुत महंगा भी नहीं है यह त्यौहार। रंग तो रंग बल्कि गोबर मिट्टी भी चल जाता है। गीत संगीत से लेकर गाली गलौज तक सभी होली में चलते हैं। बस मूड होना चाहिए। कोरोना ने उसी मूड को बिगाड़ दिया है। या यूं कहें कि रंग में भंग डाल दिया है।
होली वैसे तो पूरे देश में मनाया जाता है और इस त्यौहार की खासियत है कि इसमें हुल्लड़ और उत्साह के साथ-साथ समाज को एक गंभीर संदेश भी दिया जाता है। भाईचारे का संदेश, समानता का संदेश, सामाजिक एकता का संदेश। कहते हैं होली में दिल मिल जाते हैं, गिले-शिकवे भूलकर लोग गले मिल जाते हैं। प्रेम और सद्भाव का यह त्योहार बड़ा ही आनंद का त्यौहार है। झारखंड प्रदेश में तो होली का बड़ा महत्व है। यहां की संस्कृति में होली रचा बसा है। चूंकि यह प्रदेश पहले बिहार का ही हिस्सा था इसलिए बिहार के संस्कृति की छाप यहां की होली में खूब देखने को मिलती है। लेकिन इस बार की होली में लगता है त्यौहार का रंग फीका पड़ जाएगा। कोरोना ने रंग में भंग डाल दिया है। आशंका और भय के माहौल में उत्साह ठंडा पड़ रहा है। कोरोना के दूसरे दौर का हमला काफी हद तक हमें डरा रहा है। दरअसल इस महामारी के बढ़ने का भय तो है ही साथ ही यह भी चिंता है की यह दूसरा दौर कैसा होगा। क्या पहले वाले से ज्यादा भयावह। इसी भय और आशंका में सरकार भी कुछ किंकर्तव्यविमूढ़ दिख रही है। ना तो टीका पर भरोसा है और नाही चिकित्सा विज्ञान पर। जाहिर है लोग चिंतित है और खुलकर होली नहीं खेल पाएंगे। यह जरूरी भी है कि सावधानी बरती जाए क्योंकि असावधानी ने कई जगहों पर कोरोना की स्थिति को फिर से बिगाड़ दिया है। कोई भी नहीं चाहेगा कि त्यौहार हाहाकार का कारण बने। कई शहरों में तो रात का कर्फ्यू भी लगाया जा रहा है। हमारे प्रदेश की राजधानी में भी धारा 144 लगाई जा रही है ताकि लोग बहुत भीड़ भाड़ ना करें। ऐसे में त्योहार मनाने का उत्साह कम पड़ गया है।
तो कुल मिलाकर होली इस बार थोड़ी अलग सी होगी। लेकिन यह सोचना है की रंग भले फीका हो ढंग बना रहे। उत्साह जरूरी है और कोरोना को भी यह संदेश देना है कि मानव उतना भी कमजोर नहीं है जितना इस वायरस ने समझ रखा है। एक और भी बात समझ लेनी है कि उत्साह और खुशी ही इस वायरस का सबसे बड़ा तोड़ है। जितनी भी रोग रोधी क्षमता बढ़ाने वाली दवाइयां बाजार में आ गई है उन सबसे ज्यादा असरदार है खुशी और उत्साह। मजबूत मन और प्रसन्न चित से ही कोरोनावायरस पर विजय पाई जा सकती है। तो होली भी मनानी है और सावधानी भी बरतनी है। इस बार की होली का आनंद सड़कों पर कम और दिलों में ज्यादा दिखे। यही कोरोना काल की होली है।